गौ माता की स्पर्श थेरेपी लीजिए अवसाद और उच्च रक्तचाप से मुक्ति पाइए

पिलखुवा की लाला प्रेमशंकर गौशाला बनी कुतूहल का विषय 

-अशोक निर्वाण- 

हापुड़। अभी तक आपने गौ माता के अपशिष्ट ,गौ अर्क और दूध के उपयोग व गुणों के बारे में सुना होगा ,लेकिन गाय की  स्पर्श थेरेपी से अनेक असाध्य रोगों का इलाज भी होता है शायद यह नहीं सुना होगा । हम आपको पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हथकरघा औद्योगिक नगरी पिलखुवा मे लाला प्रेमशंकर पंचायती गौशाला परिसर में ले चलते हैं। जहां पिछले  लगभग 22 वर्षों से यह संचालित है। इस गौशाला में स्पर्श थेरेपी के लिए लोग आते हैं। ये वे लोग हैं जो उदासी ,डिप्रेशन , तनाव और उच्च रक्तचाप आदि से पीड़ित होते हैं और लगभग 3 महीने की गाय की स्पर्श थेरेपी से स्वस्थ होकर  सामान्य जीवन जी रहे हैं।  गौशाला समिति के मंत्री कृष्ण कुमार गोयल का कहना है कि गाय थेरेपी का यह कार्य दशकों से चला आ रहा है लेकिन इसका प्रचार ज्यादा नहीं है इसलिए ज्यादा लोगों को इस थेरेपी के बारे में मालूम नहीं है। उन्होंने दावा किया कि भारतवर्ष के वैदिक ग्रंथों में भी इस थेरेपी का उल्लेख है। गौशाला में प्रतिदिन आकर स्पर्श थेरेपी ले रहे पवन मांगलिक राकेश सिंघल योगेश शर्मा व संजीव गर्ग व कुछ अन्य लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वे पिछले एक  महीने से गौ माता की स्पर्श थेरेपी ले रहे हैं। जिसके चलते उन्हें काफी लाभ भी हो रहा है। उन्होंने बताया कि उनके कुछ साथियों ने पहले यहां स्पर्श थेरेपी ली थी और उन्हें डिप्रेशन स्ट्रेस और उच्च रक्तचाप मुक्ति मिल गई है। उन्हीं से प्रेरित होकर वे भी यहां इस थेरेपी के लिए आए हैं। इस थेरेपी के चिकित्सकीय वैज्ञानिक पहलू के बारे में हमने आयुर्वेद चिकित्सक डॉ राहुल चतुर्वेदी से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गाय का हार्ट रेट कम और तापमान ज्यादा होता है जब हम गाय के किसी भी अंग को स्पर्श सहलाते है तो हमें दिमागी रूप से असीमानंद और शांति की अनुभूति होती है। उन्होंने दावा किया कि इस थेरेपी का उल्लेख हमारे वैदिक शास्त्र में भी किया गया है। डॉ राहुल कहते हैं कि यह भारत की पद्धति है लेकिन भारतवासी इस चिकित्सा पद्धति को भूल गए हैं लेकिन अमेरिका जैसे देश में इस चिकित्सा पद्धति को वहां की गौशालाओं में बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है।

गौ सेवा सवामनी योजना-

केक काटकर जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ व अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि व पितृपक्ष मनाने वालों को हिंदू संस्कृति के तहत यह उत्सव मनाने के लिए गौशाला समिति ने गोसेवा सवामनी योजना शुरू की है। इसके तहत दानदाता ₹2000 दान कर 50 किलोग्राम अनाज तेल हल्दी अजवाइन आदि से युक्त सामग्री को पकाकर बनाई गई सवामणी को अपने हाथों से खिलाते हैं।

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