जम्मू-कश्मीर में 4 दिन में 4 आतंकी हमले, पीएम मोदी ने की हालात की समीक्षा

आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का दिया निर्देश
गुफाओं में छिपे 58 पाकिस्तानी आतंकी


नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर के रियासी, कठुआ और डोडा में पिछले चार दिनों में चार आतंकी घटनाएं हुई हैं। इसमें 9 श्रद्धालुओं की जान चली गई। 1 जवान शहीद हुआ और 2 आतंकी मारे गए। चारों घटनाओं में 6 जवानों समेत कुल 49 लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और अन्य अधिकारियों के साथ जम्मू-कश्मीर की स्थिति की समीक्षा की। उन्हें जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा संबंधी स्थिति से अवगत कराया गया। प्रधानमंत्री ने उनसे आतंकवाद रोधी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करने को कहा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी फोन बात की व आंतकवाद रोधी अभियानों पर चर्चा की। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बात की और केंद्र शासित प्रदेश का जायजा लिया। प्रधानमंत्री ने आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।


जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय बलों की खुफिया इकाई से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है, जेएंडके के घने जंगलों में स्थित प्राचीन भूलभुलैया गुफाओं में 58 पाकिस्तानी दहशतगर्द छिपे हैं। लगभग 32 स्थानीय आतंकी भी उनके साथ हैं। इसके अलावा करीब दो दर्जन ऐसे लोग हैं, जो दहशतगर्दों के लिए मुखबिरी और सप्लाई चेन का काम करते हैं। भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जेकेपी, उन प्राकृतिक गुफाओं तक पहुंच रही है, जहां पाकिस्तानी और लोकल आतंकी छिपे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के सीक्रेट प्लान के मुताबिक, आतंकी जिंदा या मुर्दा, लेकिन वे बाहर घसीटे जाएंगे। जम्मू क्षेत्र के पुंछ और राजौरी इलाके में बीहड़ जंगल हैं। इन्हीं जंगलों में अनेक प्राकृतिक गुफाएं मौजूद हैं। गत वर्ष सेना प्रमुख, जनरल मनोज पांडे ने कमांडरों की एक बैठक में यह निर्देश दिया था कि प्राकृतिक गुफाओं में छिपे बैठे आतंकियों को जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए। उनके ठिकानों पर जोरदार प्रहार किया जाए। इसके बाद कई स्थानों पर सुरक्षा बलों के खास ऑपरेशन शुरु किए गए हैं। पीर पंजाल रेंज के तहत आने वाले राजौरी-पुंछ के वन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की टीमें पहुंच रही हैं। ऑपरेशन में सीआरपीएफ का कोबरा दस्ता, जो जंगल वॉरफेयर में एक्सपर्ट है, उसकी मदद ली जा रही है।


कई गुफाएं संघन वन में
सूत्रों के मुताबिक, कई प्राकृतिक गुफाओं में पाकिस्तानी दहशतगर्द छिपे हुए हैं। कुछ गुफाएं ऐसी जगह पर स्थित हैं, जहां तक सुरक्षा बलों की सीधी पहुंच नहीं है। आतंकी, ऊंचाई का फायदा उठाते हैं। गत वर्ष दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के कोकेरनाग जंगल क्षेत्र में छह सात दिन चले ऑपरेशन में दो आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया था। यहां पर आतंकी, प्राकृतिक गुफा में छिपे हुए थे। जब सुरक्षा बलों ने गुफा की तरफ चढ़ाई की, तो आतंकियों ने फायरिंग कर दी। उस हमले में भारतीय सेना का एक कर्नल, एक मेजर और एक डीएसपी शहीद हो गए थे। ऑपरेशन के छठे दिन, एक अन्य जवान की बॉडी मिली थी। उसके बाद भी जंगलों में आतंकियों ने हमलों को अंजाम दिया। पिछले माह जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकवादियों ने भारतीय वायुसेना के वाहन पर हमला किया था। उस हमले में एक सैनिक शहीद हुआ, जबकि कई अन्य सैनिक घायल हो गए थे।

अब हाइब्रिड आतंकी बन रहे बड़ा खतरा

सुरक्षा बलों के सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों के दौरान घाटी में बड़ी घुसपैठ नहीं हुई है। ये सभी विदेशी आतंकी कई वर्षों से घाटी में कहीं पर छिपे हों। हालांकि अब इनके ठिकाने का पता चल रहा है। गुफाओं तक अब सुरक्षा बलों की पहुंच बन रही है। मौजूदा समय में 32 लोकल और 58 विदेशी यानी पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस, आईबी, आर्मी एवं अन्य एजेंसियां आतंकियों के ठिकाने तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं। सीमा पार के आतंकी संगठन, पाकिस्तानी आतंकियों को बचाना चाहते हैं। वे ज्यादा से ज्यादा हाइब्रिड आतंकी तैयार कर रहे हैं। हाइब्रिड आतंकियों की मदद से ही टारगेट किलिंग की वारदात को अंजाम दिया जाता है। ये आतंकी, पब्लिक के बीच ही अंडर ग्राउंड वर्कर बनकर काम करते हैं। इन पर पुलिस या आम जनता को शक नहीं होता, क्योंकि ये उनके बीच में ही रहते हैं।

संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी
सुरक्षा बलों द्वारा अलग-अलग जिलों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया है। संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी हो रहे हैं। ऑपरेशन से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है, 72 घंटे में तीन हमले, ये एक सोची समझी रणनीति है। पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर, ताजा घुसपैठ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भले ही बॉर्डर पर सीजफायर लागू है, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के सदस्य जम्मू कश्मीर में प्रवेश कर रहे हैं। सेना के सूत्रों ने यह बात मानी है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन में आतंकियों को हर तरह की मदद पहुंचाने वाली ब्लैक शीप (काली भेड़) मौजूद हैं। इनके चलते पड़ोसी मुल्क के दहशतगर्द, सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाते हैं। ब्लैक शीप की खोज और पहचान के लिए अलग से ऑपरेशन शुरू किया गया है।

जम्मू क्षेत्र पर आतंकियों का अधिक फोकस
पिछले कुछ समय से आतंकियों का फोकस कश्मीर घाटी की बजाए, जम्मू क्षेत्र पर अधिक हो रहा है। सूत्रों का कहना है, एकाएक जम्मू की तरफ आतंकी संगठनों के हमलों में जो तेजी देखी जा रही है, उसके पीछे घुसपैठ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जम्मू कश्मीर पुलिस की खुफिया इकाई के सूत्रों का भी कहना है कि पाकिस्तान की तरफ से बड़ी घुसपैठ संभव है। ऐसा भी हो सकता है कि यह घुसपैठ एक ही बार न होकर, छोटे-छोटे अंतराल पर हुई हो। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर सुरक्षाबलों का शिकंजा कसता जा रहा है। ऐसे में आतंकियों की नई भर्ती में भी काफी गिरावट आ गई है। पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को घाटी में नए चेहरे नहीं मिल रहे हैं।

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