जानिए कौन हैं मरियप्पन, जिनका नाम पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में लिया-देखे VIDEO

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी के परिचय के मोहताज नहीं है. देश और पूरी दुनिया आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते थक नहीं रही है. जब भी प्रधानमंत्री कोई भाषण देते हैं, तो लाखों की तादात में उन्हें सुनने के लिए लोग वहां आते हैं. प्रधानमंत्री का रेडियो पर प्रोग्राम भी आता है. जिसका नाम है ‘मन की बात’. जिसमें महीने के अंतिम रविवार वो देश की जनता को सम्बोधित करते हैं और उनके दुःख दर्द बांटते हैं.

वहीं आज यानि 25 अक्टूबर के प्रोग्राम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल नाडु के रहने वाले एक व्यक्ति को पूरे देश की जनता से परिचित कराया. आइये अब आपको बताते हैं, कि वो व्यक्ति कौन है? और आखिर देश के प्रधानमंत्री ने उसका नाम देश के सबसे बड़े रेडियो प्रोग्राम में क्यों लिया ?

बतादें, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 25 अक्टूबर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने तमिलनाडु के पोन मरियप्पन का जिक्र किया. पीएम ने कहा, ‘आज ‘मन की बात’ में मैं आपका परिचय एक ऐसे व्यक्ति से कराऊंगा जिसमें एक अनोखा जुनून है. ये जुनून है, दूसरों के साथ Reading और Learning की खुशियों को बांटने का. ये हैं पोन मरियप्पन, पोन मरियप्पन तमिलनाडु के तूतीकोरिन में रहने वाला एक साधारण व्यक्ति है. जिसने अपने असाधारण कार्य से प्रधानमंत्री मोदी को मजबूर किया की वे उनका परिचय दें.’
तमिलनाडु के तूतीकोरिन के रहने वाले पोन मरियप्पन एक हेयरड्रेसर हैं. गरीबी के चलते वो 8वीं कक्षा के बाद पढ़ाई जारी नहीं रख पाए. पोन मरियप्पन हर युवा को पढ़ने की आदत डलवाना चाहते हैं. इस कारण स्कूल छोड़ने के बाद उन्होंने सलून का कारोबार शुरू किया तो साथ ही अपने शौक को जिंदा रखने के लिए किताबें रखनी भी शुरू कर दीं. उनके सलून में 800 से ज्यादा किताबों का कलेक्शन है. किताब पढ़ने और फीडबैक देने वाले ग्राहकों को वह 30 फीसदी डिस्काउंट भी देते हैं.

दरअसल, पोन मरियप्पन ने ज्ञान बढ़ाने के शौक के चलते पहले अपने सलून में एक ऑडियो सिस्टम सेट किया था. इसमें उन्होंने प्रसिद्ध तमिल वक्ता सुगी शिवम, नेल्लई कन्नन, तमिलारुवी मनियन और भारती भास्कर की स्पीच को प्ले करके सुनते थे. इसके बाद जल्द ही किताबें पढ़ना उनका शौक बन गया और उन्हें किताबें इकट्ठा करने और सलून में डिस्प्ले करने का विचार आया.

पोन मरियप्पन मानते हैं, कि उन्हें ऊंची शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला, लेकिन उन्हें अहसास हुआ कि किताबें आपका ज्ञान बढ़ाने के लिए सबसे बढ़िया ज़रिया होती हैं. इसलिए उन्होंने किताबें इकट्ठा करना शुरू किया और स्कूल स्टूडेंट्स और युवाओं को इसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. वह अपनी दुकान में आने वाले हर ग्राहक से हेयर कटिंग के लिए पारी आने तक किताब पढ़ने के लिए कहते हैं. हालांकि सेलफोन पर व्यस्त रहने वाला युवा वर्ग कई बार पोन मरियप्पन की इस डिमांड से खफा भी हो जाता है.

पोन मरियप्पन ने छह साल पहले 250 किताबों का कलेक्शन तैयार किया था और अब उनके पास करीब 850 किताबें हैं. इनमें से अधिकतर तमिल में हैं और इंग्लिश में कुछ महान नेताओं की जीवन पर आधारित है. अपनी इस नेक पहले के लिए कई लोग उनकी तारीफ कर चुके हैं. पोन मरियाप्पन के पसंदीदा लेखक ए.रामकृष्णन ने भी उनके इस प्रयास की तारीफ की जबकि तूतीकोरिन से सांसद कनिमोझी ने उन्हें 50 किताबें दान में दी. अब देश के प्रधानमंत्री ने पूरे देश के सामने मरियप्पन की इस नेक शुरुआत को प्रोत्साहीत करते हुए करोड़ों लोगों के आगे प्रस्तुत किया हैं.

तो आपको साधारण से मरियप्पन की ये असाधारण कहानी कैसी लगी कृपया हमें हमारे कमेंट बॉक्स में लिख कर बताएं.

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