जानिए भारत में कब शुरू होगा 5G?

टेलिकॉम कंपनियों द्वारा बताया गया है कि भारत में 5G नेटवर्क को तीन महीनों में कुछ लिमिटेड जगहों पर लॉन्च किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑप्टिकल फाइबर आधारित इंफ्रास्टक्चर अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है। नोकिया इंडिया के मार्केटिंग और कॉरपोरेट मामलों के प्रमुख अमित मारवाह ने कहा कि भारत को 5G सर्विसेज को लॉन्च करने के लिए फैसला करना होगा अन्यथा यह नेक्स्ट जनेरेशन की टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने से चूक सकता है।

मीडिया  की रिपोर्ट के मुताबिक, अमित मारवाह ने आगे कहा, “अगर हमने 5G को जल्द ही इनेबल नहीं किया तो हम संभवतः अवसर को खो देंगे। 5G ऑपरेटरों के लिए पैसा बनाने का कोई साधन नहीं है। यह कहा जा सकता है कि भारत और विश्व में नए आर्थिक मूल्य बनाने के लिए यह समय की आवश्यकता है। हम भारत में 5G का निर्माण कर रहे हैं। इसके लिए हार्डवेयर भी तैयार है। अगर ऐसा होता है तो हम भारत में अगले 3 महीने में 5G नेटवर्क को डिप्लॉय करने पर काम शुरू कर सकते हैं।” उन्होंने बताया कि Nokia चेन्नई प्लांट से दुनिया के अन्य हिस्सों में 5G उपकरण को एक्सपोर्ट कर रहा है। इसमें भागीदारी के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना भी बना रहा है। 

टेलीकॉम एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन संदीप अग्रवाल ने लोकल स्तर पर मैन्यूफैक्चर होने वाले गियर्स को इस्तेमाल करने के लिए कहा है। साथ ही कहा है कि सुरक्षा के मद्देनजर इसका नियंत्रण भारत के पास होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 5G सर्विसेज का समर्थन करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर बेस इन्फ्रास्ट्रक्चर केवल चुनिंदा क्षेत्रों में ही उपलब्ध है। ऐसे में इस तकनीक को कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में ही रोलआउट किया जा सकता है।संदीप अग्रवाल ने कहा कि इस तकनीक को भारत में विकसित करना मंहगा है। जबकि चीन ने अपनी स्थानीय कंपनियों को नई तकनीक के विकास के लिए लगभग 200 बिलियन अमरीकी डॉलर की राशि दी है।


Nasscom कार्यकारी परिषद के सदस्य और टेक महिंद्रा के मुख्य रणनीति अधिकारी जगदीश मित्रा ने कहा कि कोविद-19 महामारी ने सभी देशों को नींद से जगाया है। हर देश को यह सुनिश्चित करना होगा या फिर यह करने का अधिकार है कि व्यापार में लचीलापन कैसे लाया जाए या उनके लिए क्या सही है।

 
जगदीश मित्रा ने कहा, “भारतीय मार्केट में अवसर काफी जबरदस्त हैं। इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह लोगों को भारत में आने और प्रतिभा का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करता है। मेड इन इंडिया प्रोडक्ट, भारत से एक्सपोर्ट करना आदि बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इसके लिए हम सभी को सिर्फ कौशल-आधारित होने की जरूरत नहीं है बल्कि एक ऐसी जगह चाहिए जहां हम निर्माण और इनोवेशन कर सकें।”

टेलिकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल अरविंद बाली का कहना है कि केवल एक देश पूरी तकनीक को नहीं बना सकता है उसे दूसरों से मदद लेने की भी जरुरत है। PLI स्कीम लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगान उत्पन्न करने के लिए सही कदम है। टेलीकॉम हार्डवेयर में PLI के साथ मिलकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसा होने से भारत में के साथ, हम 10 लाख नौकिरयां पैदा होंगी।इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल के अध्यक्ष और एचसीएल के सह-संस्थापक अजय चौधरी ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कंपोनेंट इकोसिस्टम बनाने की भी जरुरत है

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