जालंधर में सरकारी कालेजों के सहायक प्रोफेसरों ने शिक्षा मंत्री की कोठी के बाहर लगाए 14वें दिन के मोर्चे में नववर्ष के मौके पर कीर्तन का आयोजन किया। इसमें रागी जत्थों ने गुरबाणी कीर्तन किया, जबकि शिक्षकों और आस-पास के लोगों ने सरबत के भले के लिए अरदास कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सम्मुख माथा टेका। अध्यापकों का कहना कि सरकार निरंतर अध्यापक वर्ग को नजरअंदाज ही करती आई है, तभी तो इतने दिनों से केवल शिक्षा मंत्री आश्वासनों के सिवाए कुछ नहीं दे पाए हैं। अगर सरकार उनकी जायज मांगें पूरी ही नहीं कर सकती तो आश्वासन देना ही क्यूं। साफ तौर पर ही क्यूं नहीं कह दिया जाता कि वे उनकी मांगें पूर्ण नहीं कर सकते हैं। सरकार की इस नीति से तो अध्यापक वर्ग में गुस्सा ही पैदा हो रहा है, जो आने वाले समय में उनकी मांगों पर गौर न किया तो पता चल ही जाएगा।
हरमिंदर सिंह डिंपल ने कहा कि सरकारी कालेजों के शिक्षकों ने यूं तो पहले ही 57 दिन कालेजों में हड़ताल जारी रखी, मगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जाता रहा। जिस वजह से अब अध्यापक अपने वजूद को बचाने के लिए 14 दिनों से शिक्षा मंत्री परगट सिंह की कोठी के बाहर बैठे हुए हैं। शुरूआती दिनों में तो शिक्षा मंत्री के इशारे पर प्रशासन ने भी उन पर कई तरह के जुल्म करने की कोशिशें की, मगर इन सबसे हौंसले तो क्या पस्त होने बल्कि दोगुने मजबूत हुए हैं। जिससे व सरकार को इसका जवाब देने से भी पीछे नहीं हटेंगे।