तीन भाई-बहनों ने 10 साल तक खुद को रखा कमरे में कैद, ऐसी बचाई गई दोनों की जान

गुजरात के राजकोट शहर में एक चौंकाने वाला सामने आया है। यहां के किसानपुरा इलाके से दो भाइयों और एक बहन को 10 सालों बाद एक बंद कमरे से बाहर निकाला गया है। तीनों भाई-बहन ऐसे कमरे के अंदर बंद थे, जहां सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंचती थी। तीनों के बारे में एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि इनमें से एक भाई एलएलबी, दूसरा बी.कॉम और बहन साइकोलॉजी की डिग्री ले चुकी है। तीनों की उम्र 30 से 42 वर्ष के बीच है। तीनों के पिता रोजाना कमरे के बाहर खाना रख जाया करते थे।

कमरे में मल तक जम गया था
तीनों को कमरे से बाहर निकालने वाले सेवा ग्रुप एनजीओ की जल्पाबेन ने बताया कि हमें शनिवार को एक फोन कॉल आया था कि एक घर में तीन भाई-बहन रहते हैं और तीनों की मानसिक हालत खराब है। यह फोन पड़ोसियों ने किया था। जब हम घर पहुंचे तो इनके पिता नवीन मेहता होटल से खाना लेने गए थे। इसके बाद हम उनके साथ घर पहुंचे। काफी कोशिशें की, लेकिन दरवाजा नहीं खुला तो फिर हमें दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल होना पड़ा।

सेवा ग्रुप एनजीओ के सदस्यों ने निकाला बाहर।

सेवा ग्रुप एनजीओ के सदस्यों ने निकाला बाहर।

कमरे में चारों तरफ मानव मल जमा था
जल्पाबेन ने बताया कि दरवाजा तोड़ते ही वहां से इतनी तेज बदबू आई कि एक बार सभी लोग बाहर भाग आए और फिर किसी तरह दोबारा कमरे में दाखिल हुए। अंदर अंधेरा था और हमने मोबाइल टॉर्च की रोशनी से देखा तो कमरे में चारों तरफ मानव मल जमा था। यहीं, जगह-जगह बासी खाने का भी ढेर लगा हुआ था। शरीर हड्डियों का ढांचा बन चुका था और तीनों ही निर्वस्त्र थे।

शरीर हड्डियों का ढांचा बन चुका था और तीनों ही निर्वस्त्र थे।

शरीर हड्डियों का ढांचा बन चुका था और तीनों ही निर्वस्त्र थे।

पिता दरवाजे पर रख देते थे खाना
इस बारे में इनके पिता नवीन ने बताया कि वे रिटार्यड सरकारी कर्मचारी हैं। वे इसी घर में बाहर की ओर रहते हैं। सोसायटी के लोगों ने उन्होंने बोल रखा था कि तीनों की मानसिक हालत खराब है। इसके चलते कोई पड़ोसी घर में नहीं आता था। नवीन भाई ने आगे बताया कि पत्नी की करीब 10 साल पहले मौत हो गई थी। इसके बाद पहले बड़े बेटे के दिमाग पर असर हुआ और उसके बाद छोटे बेटे पर। दोनों की देखरेख बेटी करती थी, लेकिन कुछ समय बाद उसकी हालत भी बिगड़ गई। तीनों कमरे में बंद रहते थे। मैं दरवाजा खुलवाने की कोशिश करता तो मारपीट पर उतारू हो जाते थे। इसलिए मैं कमरे के बाहर ही खाना रख दिया करता था। नवीनभाई का यह भी कहना है कि रिश्तेदारों ने उनके बच्चों पर टोटका किया है।

कमरे से बाहर आती हुई अब 39 साल की हो चुकी बेटी मेघा, जिसने मनोविज्ञान में एमए की डिग्री ले रखी है।

कमरे से बाहर आती हुई अब 39 साल की हो चुकी बेटी मेघा, जिसने मनोविज्ञान में एमए की डिग्री ले रखी है।

तीनों पढ़ाई में थे तेज
जब तीनों भाई-बहनों को दरवाजा तोड़कर घर से बाहर निकाला गया तो आसपास के काफी लोग जमा हो गए थे। इनमें से कुछ ने बताया कि तीनों पढ़ाई में बहुत तेज थे। लेकिन पिछले कई सालों से घर के अंदर ही बंद रह रहे थे। पिता यही कहते थे कि तीनों का इलाज चल रहा है। इसके बाद पिता ने ही इनकी डिग्रियां दिखाईं तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि इनमें से बड़ा बेटा अंबरीश (42) बीए एलएलबी करके प्रैक्टिस करता था। छोटे बेटे भावेश ने बी.कॉम किया है। इसके अलावा वह क्रिकेटर था और स्थानीय टूर्नामेंट में भी खेलता था। वहीं, अब 39 साल की हो चुकी बेटी मेघा ने मनोविज्ञान में एमए की डिग्री ले रखी है। वह राजकोट शहर के कणसागरा कॉलेज में पढ़ती थी।

तीनों बच्चों के पिता नवीन महेता।

तीनों बच्चों के पिता नवीन महेता।

सबसे बड़ा सवाल
इस बारे में चौंकाने वाली बात यही है कि तीनों बच्चों के पिता इतने सालों से उन्हें खाना-पानी देते आ रहे थे। इस दौरान उन्होंने इन्हें घर से बाहर निकालने की कोशिश क्यों नहीं की। हालांकि, इस बारे में वे यही कहते हैं कि कई झाड़-फूंक करने वालों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तीनों पर रिश्तेदारों ने टोटका किया था, जिसके चलते तीनों की हालत ऐसी हो गई है। फिलहाल तीनों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पिता की बातें सुनने के बाद संभावना व्यक्त की जा रही है कि बच्चों के चलते उनकी भी मानसिक हालत कुछ हद तक बिगड़ चुकी है।

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