पाक में गंभीर मरीजों की संख्या इस समय सबसे ज्यादा, 12,000 रुपए में मिल रहे कोरोना टीके के 2 डोज

दुनियाभर में फ्री वैक्सीनेशन की मुहिम चल रही है। भारत अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाने के साथ ही कई देशों को वैक्सीन गिफ्ट कर रहा है। इसके उलट, भ्रष्टाचार के लिए पहले से बदनाम पाकिस्तान में अब वैक्सीन की कालाबाजारी शुरू हो गई है। वहां रूस की स्पूतनिक-वी वैक्सीन लगवाने के लिए 12,000 पाकिस्तानी रुपए (80 डॉलर) चुकाने पड़ रहे हैं। यहां सरकारी वैक्सीन केवल फ्रंट लाइन वर्कर्स और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाई जा रही है।

वैक्सीन के लिए बड़ी रकम चुकाने के बाद भी लोगों को लंबी लाइनों में घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। पाकिस्तान में कराची के दक्षिणी इलाके में सोमवार को जब लोग पैसे देकर वैक्सीन लगवाने पहुंचे, तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी, क्योंकि सभी वैक्सीन पहले ही बिक चुकी थीं।

रूस की स्पूतनिक-वी की जबरदस्त डिमांड
पाकिस्तान की इमरान सरकार ने मार्च में प्राइवेट कंपनियों को वैक्सीन की खरीद-फरोख्त की मंजूरी दी थी। इसके बाद फार्मा कंपनियों ने बड़ी तादाद में रशियन वैक्सीन स्पूतनिक-वी खरीदी थी। सरकार के आदेश के मुताबिक, अब कोई भी नागरिक वैक्सीन खरीदकर लगवा सकता है। लिहाजा, वैक्सीनेशन सेंटर्स पर बड़ी संख्या में युवाओं की भीड़ लग रही है। ये लोग सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नहीं आते, इसलिए पैसे देकर वैक्सीन लगवा रहे हैं।

फार्मा कंपनी ने पाकिस्तान सरकार पर किया कोर्ट केस
वैक्सीन का कॉमर्शियल इस्तेमाल शुरू होने के बाद सरकार और फार्मा कंपनियां कीमत को लेकर उलझ गई हैं। शुरुआत में पाकिस्तान ने दूसरे देशों से मंगाई जा रही वैक्सीन पर टैक्स न लगाने का फैसला लिया गया था, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया। इसके खिलाफ एक फार्मा कंपनी ने सरकार पर केस कर दिया। इस कंपनी ने स्पूतनिक-5 वैक्सीन के 50,000 डोज मंगवाए थे, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उनकी बिक्री की इजाजत नहीं दी। अब कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक सरकार रेट तय नहीं करती, कंपनी वैक्सीन को अपने हिसाब से तय कीमत पर बेच सकती है।

पाकिस्तान में गंभीर मरीजों की संख्या इस समय सबसे ज्यादा
पाकिस्तान में अब तक 6,87,908 लोग कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं। इनमें से 14,778 मरीजों की मौत हो चुकी है। पाकिस्तान के अस्पतालों में इस समय कोरोना के 3,568 गंभीर मरीज हैं। यह महामारी आने के बाद से अब तक एक दिन में गंभीर मरीजों का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

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