फूड हैबिट में बदलाव लंगूरों को दे रहा हाइपरकेराटोसिस नामक क्रोनिक डिजीज

जयपुर, (हि.स.)। इंसानों की धार्मिक आस्था अब जंगल में रहने वाले वन्यजीवों के लिए परेशानी बन रही है। धार्मिक स्थल यदि जंगल में बने हुए तो वहां वन्यजीवों का जमावड़ा देखने को मिलता है खासतौर पर बंदर, लंगूर, हिरण आदि का। इस बार मामला जुड़ा हुआ है लंगूरों से। वन विभाग की टीम ने पिछले दिनों झालाना के जंगलों से बड़ी संख्या में लंगूरों को पकड़ा था, जब इनकी जांच की गई तो पता चला कि लंगूरों के लिए चलना-फिरना तो दूर, वे अपने हाथ-पैरों से कुछ पकड़ तक नहीं पा रहे हैं। यह लंगूर हाइपरकेराटोसिस नामक एक क्रोनिक डिजीज के शिकार हो चुके हैं। जिसके चलते उनके हाथ पैरों में गहरे घाव हो गए हैं।

हाइपरकेराटोसिस एक क्रोनिक डिजीज है। जो लंगूरों में मीठा खाने से फैलती है। इस बीमारी में लंगूरों के हाथ पैर में घाव होने लगते हैं। यदि समय पर उनका इलाज नहीं किया जाए तो घाव फैलने लगता है और उनकी हालत इस कदर खराब हो जाती है कि वह अपने हाथ पैरों से कुछ पकड़ तक नहीं पाते उनके हाथ पैरों में गहरे घाव हो जाते हैं जिनमें मवाद पड़ने लगता है और यह गलने वाली स्थिति में आ जाते हैं।

गौरतलब है कि इस बीमारी से ग्रसित लंगूरों की संख्या उन इलाकों में अधिक है जहां आस-पास धार्मिक स्थल हैं। जहां श्रद्धालु आते हैं और चढ़ावे के रूप में मीठा जैसे गुड़, शक्कर, बताशे के साथ मखाने या अन्य मिठाई आदि चढ़ाते हैं। साथ ही, धार्मिक स्थलों के आस-पास घूम रहे लंगूरों को जाने अनजाने में खिला देते हैं। यहीं मीठा अब इन लंगूरों के लिए परेशानी बन गया है। लंगूर जंगल में स्वच्छंद रूप से रहने वाले वन्यजीव हैं। इनका भोजन भी पेड़ की पत्ती, फल-फूल आदि होता है लेकिन मानव सम्पर्क में आने के बाद फूड हैबिट में हो रहा बदलाव उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है।

झालाना वन क्षेत्र में करीब 10 दिन पूर्व वन विभाग की टीम ने इस क्षेत्र से लंगूरों को पकडऩे का काम शुरू किया था, तब से लेकर अब तक तकरीबन 60 लंगूरों का इलाज यहां किया जा चुका है। अभी भी तकरीबन 50 से अधिक लंगूरों को झालाना में रखा गया है जहां जयपुर जू के वेटरनरी डॉक्टर अशोक तंवर और उनकी टीम इन जानवरों का इलाज कर रही है। यहां लंगूरों को खाने के लिए ताजी हरी सब्जियां दी जा रही हैं। जयपुर जू के वेटरनरी चिकित्सक डॉ. अशोक तंवर ने कहा कि हमने आमजन से अपील की है कि वह वन्यजीवों को कुछ भी खाने के लिए नहीं दें। उन्होंने कहा कि उनकी टीम इनका इलाज कर रही है। 60 में से अधिक लंगूरों की स्थिति पहले से बेहतर है। जैसे ही यह पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।

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