बीवी की बेवफाई ने निगल ली इस सुपरस्टार की जिंदगी, जैसी चाही वैसी मौत मिली!

कभी वक़्त था जब नवीन निश्चल अमिताभ बच्चन से भी बड़े स्टार हुआ करते थे. निर्माता-निर्देशक ज्योति स्वरुप ने अपनी फिल्म “परवाना “के लिए उन्हें बिग बी से दुगुनी रकम दे कर साइन किया था. इस फिल्म में नवीन हीरो थे और अमिताभ बच्चन विलेन. ये जलवा था नवीन की कामयाबी का. लेकिन वक़्त ने जो करवट बदली उसमें वो पीछे छूट गए और बाद में अमिताभ के सामने ही कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करते नज़र आये.

जीवन के आखिरी दिनों में नवीन तमाम उलझनों और पचड़ों में फंसे थे. अपने भाई से संपत्ति को लेकर उनका विवाद खासा सुर्खियां बटोरता रहा. 2006 में उनकी पत्नी गीतांजली ने खुदकुशी कर ली थी और इस मामले में नवीन निश्चल को थाने के चक्कर काटने पड़े थे. हालांकि 2011 में उन्हें कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी थी. इसी दौरान उनके भाई ने उन्हें घर से निकाल दिया था और यह मामला भी काफी तूल पकड़ा था।निजी जीवन के इन झंझावातों ने उन्हें तोड़ कर रख दिया और इसी सदमें के कारण 19 मार्च 2011 को नवीन का मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

11 अप्रैल 1946 को जन्में नवीन निश्चल का बॉलीवुड में आगाज़ हुआ मोहन सहगल की फिल्म “सावन भादो “से इस फिल्म से रेखा भी अपनी फ़िल्मी पारी की शुरुआत कर रही थी. मोहन सहगल को उनके शुभचिंतकों ने कहा कि यह जोड़ी बेमेल है. उस समय अभिनेत्री बनने के लिए पहली आवश्यकता होती थी कि रंग गोरा हो. रेखा साँवली होने के साथ-साथ बदसूरत दिखाई देती थी. दूसरी ओर नवीन एकदम गोरे-चिट्टे थे और उनकी त्वचा दमकती थी.

मोहन ने किसी की बात नहीं सुनी और वही किया जो उनके दिल को अच्छा लगा. सावन भादो रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर सफल फिल्म साबित हुई. नवीन को पहली ही फिल्म में कामयाबी मिली और बॉलीवुड को नया हीरो मिल गया.

इस कामयाबी के साथ ही नवीन के घर निर्माताओं की लाइन लग गई और नवीन ने बिना सोचे समझे ढेर सारी फिल्में साइन कर ली इनमें “विक्टोरिया नंबर 203” और “धुंध” खुब हिट हुई. 1971 में उनकी 6 फिल्में रिलीज हुई. जिसमें से बुड्ढा मिल गया को ही औसत सफलता मिली.

नवीन को समझ में आ गया कि उन्होंने गलती की है. लेकिन इसका उनके करियर पर गंभीर असर हुआ. नवीन ने जब करियर आरंभ किया था तब वह दौर रोमांटिक फिल्मों का था. राजेश खन्ना सुपरस्टार थे और लोग उनके दीवाने थे. नवीन निश्चल के अभिनय में राजेश खन्ना की झलक देखने को मिलती है.

इसलिए उन्हें उन निर्माताओं ने साइन कर लिया जो राजेश को अपनी फिल्मों में नहीं ले सकते थे. इसलिए उन्हें गरीबों का राजेश खन्ना कहा जाने लगा. नवीन का अभिनय रोमांटिक और फैमिली ड्रामा में ज्यादा सहज नजर आता था. ऐसा लग रहा था कि वे बतौर हीरो लंबी पारी खेल सकेंगे, लेकिन अचानक हिंसात्मक फिल्मों की बॉलीवुड में भरमार हो गई. शोले और जंजीर जैसी फिल्मों की कामयाबी से निर्माता-निर्देशकों का ध्यान एक्शन फिल्मों की ओर चला गया और नवीन जैसे अभिनेता हाशिये पर चले गए.

उनके बारे में कहा जाता है की उन्होने अपने अभिनय का तरीका नहीं बदला और वो एक खास किस्म के रोल को ही तवज्जो देते रहे. इसलिए इंडस्ट्री के लिए अप्रासंगिक हो गए. एक्शन भूमिकाओं में नवीन फिट नहीं बैठते थे. लिहाजा नवीन ने चरित्र भूमिकाएँ निभाना शुरू की और परदे पर वे नजर आते रहे.

बाद में वो चरित्र अभिनेता के तौर पर राजू बन गया जेंटलमेन, खोसला का घोंसला जैसी फिल्मों में नज़र आते रहे. उनके द्वारा अभिनीत टीवी धारावाहिक ‘देख भाई देख’ भी काफी पॉपुलर हुआ था. आख़िरी दिनों में उनके अपनों ने ही उनके खिलाफ षड़यंत्र रचना शुरू कर दिया जिसमें उनकी पत्नी से लेकर भाई तक सब शामिल थे. निजी पारिवारिक जीवन की कलह ने उन्हें मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित किया और अंततः यही उनके हार्टअटैक का वजह बना.

19 मार्च 2011 को नवीन मुंबई से पुणे जा रहे थे. अपने दोस्त गुरमीत और रणधीर कपूर के साथ होली मनाने. रणधीर उन्हें पुणे के रास्ते में मिलने वाले थे. इससे पहले कि वो मुलाक़ात हो पाती नवीन की अचानक आई हार्ट अटैक से मौत हो गई. नवीन हमेशा से ही क्विक और पेनलेस डेथ चाहते थे. ये उनके खुद के शब्द थे. उनकी ये चाहत ईश्वर ने बाखूबी पूरी की.

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