भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी ताकत, फ्रांस से उड़कर सीधे भारत पहुंचे तीन और राफेल

  • तीनों लड़ाकू विमान फ्रांस से उड़कर सीधे जामनगर एयरबेस पर उतरे
  • ​​संयुक्त अरब अमीरात​ वायुसेना ​ने ​ती​​नों राफेल को हवा में ही ​दिया ​ईंधन


नई दिल्ली, )। ​भारतीय वायु सेना के ​लड़ाकू विमानों ​के ​बेड़े में शामिल होने के लिए फ्रांस से 7000 किलोमीटर से अधिक की उड़ान ​पूरी करके तीन और फाइटर जेट राफेल​ बुधवार की शाम ​भारत पहुंचे हैं। ​गुजरात के जामनगर एयरबेस पर ​तीन विमानों का यह ​तीसरा ​बैच आने के बाद ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों में जुटी वायुसेना के पास 11 राफेल हो ​गए हैं​। चीन के साथ सैन्य तनाव के बीच​ फ्रांस से राफेल जेट की लगातार आपूर्ति से भारतीय वायुसेना की क्षमता ​में इजाफा हो रहा है। भारतीय वायुसेना चीन के साथ लगी पूर्वी लद्दाख की सीमा पर किसी भी उकसावे से निपटने के लिए हाई अलर्ट पर है।

फ्रांसीसी कम्पनी से पांच राफेल जेट का पहला जत्था 29 जुलाई को अबू धाबी के पास अल ढफरा एयरबेस में एक स्टॉपओवर के बाद अंबाला एयरबेस पहुंचा था। भारतीय वायुसेना ने औपचारिक रूप से इन फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में दस सितम्बर को शामिल किया था। इसके बाद तीन राफेल फाइटर जेट्स का दूसरा बैच नवम्बर की शुरुआत में फ्रांस से सीधे गुजरात के जामनगर एयरबेस पर पहुंचा था। भारत ने इन फाइटर जेट्स को भी ऑपरेशनल करके चीन और पाकिस्तान के मोर्चों पर तैनात किया है। ​​आज भारत पहुंचे इन विमानों ​ने मंगलवार ​को फ्रांस से​ उड़ान भरी थी​।​​ भारत तक ​​7000 किलोमीटर से अधिक की उड़ान ​के दौरान ​रास्ते में तीनों फाइटर जेट को ​​संयुक्त अरब अमीरात​ की वायुसेना ने हवा में ही ईंधन दिया​​।​ भारतीय वायुसेना ने इस टैंकर समर्थन के लिए यूएई ​एयरफ़ोर्स की सराहना की है​​।​​ तीनों राफेल जेट देर शाम को ​​गुजरात के जामनगर एयरबेस पर ​​उतरे हैं​।​​

पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया जा रहा है। इसका सॉफ्टवेयर अपडेट करने के लिए निर्माता कंपनी एमबीडीए को वापस भेजा गया है ताकि इस सबसोनिक हथियार के जरिये समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊंचाई तक निशाना लगाया जा सके। हवा से सतह पर मार करने वाली 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक 450 किलोग्राम के वारहेड ले जाने वाली यह मिसाइल राफेल का हिस्सा है। वायुसेना को हर दो महीने में तीन से चार जेट्स फ्रांस से मिलेंगे। सभी 36 विमानों की आपूर्ति साल के अंत तक होने और इनके वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में शामिल होने की संभावना है। राफेल जेट्स की पहली स्क्वाड्रन अम्बाला एयरबेस में बनाई गई है जबकि दूसरी स्क्वाड्रन पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पश्चिम बंगाल के हासीमारा में होगी।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के राजनयिक सलाहकार इमैनुअल बोने इसी माह की शुरुआत में भारत के दौरे पर आये थे। उन्होंने भारत में निवेश बढ़ाने के लिए फ्रांसीसी सरकार की ओर से पेशकश की है। फ्रांसीसी रक्षा कम्पनी डसॉल्ट एविएशन ‘मेड इन इंडिया’ के तहत भारत में 100 से अधिक राफेल लड़ाकू जेट का निर्माण करना चाहती है लेकिन भारत 36 जेट विमानों की आपूर्ति होने के बाद इस बारे में निर्णय करेगा।

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