भारत के बाद अब चीन ने भी तिब्‍बत में तैनात अपने सैनिकों को दी नई राइफल

पेइचिंग
भारत के अपने अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों को अत्‍याधुनिक अमेरिकन राइफल देने के बाद अब चीन ने भी तिब्‍बत में तैनात अपने सैनिकों को नई राइफल दी है। चीन की इस नई राइफल का नाम QBU-191 है। चीनी ड्रैगन के सरकारी भोंपू का दावा है कि इस नई राइफल से लंबी दूरी तक सटीक वार किया जा सकता है। चीन की इस नई राइफल का अब सोशल मीडिया में जमकर मजाक उड़ रहा है।

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि यह राइफल लद्दाख के बेहद ठंडे माहौल में भी सटीक हमला कर सकती है। यह राइफल अब चीन की QBU-88 स्‍नाइपर राइफल की जगह लेगी। चीन ने कहा कि इस राइफल को सबसे पहले स्‍पेशल ऑपरेशन फोर्सेस को दिया जाएगा। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने बताया कि चीन ने पहले ही भारत की कार्रवाई के बाद H-6 बॉम्‍बर और वाई-20 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को तैनात कर रखा है।

सोशल मीडिया में जमकर मजाक उड़ रहा
इस बीच चीन की नई राइफल का अब सोशल मीडिया में जमकर मजाक उड़ रहा है। भारतीय चीनी सेना का जमकर मजाक उड़ा रहे हैं। भारतीय यूजर्स का कहना है कि युद्ध साहस से लड़ा जाता है न कि हथियारों से। यूजर्स ने चीन के घटिया सामानों की तस्‍वीर पोस्‍ट की और कहा कि चीनी सामानों की गुणवत्‍ता बेहद घटिया रहती है।

दीपक ने लिखा, ‘आप पीएलए को ठंड से बचाव वाले कपड़े दे सकते हो। आप उन्‍हें असाल्‍ट राइफल दे सकते हो। आप उन्‍हें घटिया पटाखे दे सकते हो लेकिन आप उन्‍हें जाबांज भारतीय सेना के खिलाफ लड़ने का साहस नहीं दे सकते हो जो अपने दुश्‍मनों के खिलाफ कोई दया नहीं दिखाते हैं।’ बता दें कि ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत-चीन तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने इंडियन आर्मी के लिए 72 हजार और अमेरिकी सिग सॉर असॉल्ट राइफल की खरीद को मंजूरी दी है।

इंडियन आर्मी को अमेरिकी असॉल्ट राइफल का पहला बैच मिला
रक्षा अधिग्रहण काउंसिल (डीएसी) की मीटिंग में सिग सॉर के लिए 780 करोड़ रुपये को मंजूरी दी गई। उधर रक्षा मंत्रालय ने नई रक्षा अधिग्रहण पॉलिसी को भी मंजूरी दी है। नई अधिग्रहण पॉलिसी के तहत सेना कई रक्षा उपकरण लीज पर भी ले सकते हैं इससे उन्हें खरीदने में लगने वाला वक्त बचेगा साथ ही कीमत भी कम होगी। आर्मी को अमेरिकी इस असॉल्ट राइफल का पहला बैच यानी 72 हजार राइफल पहले ही मिल चुकी हैं और अब और 72 हजार राइफल मिलेंगी।

यह आधुनिक असॉल्ट राइफल हैं और इन्हें पहले काउंटर टेररिजम ऑपरेशन वाले इलाकों में इस्तेमाल करने के लिए लिया गया था। फिलहाल एलएसी पर तैनात सैनिकों के पास भी यह असॉल्ट राइफल हैं। भारत ने फास्ट ट्रैक प्रॉक्योरमेंट (एफटीपी) के तहत यह असॉल्ट राइफल ली हैं। ये असॉल्ट राइफल मौजूदा इंसास राइफल को रिप्लेस करेंगी। इंसास को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने बनाया था। सिग सॉर आधुनिक असॉल्ट राइफल हैं। इसका 16 इंच का बैरल है और कैलिबर 7.22 एमएम है। जबकि इंसास का कैलिबर 5.56 एमएम है। जितना ज्यादा कैलिबर उतना ज्यादा घातक।

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