मुश्किल में इमरान सरकार! ‘आजादी मार्च’ वाले मौलाना फजलुर रहमान ने फिर सम्भाला मोर्चा

पाकिस्तान की इमरान सरकार मुश्किल में फंस गई है. विपक्ष ने सरकार के खिलाफ बड़ा दांव खेला है. जमीयत उलेमा-ए इस्लाम (एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान को पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) का प्रमुख बनाया है. ये वही फजलुर रहमान हैं जिन्होंने इमरान सरकार के खिलाफ एक साल पहले आजादी मार्च निकाला था और लाखों लोगों की भीड़ लेकर इस्लामाबाद पहुंचे थे. अब उनको पीडीएम का प्रमुख बनाया गया है तो इमरान सरकार के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है.

मीडिया की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. विपक्षी पार्टियों की एक ऑनलाइन बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया. इस बैठक में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी, बीएनपी प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया. 

‘डॉन’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार पीडीएम की संचालन समिति के संयोजक एहसान इकबाल और पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ ने गठबंधन के अध्यक्ष के रूप में रहमान के नाम का प्रस्ताव दिया और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल और अन्य ने इसका समर्थन किया. खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शरीफ ने शुरू में प्रस्ताव दिया था कि रहमान को स्थायी आधार पर अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए लेकिन बिलावल और अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के नेता अमीर हैदर होती ने इस विचार का विरोध किया और सुझाव दिया कि अध्यक्ष पद घटक दलों के नेताओं को बारी-बारी से दिया जाना चाहिए. 

खबर के अनुसार नेताओं के बीच एक समझौता हुआ कि रहमान को पहले चरण में पीडीएम का नेतृत्व करना चाहिए क्योंकि उन्होंने पहले ही पिछले साल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी नीत सरकार के खिलाफ आजादी मार्च का नेतृत्व किया था. ज्यादातर प्रतिभागियों की राय थी कि निरंतरता बनाए रखने के लिए, यह आवश्यक है कि पीडीएम अध्यक्ष सहित प्रमुख पदाधिकारियों का कार्यकाल चार से छह महीने से अधिक न हो. इकबाल ने कहा कि यह फैसला लिया गया कि 11 दलों के गठबंधन में तीन मुख्य पार्टियां बारी-बारी से पीडीएम के तीन शीर्ष पदों को साझा करेगी. पीडीएम के उपाध्यक्ष और महासचिव पद क्रमश: पीएमएल-एन और पीपीपी को दिये जायेंगे. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने संविधान के सर्वोपरि होने, लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायपालिका और पाकिस्तानियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है. देश की 11 विपक्षी पार्टियों ने 20 सितम्बर को पीडीएम के गठन की घोषणा की थी.

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