यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने 12-17 साल के बच्चों के लिए दी मॉर्डना की वैक्सीन को मंजूरी

कोरोना महामारी के बचाव के लिए बच्चों को भी वैक्सीन लगाने की उठ रही मांग के बीच राहत की खबर है।यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने शुक्रवार को 12 से 17 साल के बच्चों के लिए मॉडर्ना के वैक्सीन स्पाइकवैक्स को मंजूरी दे दी।यूरोपीय संघ के दवा नियामक EMA ने कहा कि वैक्सीन की प्राभाविकता की जांच के लिए 3,732 बच्चों पर किए गए अध्ययन में यह प्रभावी पाई गई है। ऐसे में इसका उपयोग किया जा सकता है। 

व्यस्कों के समान मिली है वैक्सीन की प्रभाविकता- EMA

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, EMA ने कहा कि वैक्सीन की प्रभाविकता की जांच में शामिल 12-17 साल के 3,732 बच्चों में से 2,163 को वैक्सीन की खुराक दी गई थी, जबकि 1,073 बच्चों को इसका प्लेसबो दिया गया था।इसमें सामने आया कि वैक्सीन लेने वाला कोई भी बच्चा कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुआ, जबकि प्लेसबो लेने वाले चार बच्चों में हल्के संक्रमण नजर आए। ऐसे में यह व्यस्कों के समान प्रभावी रही है।जानकारी

चार सप्ताह के अंतराल में दी गई थी दो खुराकें

EMA ने बताया कि बच्चों पर किए गए स्पाइकवैक्स वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में बच्चों को वैक्सीन की पहली खुराक देने के बाद उनकी चार सप्ताह पर निगरानी की गई थी। इसके बाद उन्हें वैक्सीन की दूसरी खुराक देकर निगरानी की गई थी।परिणाम

CHMP ने निकाला वैक्सीन पर निष्कर्ष

EMA ने कहा कि वैक्सीन पर किए गए अध्ययन के परिणामों के आधार पर मानव उपयोग के लिए औषधीय उत्पादों के लिए समिति (CHMP) ने निष्कर्ष निकाला है कि स्पाइकवैक्स वैक्सीन की प्रभाविकता व्यस्कों के समान है और इसका 12-17 के बच्चों पर उपयोग किया जा सकता है।इसी तरह वैक्सीन के इंजेक्शन स्थल पर दर्द और सूजन, सिरदर्द, मतली, उल्टी और बुखार जैसे सामान्य दुष्परिणाम सामने आए हैं। हालांकि, कुछ दिन बाद यह ठीक हो गए।अस्पष्ट

वॉलेंटियरों की सीमित संख्या के कारण गंभीर दुष्परिणामों का नहीं चला पता- EMA

EMA ने कहा कि ट्रायल में वॉलेंटियरों की सीमित संख्या के कारण वैक्सीन के गंभीर और अति गंभीर दुष्प्रभावों का पता नहीं चल सका या हृदय की मांसपेशियों की सूजन जैसे ज्ञात दुष्प्रभावों के खतरों का अनुमान नहीं लगाया जा सका है।EMA ने जोर देकर कहा कि वयस्कों में निर्धारित समग्र सुरक्षा की तुलना में किशोर किशोरों में स्पाइकवैक्स के लाभ खतरों से अधिक हैं। ऐसे में किशोरों की सुरक्षा के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।लाभ

अब तक फाइजर की वैक्सीन का ही किया जा रहा था उपयोग

EMA द्वारा मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के बाद बच्चों में वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन का एक और विकल्प मिल जाएगा।अब तक उत्तर अमेरिका और यूरोप में ही बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है। इसमें फाइजर की वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है।ऐसे में अब अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के लिए मॉडर्ना की वैक्सीन का इस्तेमाल करने पर भी विचार शुरू कर दिया है।भारत

भारत में बच्चों पर चल रहा है दो वैक्सीनों का ट्रायल

बता दें कि भारत में जायडस कैडिला और भारत बायोटेक की वैक्सीनों का बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है।गत दिनों सरकार ने बताया था कि जायडस कैडिला का ट्रायल पूरा हो चुका है और भारत बायोटेक का ट्रायल जारी है। वह भी जल्द ही पूरा जाएगा। इसके बाद सरकार मंजूरी के आधार पर बच्चों में वैक्सीनेशन के लिए नीति तैयार करेगी।बता दें कि भारत में 525 बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल किया जा रहा है।

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