
नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की मांग पर अड़े किसान संगठनों के तेवर और तल्ख हो चले हैं। बुधवार को दिनभर चली बैठकों के बाद शाम को किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने की घोषणा की। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि प्रस्तावों को अच्छी तरीके से पढ़ने के बाद इसे खारिज करने का फैसला हुआ है। हालांकि ये जरूर कहा गया कि अगर केंद्र सरकार आगे कोई प्रस्ताव भेजती है, तो उस पर विचार किया जाएगा। किसान यूनियनों ने अगले हफ्ते से आंदोलन को पूरे देश में तेज करने की चेतावनी दी है। आइए समझते हैं कि किसान किन वजहों से सड़कों पर हैं और सरकार ने अबतक उनकी चिंताएं दूर करने के लिए क्या कहा है।

सरकार बनाम किसान: कब दूर होगा गतिरोध?
केंद्र सरकार के प्रस्ताव को किसान यूनियनों ने ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है। किसानों अपनी दो प्रमुख मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। जिनमें तीनों नए कानूनों की पूरी तरह वापसी और एमएसपी की गारंटी वाला कानून शामिल है। किसान प्रस्तावित बिजली संशोधन कानून को भी वापस लिया जाना चाहते हैं। इसके अलावा नए अध्यादेश में पराली जलाने पर पेनाल्टी के प्रावधान को खत्म करना भी किसानों की मांगों में शामिल है। सरकार ने इसके जवाब में कहा है कि किसानों के लिए टैरिफ सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पराली जलाने को लेकर सरकार ने कहा है कि वह ‘उचित हल’ निकालेगी। किसान यूनियनों ने कई चिंताएं जाहिर की हैं और उनपर सरकार के आश्वासन भी आए हैं। वे क्या हैं, आइए जानते हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों को क्या है डर?
नए कानूनों को लेकर किसानों के बीच में जो डर प्रमुख हैं, वे हैं
- खरीद के लिए एमएसपी की व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी।
- निजी मंडियों के लाभ के लिए APMCs को कमजोर किया जाएगा।
- APMC मंडियों के बाहर कोई भी व्यापार कर सकेगा।
- विवाद की स्थिति में दीवानी न्यायालय जाने का अधिकार नहीं।
- बड़े कॉर्पोरेट किसानों की जमीन हथिया लेंगे।
- ‘कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग’ कानून के तहत रजिस्टर नहीं कर सकते।
- कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन हुआ तो जमीन सीज हो सकती है।
केंद्र सरकार ने क्या दिए आश्वासन?
केंद्र सरकार कह रही है कि उसने खुले दिन से किसानों की चिंताएं दूर करने की कोशिश की है। बुधवार को एक बार फिर किसान संगठनों से धरना खत्म करने की अपील की गई।
किसानों ने क्या-क्या करने की दी है चेतावनी?
किसान सरकार के प्रति काफी नाराज रुख बना चुके हैं। उन्होंने देशभर में रिलायंस और अडानी के उत्पादों का भी बहिष्कार करने की बात कह दी। साथ ही 14 दिसंबर को देशभर में सभी जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन की बात कही। कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित दूसररे राज्यों में जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर धरने दिए जाएंगे। जो लोग धरने में शामिल नहीं होंगे, वे दिल्ली कूच करेंगे। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि 12 तारीख को देशभर के सभी टोल प्लाजा को फ्री कर दिया जाएगा। इसके अलावा, उद्योगपति- अडानी, अंबानी से जुड़े उत्पादों का बहिष्कार भी किया जाएगा। किसानों ने कहा कि वे रिलायंस जियो के सिम का भी बहिष्कार करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि वह बीजेपी के सभी मंत्रियों का भी बहिष्कार करेंगे।














