अप्रैल से अब तक 3,261 बच्चे हुए अनाथ, 26,000 ने माता या पिता को गंवाया : आयोग

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में बताया है कि इस साल अप्रैल से लेकर 5 जून तक 3,000 से अधिक बच्चे अनाथ हुए हैं और 26,000 से ज्यादा बच्चों के माता-पिता में से किसी एक की मौत हो चुकी है।अप्रैल-मई ऐसा समय था, जब देश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर कहर बरपा रही थी।हालांकि, आयोग ने साफ किया कि सभी बच्चों के माता-पिता की मौतें कोरोना से संबंधित नहीं हैं। 

30,000 से अधिक बच्चों को देखभाल की जरूरत- आयोग

आयोग ने बताया कि बीते लगभग दो महीनों के दौरान देशभर में 3,261 बच्चे अनाथ हुए हैं। 26,176 के माता-पिता में से किसी एक की मौत हुई है और 274 बच्चों को उनके माता-पिता ने छोड़ दिया है।आयोग ने बताया कि कुल 30,071 बच्चों को देखभाल और सरंक्षण की जरूरत है, जिनमें से 15,620 लड़के, 14,447 लड़कियां और चार ट्रांसजेंडर्स हैं।इनमें से 11,815 बच्चों की उम्र 8-13 और 5,107 बच्चों की उम्र 4-7 साल के बीच है। 

सुप्रीम कोर्ट ने लिया था मामले का स्वत: संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के बाल स्वराज पोर्टल पर ये आंकड़े साझा किए हैं।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संकट के चलते अनाथ हुए बच्चों को लेकर 28 मई को स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी।उस दौरान कोर्ट ने राज्यों को कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने और जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने के आदेश दिए थे।
कोरोना संकट

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा बच्चों को देखभाल की जरूरत

राज्यवार आंकड़ों पर नजर डालें तो महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 7,084, उत्तर प्रदेश में 3,172, राजस्थान में 2,482 और हरियाणा में 2,438 बच्चों को देखभाल और सरंक्षण की जरूरत है। इनके अलावा मध्य प्रदेश और केरल में ऐसे बच्चों की संख्या 2,000 से अधिक है।दिल्ली और पश्चिम बंगाल को आंकड़े न देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी।आयोग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में दायर किया गया यह दूसरा हलफनामा है।देखभाल

आयोग ने बच्चों की सुरक्षा के लिए ये सुझाव

इससे पहले आयोग ने अपने हलफनामे में महामारी में माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों के लिए उन्हें एक माता-पिता के साथ रखने और सरकार की ओर से आवश्यक वित्तीय सहायता सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ देने का सुझाव दिया था।इसके अलावा आयोग ने बच्चों की स्कूल शिक्षा को प्रभावित न होने देने सुझाव देते हुए कहा कि इसके लिए राज्य सरकारों के साथ जिला शिक्षा अधिकारियों को भी उचित कदम उठाने होंगे।ऐलान

केंद्र ने ऐसे बच्चों के लिए की कई घोषणाएं

आयोग ने हलफनामे में बताया कि केंद्र सरकार ने प्रभावित बच्चों को संबल प्रदान करने के लिए पीएम केयर्स फंड से कई अहम घोषणाएं की है।सरकार ने अनाथ हुए बच्चों के लिए ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना चलाने का निर्णय किया है।इसमें अनाथ बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक स्टाइपेंड और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये भुगतान दिया जाएगा। इसी तरह उनकी शिक्षा के लिए भी कई घोषणाएं की थी।

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