…तो क्या मुरीदपुर हत्याकांड के आरोपित को जमीन निगल गयी?


*चौबेपुर थाना क्षेत्र का मुरीदपुर हत्याकांड*
*चाचा ने कुल्हाड़ी से काट दी थी भतीजे की गर्दन*

वाराणसी-प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र मे अपराध के बढ़ते ग्राफ को देखकर जनपदवासी स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।जनपद मे बढ़ती चोरी,छिनैती,चेन स्नैचिंग,हत्या आदि की घटनाओं मे लगातार इजाफा हो रहा है।उपरोक्त दावा हम नही बल्कि जनपद के वे लोग कर रहे हैं जो इसके भुक्तभोगी हैं।जनपद मे बढ़ता क्राइम का ग्राफ जनता के दावों पर मुहर लगा रहा है।जनपद मे क्राइम होने के बाद पुलिस की सक्रियता का आलम क्या है इसे समझने के लिए सिर्फ एक उदाहरण चौबेपुर क्षेत्र का मुरीदपुर हत्याकांड ही काफी है।इतना ही नही बल्कि अब चौबेपुर क्षेत्र के लोग चौबेपुर पुलिस की कार्य प्रणाली पर ही सवालिया निशान लगा रहे हैं।इसके पीछे क्षेत्रीय लोगों का तर्क है कि बीते 17 अक्टूबर की भोर मे हुए मुरीदपुर हत्याकांड का आरोपी हत्या के लगभग दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुलिस की पहुँच से दूर है और उसे पकड़ने की पुलिस की सारी कबायदें ढाक के तीन पात ही साबित हो रही है।काफी मशक्कत  के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है।

ग्रामीणों की माने तो चौबेपुर की पुलिस ने मृतक की तेरहवीं बीतने के पहले ही हत्यारोपित को पकड़ने का दावा किया था लेकिन घटना के दो सप्ताह से अधिक समय बीतने के बाद भी हत्यारोपित का अभी तक न पकड़ा जाना कही न कहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान लगाता है।ऐसे मे क्षेत्रीय ग्रामीणों द्वारा पुलिस की कार्य प्रणाली को सवालों के घेरे मे लाने को सिरे से खारिज भी नही किया जा सकता।

यह था मुरीदपुर हत्याकांड –

चौबेपुर थाना क्षेत्र के मुरीदपुर गाँव मे एक चाचा ने बीते 17 अक्टूबर की भोर मे अपने ही दो सगे नाबालिग भतीजों पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया था। इलाज के दौरान उसी दिन बड़े भतीजे सूरज चौबे(17 वर्ष) की मौत हो गयी थी और बड़े भाई को बचाने के चक्कर मे छोटा भाई व हत्यारोपित का छोटा भतीजा बादल (14 वर्ष) गम्भीर रूप से घायल हो गया था।बादल आज भी अस्पताल मे जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है।जबकि हत्यारोपित घटना के बाद ही फरार हो गया जिसे आज तक नही पकड़ा जा सका।घटना के बाद चौबेपुर पुलिस ने हत्यारोपित की पत्नी को गिरफ्तार करने के बाद हत्यारोपित को गिरफ्तार करने की जहमत नही उठाई।

खोखले निकले पुलिस के दावे व खुलासे-*हलांकि चौबेपुर पुलिस ने घटना के बाद उसी दिन रात मे घटना का खुलासा कर दिया लेकिन पुलिस ने घटना के खुलासे की स्टोरी परिजनों व ग्रामीणों के गले नही उतरी ऐसे मे मुरीदपुर के लोगों व मृतक के परिजनों को इस बात का इंतजार है कि जब हत्यारोपित को पुलिस गिरफ्तार कर लेगी तो पूँछताछ के दौरान हत्याकांड की असली वजह सबके सामने आ सकेगी।

लेकिन ऐसा हो न सका और बड़े बड़े माफियाओं व अपराधियों को पकड़ने का दम्भ भरने वाली जनपद की पुलिस मुरीदपुर हत्याकांड के हत्यारोपित को लगभग 17 दिनों बाद भी नही पकड़ सकी।उल्लेखनीय है कि घटना के बाद उसी दिन  घटना स्थल पर वाराणसी के  एसएसपी  भी पहुँचे थे और मीडिया कर्मियों को भरोसा दिलाया था कि जल्द ही हत्यारोपित पुलिस के शिकंजे मे होगा।ऐसा ही बयान और दावा चौबेपुर थानाध्यक्ष का भी था।लेकिन दोनों ही पुलिस अधिकारियों के दावे खोखले ही साबित हुए और घटना के 17 दिनों बाद भी हत्यारोपित पुलिस की पहुँच के बाहर है और पुलिस अंधेरे मे तीर चला रही है।

घटना के खुलासे के बाद भी विवेचना जारी-

इस सम्बंध मे जनपद की पुलिस का आज भी यही दावा था कि मुरीदपुर हत्याकांड मे अभियोग पंजीकृत कर साक्ष्य संकलन एवं अन्य विवेचनात्मक कार्यवाही की जा रही है।ऐसे मे लोग पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं कि मृतक सूरज के छोटे भाई बादल की गवाही के बाद व घटना के खुलासे के बाद क्या हत्यारोपित को पकड़ना जरूरी नही?घटना के खुलासे के बाद विवेचना जरूरी या फिर अपराधी का पकड़ा जाना?

मीडिया कर्मियों का फोन रिसीव नही करते कप्तान!

जनपद मे बढ़ रहे अपराध के ग्राफ पर यदि कोई मीडिया कर्मी जनपद के कप्तान से बात करने की कोशिश करता है तो  जनपद के एसएसपी मीडिया कर्मियों का फोन तक रिसीव करना मुनासिब नही समझते काल बैक करने का तो सवाल ही नही उठता।जब कप्तान के द्वारा मीडियाकर्मियों का फोन रिसीव नही किया जाता तो आम पब्लिक की बात कप्तान से कैसे होती होगी यह तो वही जाने।

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