उन्नाव : प्रधानमंत्री ने सस्ती दर पर अच्छी दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जन औषधि केंद्र खुलवाए थे। जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र में आठ माह से ताला बंद हैं। नतीजतन मरीजों को सस्ती दवा नहीं मिल रही। कमीशन के फेर में डॉक्टर मरीजों को बाहर से दवा लिख रहे हैं। जन औषधि केंद्र में तालाबंदी का मामला विधानसभा अध्यक्ष के दरबार में पहुंच गया है।
जन औषधि केंद्र में लगभग आठ माह से ताला बंद चल रहा है। जिससे मरीजों को सस्ती दवा नहीं मिल पा रही है। इसका सीधा लाभ निजी दवा कंपनियों के एमआर उठा रहे हैं। सरकारी अस्पताल में गिनी चुनी दवाओं के सहारे हर बीमारी का इलाज किया जा रहा है। इससे मरीजों को समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। मजबूर होकर वह डॉक्टरों से अच्छी दवा लिखने को कहते हैं डॉक्टर जन औषधि केंद्र बंद होना बता बाहर से दवा लिख देते हैं। जिससे मरीजों को बाहर से महंगी दवा खरीदनी पड़ती है।
दवा कारोबार से जुड़े जानकार लोगों का कहना है कि जन औषधि केंद्र बंद हो जाने से दवा मोनोपोली का धंधा अस्पताल के डॉक्टरों के सहारे फल फूल रहा है। जानकारों का कहना है कि कुछ कंपनियों के एमआर और डॉक्टरों के बीच कमीशन तय हो जाता है जिससे डॉक्टर साल्ट न लिख दवा का नाम लिखते हैं वह अस्पताल के सामने एक ही दवा स्टोर पर प्रिट रेट पर मिलती है जबकि अगर डॉक्टर साल्ट लिख दें तो खुले बाजार में वह दवा काफी सस्ती मिल सकती है।
अधिवक्ता ने उठाई जन औषधि केंद्र संचालित कराने की मांग
अधिवक्ता शैलजा शरण शुक्ल ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, डीएम और सीएमओ को पत्र भेजकर मरीजों की समस्या बता जन औषधि केंद्र को चालू कराने की मांग की है।
जन औषधि केंद्र बंद होने से मरीजों को हो रही परेशानी का हवाला देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र लिख चुका हूं। जन औषधि केंद्र के टेंडर और नवीनीकरण का मामला बता उसे जल्द चालू करने का आश्वासन मिला है।
डॉ. बीबी भट्ट, सीएमएस