
क़ुतुब अन्सारी
बहराइच। काशी की तरह बहराइच में भी भैरव बाबा विराजमान हैं। शहर के स्वर्ग धाम में बाबा श्री काल भैरव का मन्दिर स्थापित है। बाबा के भक्त इन दिनों माँ कामाख्या साधक अघोरी बाबा भैरव गौरव जी महाराज के कृपा निर्देशन व शाक्ताचार्य ईशान की देख रेख में मन्दिर स्थापना का तृतीय वार्षिकोत्सव बड़ी ही धूम धाम और श्रद्धा के साथ मना रहे हैं. नौ दिवसीय वार्षिकोत्सव में साम्राज्याभिषेक के सप्तम दिन भक्तों ने बाबा का मधु से अभिषेक किया। ततपश्चात मन्दिर के गर्भ गृह के चारों तरफ आठ आठ ईख के खम्भ लगाकर मण्डप बनाया गया व कपड़ों से साज सज्जा की गई थी।
मन्दिर के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ केले के पौधे का खम्भ लगाया गया है जिसे लाल कपड़ों से लपेटा गया है. दोनों खम्भों के बीच में सात कच्चे नारियल भी बांधे गए हैं. अघोरी बाबा भैरव गौरव जी महाराज ने बताया कि ईख ऐश्वर्य का प्रतीक और देवी का अस्त्र होता है. उन्होंने बताया कि. असुरों का वध करने के लिये शक्ति ने ईख का प्रयोग किया था इसलिये पूजन में ईख का विशेष महत्व है। मन्दिर के प्रवेश द्वार पर लगे केले के खम्भ के विषय में बताते हुए कहा कि दाहिना केले का खम्भ ब्रह्मा तो बायां खम्भ आदिदेव महादेव का स्वरूप है जबकि बीच में बंधा नारियल जगत के पालनहार नारायण अर्थात भगवान विष्णु का स्वरूप है। उन्होंने भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाने वाले काल भैरव के नाम का अर्थ भी समझाया। कहा कि काल का मतलब है मृत्यु, भय और अंत, जबकि भैरव का अर्थ है जिसे डर पर जीत हासिल हो। ऐसी मान्यता है कि काल भैरव का पूजन करने से मृत्यु का डर दूर होता है और दुखों से मुक्ति मिल जाती है। काल भैरव का नियमित दर्शन मात्र से ही बाबा अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं।










