कैंसर से जूझ रहे मीरपुर के वाशिंदों ने जिलाधिकारी से की पानी के जांच की मांग

पिछली दो तीन सालों में काल के गाल में समा चुके हैं कई लोग
प्रवीण पाण्डेय/अनिरुद्ध दुबे
किशनी/मैनपुरी- करीब तीन सौ की जनसंख्या वाला गांव मीरपुर आज कैंसर के अनजान डर से कराहने लगा है। गांव के लोगों को अब कोई भी बीमारी कैंसर की याद दिलाने लगती है। विकासखण्ड की ग्रामसभा ढकरोई का मजरा मीरपुर के लोग आज कैंसर जैसे खतरनाक रोग से भयभीत है। उनका कहना है कि करीब तीन सौ की आबादी वाले गांव में पिछले तीन चार सालों में करीब पांच लोग कैंसर के कारण ही असमय काल के गाल में समा चुके हैं। 55 वर्षीय रमाकान्त तिवारी पुत्र रामबहादुर बताते हैं कि वह स्वयं भी कैंसर जैसी लाइलाज, खतरनाक तथा जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। हालांकि सभी लोग उनके जितने खुशसनसीब नहीं थे। ग्रामीणों ने बताया कि करीब चार वर्ष पूर्व साठ वर्षीय सरोज पत्नी रामदीन को लिवर का कैंसर हुआ था। जिसमें उनकी मृत्यु हो गई थी। उसके बाद करीब दो वर्ष पूर्व पचास वर्षीय शीतला देवी पत्नी रामप्रसाद तिवारी की पत्नी को स्तन कैंसर हुआ और उनकी मृत्यु हो गई।

इसके बाद पचास वर्षीय विजय कुमारी पत्नी रामपाल दुबे की किड़नी में कैंसर हुआ और वह काल कवलित हो गई। करीब पन्द्रह दिन पूर्व जगदीश तिवारी पुत्र रामसेवक भी गले के कैंसर के कारण चल बसे। उनकी पत्नी ममता देवी पत्नी स्व0 जगदीश तिवारी भी फेफडों के कैंसर से पीड़ित हैं। हालात बेहद नाजुक है। मीरपुर से एक किलोमीटर दूर स्थित गांव ढकरोई निवासी अरूण पुत्र सालिगराम की मृत्यु भी तीन माह पूर्व लिवर के कैंसर के कारण हुई थी। इतनी सारी घटनाओं के बाद अब गांव के लोगों में दहशत का माहौल ब्याप्त हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब भी कोई बीमार होता है तो वह कैंसर जैसी बीमारी की आशंका से ग्रसित होकर और भी घबरा जाता है। मीरपुर के ग्रामीणों जिनमें भाकियू किसान के राष्ट्रीय महासचिव शीलेस दुबे, रमाकान्त तिवारी आदि ने जिलाधिकारी से मांग की है कि उनके क्षेत्र में पेयजल की टीम भेज कर जांच कराई जाये। ताकि पता चल सके कि आखिर उन लोगों को कैंसर कैसे हो जाता है जो न तो शराब का सेवन करते हैं न ही तम्बाकू या बीडी सिगरेट का। उक्त लोगों ने यह मांग भी की कि किसी संस्था द्वारा गांव के अन्य ऐसे पीडितों की जांच करायें जो बीमार तो हैं पर धनाभाव के कारण सिर्फ दर्द निवारक दवायें ले रहे हैं। पर उन्हैं यह पता नहीं है कि वास्तव में उन्हैं बीमारी क्या है।


वर्जन – रमेश चन्द्र यादव पूर्व ग्राम प्रधान ढकरोई
करीब दो वर्ष पूर्व ग्रामसभा ढकरोई के गांवों के पेयजल की जांच के लिये टीम आई थी। टीम के सदस्यों ने कई स्थानों ने पानी के सैंम्पल भी लिये थे। पर आजतक ब्लॉक स्तर से न ही जिला स्तर से उन्हैं कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई कि पानी में आखिर दोष क्या है।

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