
बछरावां-रायबरेली। बछरावां थानाध्यक्ष राकेश सिंह द्वारा एक ऐसी मानवता की मिसाल पेश की गई है किसी पुलिस वाले के दिमाग में आती है एक ऐसे दौर में जब पुलिस अपना काम केवल अपराधियों से निपटने तथा क्षेत्र में शांति कायम रखने में ही विश्वास रखती हो, इन हालातों में किसी बिछड़े हुए परिजन वह भी जिसकी भाषा अलग हो और उसे दूर असम के परिजनों से मिलवाया जाए यह एक सराहनीय कदम ही माना जाएगा।
विगत 5 दिन पूर्व थानाध्यक्ष राकेश सिंह जिस समय दौरानेगस्त उन्हें एक महिला असमिया भाषा में कुछ बड़बडाती हुई मिली एसओ द्वारा उस महिला को बुलाकर नाम पता जानने का प्रयास किया गया परंतु वह महिला जो कुछ बता रही थी किसी की समझ में नहीं आ रहा था अंततोगत्वा एसओ द्वारा कुछ अपनी भाषा के जानकारों से वार्ता कराई गई तो पता चला महमूदा बेगम पत्नी खुसेत ग्राम बालूगांव थाना खरपटिया की निवासिनी है। इतना पता चलते ही एसओ राकेश सिंह द्वारा तत्काल संबंधित थाने से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो पता चला कि उक्त महिला की गुमशुदगी 8 वर्ष पूर्व थाने में दर्ज है महिला कुछ मानसिक रूप से विक्षिप्त थी उसके चार बेटे व एक बेटी थी मानसिक दुर्बलता की अवस्था में वह घर से निकल पड़ी और भटकते भटकते बछरावां आ गई कयास लगाया जाता है की असम जाने वाले ट्रकों द्वारा कोई उसे लेकर यहां आ गया। एसओ द्वारा खटपटिया थाने से अनुरोध किया गया कि वह महमूदा बेगम के घर वालों को सूचना दे दें और उन्हें बछरावां का पता बता दें। सूचना मिलते ही महिला के परिवारी जन तत्काल बछरावां आने के लिए तैयार हो गए क्योंकि उस महिला का परिवार अत्यंत निर्धन था लेकिन उसके गांव वालों ने आर्थिक मदद की और बछरावां पहुंचते ही महिला के भाई ने अपनी बहन को पहचान लिया और बीते 8 वर्षों से बिछड़े भाई-बहन गले लग कर रो पड़े। वह मार्मिक दृश्य देखकर थाने में उपस्थित पुलिस वालों की आंखें भर आई।एसओ द्वारा भाई बहनों को 5 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देकर आवश्यक कार्यवाही के पश्चात विदा किया गया।
ज्ञात हो की आम जनता के अंदर पुलिस का जो चेहरा नजर आता है जिससे लोग भयभीत रहते हैं उन सबके बीच राकेश सिंह द्वारा पेश की गई मानवता की मिसाल जहां अन्य पुलिस वालों के लिए एक प्रेरणा बन सकती है वहीं क्षेत्र के बौद्धिक वर्ग में उनकी इस मानवता भूरी भूरी प्रशंसा की जा रही।








