
– कहां जायेंगे ये मुकद्दर के मारे, यह बुझते दिये टिमटिमाते सितारे, इन बेघर बेचारों की किस्मत है तुम्हारे हाथ …..
– नगर पंचायत में एक आवास दिलाने की फीस 30 हजार। पर काम कम में भी चल जाता है
किशनी/मैनपुरी- नगर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास दिलाने के नाम पर भ्रष्टाचार ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। क्या सभासद क्या सर्वेयर सभी को अपना हिस्सा चाहिये ही चाहिये। नाम न छापने की शर्त पर लोगों ने बताया कि अब तो स्थानीय लेखपाल भी बिना सुविधा शुल्क के किसी को पात्रता का प्रमाणपत्र नहीं देता। कस्बा हो या नगर पंचायत के गांव सभी जगह बिना भैंट चढाये काम ही नहीं होता।
न्गर पंचायत के वार्ड संख्या 9 गांव खड़सरिया में आवास वालों को आवास दिये गये जबकि बेघर आज भी बेघर ही हैं। क्योंकि वह सभासद को सुविधा शुल्क नहीं दे सकते थे। अब तो हालात यहां तक जा पहुंचे हैं कि सभासद इस बात के लिये भी तैयार हो गये हैं कि पहली किस्त आये तो दस हजार देना और दूसरी आये तो बीस हजार। गौरतलब है कि अकेला सभासद पैसे लेकर किसी को आवास नहीं दिला सकता। इसमें जरूर अन्य लोग भी शामिल होंगे।
दूसरा जब डूडा विभाग से कोई सर्वेयर आता है तो उसे सभासद के पास जाने की आवश्यकता क्यों पडती है। उसके पास लाभार्थियों की सूची होती है। वह पूछ पूछ कर स्वयं भी तो उसके घर पर जा सकता है। पर ऐसा नहीं होता। यहीं से भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है। यही कहानी है विपिन शाक्य पुत्र ईश्वर दयाल की। उन्होंने बताया कि उनके पिता को बसपा सरकार के दौरान एक आवास दिया गया था जो बटवारे में उनके भाई अनिल के हिस्से में चला गया। इस सरकार के दौरान भी अनिल को आवास के लिये ढाई लाख की किस्त मिल गई।
विपिन को मिला एक बिना छत का टूटा फूटा कमरा। अब भाई अनिल ने विपिन पर तरस खाकर कुछ समय के लिये उसे अपने आवास में रहने की अनुमति दे दी है। पर आखिर कब तक। जिस दिन भाई की नजर टेड़ी होगी विपिन को खुले आसमान के नीचे ही सोना होगा। विपिन ने कहा कि उनके सभासद ने उनसे कहा कि उसको भी आवास मिल सकता है। पर पहली किस्त आने पर दस तथा दूसरी किस्त आने पर उसे बीस हजार रूपये का नजराना सभासद को देना होगा। गौर करने योग्य यह भी है कि उक्त सभासद के खिलाफ पहले एफआईआर भी हुई थी। पर बाद में कुछ भी नहीं हुआ।








