
- कपटी मनुष्य का भगवान कभी साथ नहीं देते – मिथिलेश दीक्षित
- भगवान की शरण में जाने से समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं – स्वामी प्रेमदास महाराज
- रामकथा के श्रवण से मानव का हो जाता है उद्धार- रामबाबू पाठक
- कथा पण्डाल में मन पवित्र कर बैठना चाहिए – आचार्य तिलकेन्द्र शेखर
- संतों के सानिध्य से ही होती है भगवान की प्राप्ति – डॉ0 पंकज मिश्र
मैनपुरी। मन्दिर श्री भीमसेन जी महाराज में महाशिवरात्रि महोत्सव के तहत पांच दिवसीय संत सम्मेलन एवं प्रवचन कार्यक्रम गुरुवार को भगवान भोलेनाथ के पूजन अर्चन के साथ शुरू हो गया। पहले दिन बाहरी जनपदों से आये विद्वान जनों ने भक्ति रस की गंगा बहाई। प्रवचन की शुरुआत करते हुए उरई से आयी मिथिलेश दीक्षित ने कहा कि भगवान ने आपको मनुष्य जन्म दिया है इसलिए जीवन में कभी किसी से भी कपट नहीं करना चाहिए। कपट करने से अपने तो रुठ ही जाते हैं साथ ही भगवान भी मानव का साथ छोड़ देते हैं।
स्वामी प्रेमदास भदौरिया‘ सूरदास जी‘ ने कहा कि मनुष्य के प्रभु राम जी की शरण में जाने मात्र से ही उसके जन्मों जन्मों के कष्ट और दुःख मिट जाते हैं। मानस मर्मज्ञ डॉ रामबाबू पाठक जी ने कहा कि मानव जीवन का उद्धार राम कथा का श्रवण करने से ही होता है। भगवान राम के आदर्शों को जीवन में उतारें। मनुष्य रूप में अवतार लेने पर भगवान ने भी आम मानव की तरह लीलाएं की हैं।
आचार्य तिलकेन्द्र शेखर त्रिपाठी ने कहा कि कथा पंडाल में आने से पहले अपने मन को पवित्र कर लेना चाहिए क्योंकि ‘‘निर्मल मन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र ना भावा।‘‘ सत्संग में सुखासन से बैठना चाहिए, जहाँ तक सम्भव हो जमीन पर बैठना चाहिए।
हरदोई के आचार्य डॉ पंकज मिश्र ‘मयंक‘ ने कहा कि संतों के सानिध्य से ही मनुष्य को भगवान की प्राप्ति होती है। मानव को अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर संत और विद्वान जनों के साथ सत्संग में प्रतिभाग करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन आचार्य अभिषेक मिश्रा ने किया।
इससे पूर्व सुरेंद्र चक्कर ने भगवत भजनों से पावन धाम में भक्तिमय माहौल बनाया। संत पुरुषों के प्रवचनों में उनका तबले पर साथ धीरज जी ने दिया। इस दौरान वीर सिंह भदौरिया, महंत साहिबलाल तिवारी, पं. जगन्नाथ मिश्र, पं. अनुज तिवारी, कुंवर बहादुर भदौरिया, देवेंद्र सिंह कुशवाह, अरुण भदौरिया, मूलचन्द सक्सेना, शिवनंदन वर्मा, दीपांशु बाजपेयी, विनोद गुप्ता आदि उपस्थित थे।










