मर्दों के बीच अकेली महिला कुली हैं संध्या, मेहनत के पैसे से अपने बच्चों को अफसर बनाना चाहती हैं…

एक महिला की जिंदगी हमेशा से संघर्षपूर्ण रहती हैं! लेकिन अगर वही कम उम्र में ही उसका उसके पति से साथ छूट जाए और बच्चों की जिम्मेदारी आ जाए तो वहीं जानती है कि उस पर क्या बीती है? लेकिन उसके बावजूद भी एक महिला अपने घर और अपनी जिम्मेदारी को भरपूर तरीके से निभाती है! हम आज आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं! जिसके पति के निधन के उपरांत अपने बच्चों के पाल पोषण के लिए कड़ी मेहनत करके उनको अफसर बनाने का सपना सजाए रोज संघर्ष करती है!

दरअसल हम बात कर रहे हैं 31 वर्ष की महिला संध्या की, जो कि एक कुली का काम करती है! आपने अक्सर देखा होगा कि महिला कूली को देखकर लोग हैरानी भरे अंदाज से देखते हैं लेकिन संध्या लोगों की सोच को अनदेखा करते हुए अपना काम पूरी शिद्दत से निभा रही हैं! वह अक्सर कहती है कि भले ही मेरे सपने टूट गए हैं और हौसले अभी जीवित है जिंदगी ने मुझसे मेरा हमसफ़र छीन लिया है लेकिन अब बच्चों को पढ़ा लिखा कर फौज में अक्सर बनाना चाहते हैं इसके लिए मैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाऊंगी! कुली नंबर 36 हूं और इज्जत का खाती हूँ!

हालांकि उनके द्वारा जो कुछ भी बातें कही गई हैं उससे आप यह तो समझ ही सकते हैं कि वह कितनी स्वाभिमानी महिला है किसी से मदद की याचना करने की वजह वह मेहनत करके अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने के अंदर विश्वास रखती है!

कहां पर काम करती है संध्या?

अब ऐसे में आपके माइंड में यह सवाल आ रहा होगा कि कितनी स्वाभिमानी महिला आखिरकार कहां पर काम करती हैं? तो आपको बता दे कि मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली का संध्या का काम करती हैं! उनके ऊपर एक बूढ़ी सास और तीन बच्चों की उनके ऊपर जिम्मेदारी है, इसलिए वह अपनी जिम्मेदारी को उठाने के लिए यात्रियों का बोझ उठाती हैं!

वहीं उन्होंने अपने दम पर अपनी परीक्षण और हिम्मत के चलते अपने नाम का रेलवे कुली का लाइसेंस भी बनवा लिया है! जिसके चलते अब वह इस काम को पूरे परीक्षण और हिम्मत के साथ करती हैं! वहीं दूसरी ओर जब रेलवे प्लेटफार्म पर वह यात्रियों का वजन उठाकर चल रही होती है तो सभी लोग बड़ी आश्चर्य से उसको देख रहे होते हैं और उनकी इस हिम्मत की तारीफ किए बिना बिल्कुल नहीं रह पाते!

अपने तीनों बच्चों को पालने के लिए कर रही है यह काम-

30 वर्ष की संध्या अन्य महिलाओं की तरह ही पहले अब घर पर अपने बच्चों को संभाला करती थी लेकिन इस बीच उनके पति भोलाराम अचानक से बीमार हो गए और बीमारी के चलते इस दुनिया को 22 अक्टूबर 2016 अलविदा कह गए! लेकिन ऐसे में अपने पीछे छोड़ गए संध्या के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी!

जिसके चलते संध्या को कटनी जंक्शन पर कुली का काम करना पड़ रहा है वैसे तो इनका पूरा नाम संध्या मरावी है! उन्होंने बताया है कि यह काम मजबूरी में करना पड़ता है क्योंकि उनको अपनी बूढ़ी सास और तीन बच्चों को पालना है! उनका यह भी कहना है कि वह अपने पति के साथ कटनी में रहा करते थे और उनके तीन बच्चे हैं!

संध्या करती है रोज संघर्ष-

बता दें कि संध्या मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहती हैं और नौकरी करने के लिए कुंडम से प्रतिदिन 90 किलोमीटर ट्रैवल करती हैं और कटनी के रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है फिर दिन भर काम करके जबलपुर और फिर घर वापस लौट आते हैं इस दौरान जब वह नौकरी के लिए जाया करती है तो उनके साथ उनके बच्चों की देखभाल करती है!

यही नहीं बल्कि वह यही बताती है कि जिस रेलवे स्टेशन में वह काम करती है वह 45 पुरुष खुली है और उनके बीच में एकलौती महिला कुली के तौर पर काम करती है पिछले वर्ष ही उनको बिल्ला नंबर 36 मिला है!

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