बंगाल में भाजपा जीती तो कई और राज्यों में सरकार बनाने के खुल जाएंगे रास्ते, अगर हारी तो…

नई दिल्ली।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections 2021) के पहले चरण की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, राज्य में राजनीतिक दलों की सरगर्मियां और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेजी से शुरू हो गया है। भाजपा राज्य में मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता में फैले असंतोष और बंगाल में अपनी जमीन तैयार करने के बल पर सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है।

देखा जाए तो इस बार बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का बहुत कुछ दांव पर लगा है। बंगाल में इस बार की जीत उसे यहां अपनी विचारधारा को बढ़ाने में मददगार साबित होगी। यह तब है, जब यह राज्य करीब एक दशक पहले तक वामदलों का गढ़ माना जाता था। ऐसा अभेद्य किला, जिसकी ओर नजर उठाकर भी कोई नहीं देखता, मगर ममता बनर्जी के दस साल के शासन के बाद राजनीतिक दल मानने लगे हैं कि जनता बदलाव चाहती है और इसे वही भुना सकता है, जो जनता के बीच अपनी बात पहुंचा सकेगा।

बंगाल की जीत से भाजपा को कुछ दूसरे राज्यों में फायदा होगा
इसके अलावा, बंगाल में भाजपा की जीत पार्टी को उन राज्यों में भी बेहतर स्थिति में लाकर खड़ा कर सकती है, जहां पार्टी ने बीते दो लोकसभा चुनाव में अच्छी सीटें जीती हैं और वहां की जनता में राज्य की सरकार के प्रति नाराजगी है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 27 मार्च से शुरू हो रहे पहले चरण के चुनाव में पार्टी की हार भी उसकी जीत मानी जाएगी, क्योंकि तब भाजपा बंगाल में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रति असंतोष को दूर करने में कामयाब हो सकेगी। इसके अलावा, वामदलों और कांग्रेस को हाशिए पर भेजकर खुद को एक मजबूत राजनीतिक दल के तौर पर पेश कर पाएगी। 

पहले चरण की वोटिंग 27 मार्च को होगी
पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। राज्य में आठ चरणों में वोटिंग होगी। पहले चरण की वोटिंग 27 मार्च को होगी, जबकि दूसरे चरण के लिए 1 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इसके अलावा, तीसरे चरण के लिए 6 अप्रैल को, चौथे चरण के लिए 10 अप्रैल को, पांचवे चरण के लिए 17 अप्रैल को, छठें चरण के लिए 22 अप्रैल को, सातवें चरण के लिए 26 अप्रैल को और आठवें चरण के लिए 29 अप्रैल को वोटिंग होगी। नतीजे 2 मई को घोषित होंगे। 

ममता के खिलाफ मजबूत चेहरा नहीं होना बनेगा परेशानी का सबब!
बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार के प्रति असंतोष, सांप्रदायिक धु्रवीकरण, कथित घुसपैठ और विपक्ष का कमजोर होना ऐसी वजहें रही, जिससे आठ साल में ही भाजपा को फायदा हुआ और पार्टी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 42 में से 18 सीट मिली थी। हालांकि, भाजपा से जुड़े कुछ नेताओं का कहना है कि राज्य में स्थानीय बनाम बाहरी और ममता बनर्जी के सामने मुख्यमंत्री के तौर पर मजबूत उम्मीदवार का नहीं होना, पार्टी के परेशानी का सबब बन सकता है, मगर जनता का असर इस पर होगा या नहीं, यह तो चुनाव परिणाम बताएगा।

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