
उत्तर प्रदेश के कानपुर में बदहाल सिस्टम ने दो दिनों के अंदर 110 कोरोना मरीजों की जान ले ली। इन मरीजों की मौत समय पर वेंटिलेटर की सुविधा न मिलने के चलते हुई है। घटना शहर के हैलेट हॉस्पिटल की है। हॉस्पिटल की प्रमुख अधीक्षक डॉ. ज्योति सक्सेना भी अपनी लाचारी बयां कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में न तो वेंटिलेटर हैं, न ही ऑक्सीजन और न बेड। मैनपॉवर की भी काफी कमी हो गई है। इन सभी समस्याओं के बारे में सरकार को बता चुके हैं।
34 वेंटिलेटर खराब, शासन को कई बार पत्र लिखे गए
हैलेट हॉस्पिटल कानपुर, गणेश शंकर विद्यार्थी यानी GSVM मेडिकल कॉलेज का हिस्सा है। यहां 120 वेंटिलेटर हैं, लेकिन इनमें से 34 खराब पड़े हैं। हॉस्पिटल प्रशासन का दावा है कि सभी वेंटिलेटर को सही कराने के लिए कई बार शासन को लिखा जा चुका है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मृतकों के परिजनों का आरोप है कि अगर सही समय पर वेंटिलेटर मिल जाता तो उनके मरीज बच जाते।
शहर में मरीज बढ़े, बेड और वेंटिलेटर कम पड़ गए
कानपुर में कोरोना के मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है। यहां अब तक 74 हजार से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, इनमें 13 हजार मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। हालात ये है कि शहर के लगभग सभी कोविड अस्पताल फुल हो चुके हैं। मरीज बेड के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं। बेड मिल भी जा रहा है तो ऑक्सीजन और वेंटिलेटर नहीं है। सरकारी आंकड़े के तहत अब तक जिले में 1274 लोगों की मौत हुई है, हालांकि श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों की हालात से पता चलता है कि यहां हर दिन 400 से 500 लोग जान गंवा रहे हैं।
बिजली कटी, जनरेटर नहीं चला और तड़पते हुए महिला ने दम तोड़ दिया
वहीं, फिरोजाबाद के जिला अस्पताल में बुधवार को अचानक लाइट चली गई। इससे हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सप्लाई भी ठप हो गई। स्टाफ समय पर जनरेटर भी नहीं चला गया। आधे घंटे के बाद जब लाइट आई तब तक एक महिला मरीज की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। CMS डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि बिजली में कोई फॉल्ट आ गया था। इसके चलते आधे घंटे तक लाइट गुल थी। जनरेटर चालू करवाया, लेकिन महिला की हालत गंभीर होने पर उसकी मौत हो गई।
खाली होने के बाद नही मिला वेंटिलेटर, तड़पकर महिला ने तोड़ा दम
इधर, लोहिया संस्थान में खाली होने के बाद भी गंभीर महिला मरीज को वेंटिलेटर नही दिया गया। तीमारदारों की मिन्नतों के बाद करीब एक घंटे देरी से महिला का इलाज शुरू किया गया। आरोप है कि डॉक्टरों ने जैसे ही इंजेक्शन लगाया महिला के मुंह से झाग निकला और सांसे थम गईं।
चिनहट की रहने वाली 45 वर्षीय सरिता द्विवेदी को तीन दिन पहले बुखार आया था। उनका आक्सीजन लेवल लगातार कम हो रहा था। बुधवार शाम पति उन्हें पहले लेकर नजदीकी अस्पताल ले गए। वहां पर डाॅक्टरों ने लोहिया अस्पताल ले जाने की जाने की सलाह दी। परिजन शाम को मरीज को लेकर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे। वहां पर डाॅक्टरों ने मरीज की हालत देखकर उसे आईसीयू में रखे जाने की बात कही।
पति राजेश का कहना है कि आईसीयू में वेंटिलेटर खाली होने बाद भी मरीज को भर्ती लेने से मना कर दिया गया। डाॅक्टर लगातार मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने का दबाव बनाने लगे। पति इमरजेंसी में मौजूद डाॅक्टरों सामने गिड़गिड़ाते हुए बिलखने लगा। इसके बाद भी डाॅक्टरों का दिल नहीं पसीजा। डाॅक्टरों ने करीब एक घंटे बाद प्राथमिक इलाज शुरू किया।
पति से निजी मेडिकल स्टोर से महंगे इंजेक्शन खरीदवाएं। पति का आरोप है कि इंजेक्शन लगने के पांच मिनट बाद ही महिला के मुंह से झांग निकला और मौत हो गई। पति ने लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया।










