
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए हैं और इसके क्लीनिकल उपयोग के लिए उद्योग को इसकी टेक्नोलॉजी स्थानांतरित करने की पेशकश की है। ये वेंटिलेटर तमामा सुविधाओं से लैस हैं, बिजली कट जाने पर भी ये बैटरी से या फिर गैस से चलते रहेंगे। इसके साथ ही मरीजों की सुरक्षा के लिए इनमें अलार्म भी लगा हुआ है, किसी भी खतरे की स्थिति में अलार्म बज उठेगा। देखिए और क्या है इसकी खासियत…
कम कीमत और पोर्टेबल क्रिटिकल केयर वेंटिलेटर का नाम प्राण दिया गया है। यह वेंटिलेटर एमबीयू (आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट) बैग से लैस है। इसमें एक हाईटेक कंट्रोल सिस्टम लगा हुआ है। साथ ही एयरवे प्रेसर सेंसर, फ्लो सेंसर, ऑक्सीजन सेंसर, सर्वो एक्चुएटर, पीईईपी (पॉजिटिव एंड एक्सपाइरेटर प्रेशर) कंट्रोल वाल्व लगे हुए हैं। इसमें एक टच स्क्रीन पैनल लगा हुआ है जिससे वेंटिलेशन मोड को सेलेक्ट किया जा सकता है। डिसप्ले पर प्रेशर, फ्लो, टाइडल वॉल्यूम और ऑक्सीजन कॉन्सेनट्रेशन की पूरी जानकारी मिलती रहती है, यह डिसप्ले टच स्क्रीन के साथ ही लगा हुआ है।
बिजली कटने पर भी चलता रहेगा
इस वेंटिलेटर की मदद से मरीज के फेफड़े में ऑक्सीजन और हवा के मिक्सचर को भेजा जा सकता है। जितनी जरूरत हो मरीज को उतनी ही हवा दी जाएगी। इसके साथ ही इसमें एक और फिचर है, अलग बिजली कट जाने पर भी ये काम करता रहेगा बैकअप के लिए इसमें बैटरी लगाई गई है। प्राण वेंटिलेटर को इनवैसिव और नॉन-इनवैसिव दोनों मोड में चलाया जा सकता है। मरीज को कितनी हवा की जरूरत है, यह वेंटिलेटर के जरिये सेट किया जा सकता है। साथ ही मरीज जिस हिसाब से सांस लेता है उसी हिसाब से इसकी सेटिंग की जा सकती है।
खतरे में बज उठेगा अलार्म
इस वेंटिलेटर में मरीजों की सुरक्षा के लिए अलार्म भी लगा हुआ है, किसी भी खतरे की स्थिति में यह डॉक्टर को आगाह कर देगा। वेंटिलेशन के दौरान बैरोट्रॉमा, एसफिक्सिया, और ऐपनिया जैसा खतरा होने पर अलार्म संकेत दे देता है। इसके साथ ही वेंटिलेशन लगाने और इस्तेमाल के दौरान मरीज को वैक्टीरिया का इनफेक्शन न हो, या हवा में किसी तरह का प्रदूषण न हो, इससे बचने के लिए बैक्टीरियल वायरल फिल्टर्स दिए गए हैं।
वायु वेंटिलेटर की खासियत
इसरो ने इसी तरह एक और वेंटिलेटर वायु का निर्माण किया है, जिसमें मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो यह वेंटिलेटर मदद करेहा। सांस की गति को सामान्य करता है। इसमें सेंट्रीफ्यूगल ब्लोअर तकनीक पर आधारित है। यह आसपास की हवा को खींचता है, उसे कंप्रेस करता है और मरीज के फेफड़ों तक भेजता है। हवा लेने के लिए मरीज को अतिरिक्त जोर नहीं लगाना पड़ता। साथ ही मरीज को कितनी ऑक्सीजन चाहिए, यह आपने आप कंट्रोल हो जाएगा। वायु में ह्यूमन मशीन इंटरफेस (HMI) लगा हुआ है जो मेडिकल ग्रेड टच स्क्रीन से जुड़ा है। इससे ऑपरेटर रियल टाइम में वेंटिलेटर को सेट करने और वेंटिलेशन पैरामीटर्स पर ध्यान रख सकता है।
गैस से चलेगा वेंटिलेटर
तीसरा वेंटिलेटर स्वस्ता है जो गैस से चलती है, इसे इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ले सकते हैं। यह एंबुलेंस में भी फिट हो सकता है और मरीजों को फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट दी जा सकती है। इन सभी वेंटिलेटर का डिजाइन साधारण है।














