पेड़ों की अवैध कटान को रोकने के लिए गाजियाबाद में शुरू हो सकता है पेड़ों की गणना का कार्यक्रम

गाज़ियाबाद। हॉट सिटी गाजियाबाद में बेशक हर साल पौधरोपण के नाम पर लाखों पौधे लगाए जाते हो लेकिन इसका कोई वास्तविक रिकॉर्ड वन विभाग या अन्य सरकारी विभागों के पास नहीं है और ना ही कोई डाटा है, क्षेत्र में कितने पेड़ हैं और उनकी क्या उपयोगिता है। सरकारी विभागों की इस कमजोरी का फायदा उठाकर पेड़ माफिया हर साल बड़े पैमाने पर वन विभाग की आंखों में धूल झोंक कर अवैध रूप से पेड़ काट डालते हैं और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही भी नहीं हो पाती। पेड़ों की अवैध कटान और कितने पेड़ हर वर्ष लगाए जा रहे हैं और कितने पेड़ कितने वर्षों से जीवित हैं इन तमाम मुद्दों को लेकर पेड़ों की गणना करने के लिए एक बड़ा प्रस्ताव इंटेक् नामक एक गैर-सरकारी पर्यावरण संस्था ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को प्रस्ताव सौंपा है।

पेड़ों की गणना करने के लिए यह संस्था प्राधिकरण से कोई मेहनताना भी नहीं लेगी बल्कि कॉरपोरेट उत्तर दायित्व के तहत कोई भी औद्योगिक इकाई जनहित से जुड़े इस प्रस्ताव को प्रायोजित कर सकती है। जिस तेजी के साथ महानगर गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है और अवैध रूप से पेड़ काटे जा रहे हैं । इस पर लगाम लगाने के लिए पेड़ों की गणना का कार्यक्रम आवश्यक हो गया है ।अभी तक पेड़ों की गणना का कार्यक्रम पुणे व दिल्ली के सर्वोदय एनक्लेव में कार्यान्वित हो चुका है जिसके परिणाम बहुत सार्थक निकले हैं और वहां अवैध पेड़ों के कटान पर अंकुश लग गया है। इस संबंध में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उद्यान विभाग को इंटेक् ने यह प्रस्ताव अपने पर्यावरणविद आकाश वशिष्ठ के माध्यम से पेश किया है। इंटेक पिछले 35 वर्षों से भारत की प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण और उसके उत्थान के लिए कार्य कर रही है।
आकाश वशिष्ठ ने बताया कि जिस समय पेड़ों की गणना की जाएगी ।उसमें पेड़ों की विशेषता , प्रजाति , उम्र और उनके रोपित किए जाने का समय कंप्यूटर डाटा में उल्लेख होगा। इसके अलावा प्रदूषण को रोकने वाले कितने पेड़ किस क्षेत्र में लगे हुए है उसका भी विशेष रूप से उल्लेख होगा। पेड़ों की गणना के इस कार्यक्रम से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि हर वर्ष लाखों पेड़ रोपित किए जाने का दावा किया जाता है ,उस फर्जी दावे पर भी इस घटना के बाद लगाम लग जाएगी और सरकार को लगने वाले पौधरोपण की आड़ में करोड़ों का चूना भी नहीं लग पाएगा, क्योंकि इस गणना के बाद एक कंप्यूटराइज्ड डाटा तैयार हो जाएगा ।जिसमें क्लिक करते ही किसी भी क्षेत्र में पेड़ों की संख्या और उनकी प्रजातियां आदि का आसानी से पता चल जाएगा। यही नहीं प्रत्येक पेड़ पर नंबरिंग भी होगी। इस संबंध में जीडीए के सहायक उधान निरीक्षक एसके भारती का कहना है कि इंटेक की तरफ से जो प्रस्ताव आया है ,उसे जीडीए के शीर्ष अधिकारियों को अग्रसारित कर दिया गया है।

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