कृषि भूमि परीक्षण प्रयोगशाला के चौकाने वाले परिणाम: अभी भी किसान नहीं चेते तो खेतिहर जमीन बहुत जल्द बंजर में हो जाएगी तब्दील

-अत्यधिक रसायनिक खादों के प्रयोग से गाजियाबाद में खेतिहर जमीन की उर्वरक शक्ति न्यून स्तर पर



-अशोक निर्वाण-

गाजियाबाद। रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग के कारण जिले की खेतीहर जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म होने के कगार पर है और बहुत तेजी के साथ यहां की जमीन बंजर में तब्दील होने शुरू हो गई है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जिला मुख्यालय पर स्थित कृषि भूमि परीक्षण प्रयोगशाला के परिणाम इस तथ्य की पुष्टि कर रहे हैं। प्रयोगशाला ने कृषि भूमि परीक्षण के परिणामों के माध्यम से यह साफ कर दिया गया है कि जिले की खेतीहर जमीन में किसान ज्यादा पैदावार लेने के लालच में मापदंड से अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग कर रहे हैं और इस जमीन में गोबर व हरि खाद का प्रयोग नाम मात्र को ही कर रहे है। जिसके चलते यह जमीन ऊसर यानी बंजर में तब्दील होनी शुरू हो गई है। कृषि भूमि प्रयोगशाला के परिणामों की चेतावनी से यदि किसान जागरूक नहीं हुए तो बहुत जल्द गाजियाबाद की खेतिहर जमीन बंजर हो जाएगी।


कृषि भूमि परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष रविंद्र कुमार ने बताया कि प्रयोगशाला में जो प्रगतिशील किसान अपने खेतों की मिट्टी जांच कराने के लिए आते हैं उनकी जांच रिपोर्ट में पोषक तत्वों की बड़े पैमाने पर कमी पाई गई है खास बात यह है कि इस कृषि भूमि में ऑर्गेनिक कार्बन की उपलब्धता न्यून तक पहुंच गई है। मानको के अनुरूप एक स्वस्थ भूमि के लिए ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा 0.80 होनी चाहिए लेकिन यह घट खटकर 0.2 से 0.2 50 के न्यून स्तर पर पहुंच गई है। उनका कहना है इसकी वजह यह है कि आजकल किसानों ने हरी खाद और पशुओं के गोबर खाद का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया है। जिस कारण धरती में पोषक तत्वों की कमी लगातार नजर आ रही है । कृषि भूमि प्रयोगशाला अध्यक्ष ने बताया कि इसी तरह खेतिहर जमीन में सल्फर और जिंक की भी काफी कमी हो रही है और फसल जितनी होनी चाहिए उसमें उतना फसली उत्पादन नहीं हो पा रहा है । उनका कहना है कि इन पोषक तत्वों में घटाने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यूरियाव डाई जैसे रसायनिक खाद आदि हैं । प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इन पोषक तत्वों की कमी के कारण फसल पर विपरीत असर पड़ता है ऑर्गेनिक सल्फर कम होने से जहां फसल बढ़ नहीं पाती। यहां तक की जमीन ऊसर हो जाती है। जबकि सल्फर और जिंक की कमी होने से फसल की बड़वार कम होने के साथ-साथ पौधा पीला और कमजोर हो जाता है। उनका कहना है कि यह स्थिति बहुत खतरनाक है इसलिए किसानों को गोबर की खाद हरी खाद का इस्तेमाल भी करना चाहिए ।

 
जागरूकता की कमी के कारण किसान बहुत कम संख्या में अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण परीक्षण कराते हैं-
कृषि भूमि प्रयोगशाला के अध्यक्ष रविंद्र कुमार से इस संबंध में जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि किसानों में जागरूक जागरूकता की कमी के कारण किसान बहुत कम संख्या में मिट्टी का परीक्षण कराते हैं उन्हें नहीं मालूम कि खेत की मिट्टी का परीक्षण समय समय पर आना चाहिए ताकि पता चल सके कि उनके खेत में किस पोषक तत्व की कमी है उन्होंने बताया कि जागरूकता की कमी के कारण जिले में 15 से 20 किसान ही अपने खेतों की मिट्टी का नमूना लेकर आते हैं

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