विवादित आईपीएस सत्यजीत गुप्ता के लदान की खबर से जनता ने ली राहत की सांस

शहजाद अंसारी
बिजनौर। तीन माह की ट्रेनिंग करने आये ट्रेनी आईपीएस सत्यजीत गुप्ता का व्यवहारिक प्रशिक्षण शुरु से ही विवादों में घिरा रहा। पीड़ितों को अपराधों से मुक्ति दिलाने के बजाय उन्होंने नगर की आम जनता को ही प्रताडित करना शुरू किया और पुलिसिया रौब में लेना चाहा। मजदूर, गरीब वर्ग के लोग रिक्शा चलाकर अपनी दो वक्त की रोटी कमाने वाले उनके पुलिसिया कहर से न बच सके। जबकि खुद को समाज का सरपरस्त बताने वाले कथित समाजसेवी और नेता न सिर्फ साहब की चापलूसी में लगे रहे बल्कि साहब के हर कारनामे की जय जयकार करने लगे। कथित समाजसेवी और नेताओं के घुटने टेकने के बाद साहब का मनोबल इतना बढा की वह नगर में बढ़ रही अपराध की घटनाओं जुआ, सट्टेबाज़ी, अवैध शराब, गौकशी, पशुओं का अवैध कटान, अवैध खनन, चोरी पर लगाम लगाने की बजाय एसी में बैठकर हवा खाने और वाहन चैकिंग और रोड गश्त के नाम पर आम लोगों का उत्पीड़न करने में लगे रहे।
 अपर पुलिस महानिदेशक अपराध/कार्मिक नीरा रावत ने अपने आदेश में 04 मार्च 19 से 21 मई 19 तक के लिए 2017 बेच के आईपीएस सत्यजीत गुप्ता को व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए जनपद बिजनौर के थाना नगीना का स्वतंत्र प्रभार दिया था। थाने की कमान संभालने के बाद ट्रेनी आईपीएस सत्यजीत गुप्ता के हौंसले इतने बुलन्द हुए की इन्होंने नगीना को गिफ्ट में मिली जागीर समझना शुरू कर दिया। इतना ही नही पुलिस महकमे की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले पुलिसकर्मियों का उत्पीड़न करने में भी साहब ने कोई कसर नही छोडी जिससे खाकी तो दागदार हुई ही बल्कि आईपीएस स्तर के अधिकारी की हरकत से पूरे देश मे किरकिरी हुई।
ट्रेनी आईपीएस सत्यजीत गुप्ता ने अपराधों पर लगाम लगाने के टिप्स लेने के बजाय एक सट्टेबाज से अपने लिए एक सिपाही के ज़रिए चार देसी मुर्गों की डिमांड कर डाली। सिपाही और सट्टेबाज की बातचीत का ऑडियो वायरल होने पर बिजनौर से लेकर लखनऊ तक एसी में बैठे अधिकारियों में खलबली मच गई। आईपीएस ने अपनी पोलपट्टी खुलने के डर से मुर्गो की कहानी को हजम कर चुनावी ड्यूटी में मुस्तैद होने के बावजूद सिपाही का उत्पीड़न करते हुए चुनावी ड्यूटी से नदारद रहने का मुकदमा स्वयं वादी बनते हुए लिखवा दिया। बात यहीं तक नही रुकी छुट्टी मांगने पर सिपाही का इतना उत्पीड़न इतना किया कि तबियत बिगड़ने के बाद सिपाही को मेरठ हायर सेंटर में भर्ती करया गया है। नगीना थाने का चार्ज लेने के बाद ट्रेनी आईपीएस सत्यजीत गुप्ता की उपलब्धियां यह रही कि सबसे पहले उन्होने होली पर नरसिंग के जुलूस में गुडई दिखाई जिससे नगर का माहौल खराब होने से बाल बाल बचा।
नाकारा आईपीएस के कार्यकाल में लोग दबंगों के कहर से जहां घर से पलायन करने पर मजबूर हुए वहीं 10 लाख की सराय मीर में एजेंसी स्वामी के यहां हुई चोरी के अलावा लाइन पार आज़ाद कालोनी में एक ही रात में तीन घरों में हुई चोरी में से एक का भी खुलासा करने में कामयाब नहीं रहे। उधर पीडित अपनी फरियाद सुनाने के लिए थाने के चक्कर लगाते रहे लेकिन आईपीएस से मिलना इतना मुश्किल था जैसे फिल्म के किसी सुपर स्टार से। यदि कोई पीडित हिम्मत करके साहब से मुलाकात कर भी लेता था तो आईपीएस उल्टा उसी पर  ही कार्रवाही की धमकी देकर अपनी मर्दांगी दिखाते थे। कुल मिलाकर ट्रेनी आईपीएस सत्यजीत गुप्ता का तीन माह का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा और अब 21 मई को इनके लदान की खबर से नगर की जनता, पीड़ितों व रिक्शेवालों के साथ साथ पुलिस स्टाफ में भी खुशी की लहर है।

खबरें और भी हैं...