
जयपुर, (हि.स.)। सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र से करीब छह माह पहले जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में आया बाघ एसटी-24 गत पांच दिन से लापता है। सरिस्का की दो स्पेशल व स्थानीय टीमें बाघ की ट्रैकिंग कर रही है। बाघ को अंतिम बार रायसर रेंज के खरड वनखंड में 31 जनवरी को देखा गया था।
बाघ जमवारामगढ़ रेंज के रामगढ़ बांध, सांऊ, कुंडयाल, मानोता के पास नायल भौमिया मंदिर, रामपुरावास रामगढ़, पापड़ व निम्बी इलाके सहित अचरोल रेंज के बासना एवं टोडामीना वनक्षेत्र तक विचरण करता रहा है। बाघ की ट्रैकिंग विशेष टीमों के साथ वन विभाग की अन्य टीमें भी कर रही है। लेकिन, बाघ का पता नहीं चल पा रहा है। बाघ की निगरानी के लिए सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र अलवर के निदेशक कार्यालय ने वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र जमवारामगढ़ में 30 व अचरोल रेंज में 10 ट्रैप कैमरे लगा रखे है। इनमें से 37 कैमरे काम कर रहे है। ट्रैप कैमरे वन्यजीव के पास आते ही अपने आप फोटो क्लिक कर लेते है। बाघ के पांच दिन से लापता होने से ट्रैकिंग टीमों व वन विभाग की स्थानीय टीमों के लिए परेशानी बनी हुई है।
सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र अलवर की अजबगढ़ रेंज से 30 जुलाई को एसटी-24 अचानक ग़ायब हुआ था। 24 अगस्त को वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र जमवारामगढ़ के सांऊ में रामनाथ पटेल की ढाणी में एक पाडी का शिकार किया था। तब वन टीम ने पगमार्क से बाघ के आने की पहचान की थी। तब से बाघ वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में ही विचरण कर रहा है। इस समय बाघ का मेटिंग टाइम चल रहा है। जो नवम्बर से लेकर फरवरी तक होता है। एसटी-24 को मेटिंग के लिए मादा टाइगर नहीं मिलने से लम्बी दूरी तक साथी की तलाश के लिए दौड़ता है। हो सकता है मेटिंग के लिए टाइगर आस-पास जंगल में चला गया हो।
वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र जमवारामगढ़ में बाघ एसटी-24 के मेटिंग के लिए मादा टाइगर की जरूरत है। इससे जमवारामगढ वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ़ सकता है। मादा टाइगर जंगल में छोड़ने का निर्णय वन विभाग के आला स्तर पर हो सकता है। बाघ एसटी-24 के लापता होने के दिन भी वनकर्मी हड़ताल पर थे। सोमवार को फिर वनकर्मी संगठनों के आह्वान पर वन कर्मचारी पंद्रह सूत्री मांग को लेकर हड़ताल पर रहेंगे। जिससे बाघ को ट्रेकिंग करने में परेशानी आएगी।
वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र जमवारामगढ़ के एसीएफ प्रेमशंकर मीना का कहना हैं कि बाघ एसटी-24 अंतिम बार पांच दिन पहले देखा गया था। सरिस्का की स्पेशल व स्थानीय टीमें लगातार ट्रैकिंग कर रही है। ट्रैकिंग के लिए 37 ट्रेप कैमरे लगाए गए है।














