
एक समय में भारत के महान एयरोस्पेस वैज्ञानिक और देश के पूर्व राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम लीड इंडिया फ़ाउंडेशन के मुख्य मेंटर हुआ करते थे. उसी संगठन ने वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स की साझेदारी में अब देश की 111 सबसे सशक्त महिलाओं को सम्मानित कर एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है जिनमें से एक जानी-मानी शख़्सियत का नाम है अनुषा श्रीनिवासन अय्यर. लीड इंडिया फ़ाउंडेशन और वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स के सानिध्य में इस कार्यक्रम का आयोजन बंगलूरू के टाउनहॉल में किया गया था।
अनुषा को दुनिया की 111 सबसे पावरफ़ुल महिलाओं में से एक के तौर पर चुना और पुरस्कृत किया गया
लीड इंडिया फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. हरि कृष्णा मारम ने आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफ़एस, केएएस जैसे अफ़सरों, फ़िल्मी हस्तियों, इंडस्ट्री लीडरों, एनजीओ से जुड़ीं हस्तियों और स्पोर्ट्स शख़्सियतों को महज़ 111 मिनट में सम्मानित कर एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया.
ग़ौरतलब है कि अनुषा श्रीनिवासन एक बेहतरीन लेखिका हैं, एक बढ़िया फ़िल्म निर्देशक हैं, उम्दा मीडिया स्ट्रैटिजिस्ट हैं, लोकप्रिय TEDx टॉक वक्ता हैं, एक प्रेरणादायी लाइफ़ कोच भी हैं. उनकी पहचान एक सामाजिक उद्यमी व लैंगिग समानता, पशु सुरक्षा और मानव अधिकारों के लिए लड़नेवाली कार्यकर्ता के रूप में भी होती है. पर्यावरण के लिए बनाई उनकी संस्था मेक अर्थ ग्रीन (MEGA), पशुओं के लिए स्थापित उनका संगठन पावसिटिव फार्म सैंक्चुरी और अवसादग्रसदत लोगों के लिए बनी ज़िंदगी हेल्पलाइन सभी उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं.
कभी अनुषा श्रीनिवासन अय्यर की पहचान एक तेज़-तर्रार पत्रकार के रूप में हुआ करती थी. अब उन्हें वैश्विक पुरस्कार प्राप्त लेखक और फ़िल्म निर्देशक के रूप में भी जाना जाता है. बाल मज़दूरी को लेकर उनके द्वारा बनाई फ़िल्म ‘सारे सपने अपने हैं’ को दुनिया भर के 128 पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है. वेदांत गिल अभिनीत इस फ़िल्म को सिद्धांत गिल, कृष्णावेणी श्रीनिवासन और रामचंद्रन श्रीनिवासन ने मिलकर प्रोड्यूस किया था. उल्लेखनीय है कि इस फ़िल्म को अब तक दुनिया के 150 देशों में प्रदर्शित किया जा चुका है.
डॉक्टर अनुषा श्रीनिवासन अय्यर द्वारा संचालित संगठन मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) की कोशिश है कि वह अपने प्रयासों से इस धरती को बचाने और उसे हरा-भरा रखने में अपना अमूल्य योगदान दे. वे मानव जाति द्वारा की गई पर्यावरणीय क्षति को पलटने के इरादे से काम कर रही हैं. वे ना सिर्फ़ अपने संगठन के माध्यम से धरती को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की कोशिशों में लिप्त हैं बल्कि वे युवाओं को भी पर्यावरण के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए प्रेरित करती रहती हैं.
अनुषा श्रीनिवासन एक जैसे विचारों वाले, पर्यावरण को बचाने में अपना अहम योगदान देनेवाले लोगों को साथ लाने और तमाम सामाजिक संगठन को साथ लाने में एक अहम भूमिका निभा रही हैं. वे जनकल्याण के लिए तमाम मंत्रालयों के साथ साझेदारी में काम करती हैं. उन्हें आदिवासी लोगों के कल्याण, वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा, एसिड अटैक का शिकार लड़कियों, लैंगिंग समानता और LGBQ समुदाय के सशक्तिकरण, बेसहारा बच्चों के उत्थान के लिए भी जाना जाता है. उन्हें विभिन्न तरह के कॉन्क्लेव में भागीदारी करने, प्रेरणादायक वक्तत्व देने और युवाओं को प्रेरित करने से संबंधित कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का भी काफ़ी अनुभव हासिल है.
अनुषा श्रीनिवासन अय्यर की पहचान सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण संरक्षक और सांस्कृतिक परंपराओं के निर्वहन से संबंधित लक्ष्यों के प्रति काम करने वाली हस्ती के रूप में होती है. अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए अनुषा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाज़ा जा चुका है. उन्हें लाइफ़्स रियल हीरोज़ अवॉर्ड्स 2019 से पुरस्कृत किया जा चुका है. इसके अलावा उन्हें द इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा ईटी राइज़िंग इंडियन के तौर पर इकोनड टाइम्स आइकन अवॉर्ड फॉर स्ट्रैटिजिस्ट ब्रांडमेकर ऐंड सोशल आंत्र्यप्योनरशिप, द मिड-डे आइकन जैसे अवॉर्ड भी मिल चुके हैं. फोर्ब्स इंडिया द्वारा उन्हें ‘क्वीन बी ऑफ़ ब्रांड स्ट्रैटिजी’ के ख़िताब से भी नवाज़ा जा चुका है.
अनुषा को वूमन एक्सेलेंस एम्पावरमेंट अवॉर्ड, नैशनल एक्सेलेंस अवॉर्ड, वूमन ऑफ़ इंफ्यूलेंस अवॉर्ड, पीपल्स एक्सेलेंस अवॉर्ड, इंस्पायर, मुक्ति फ़ाउंडेशन अचीवर्स अवॉर्ड फॉर एनिमल वेल्फ़ेअर, मिड-डे पावरफुल वूमन अवॉर्ड फॉर ब्रांड कस्टडियनशिप ऐंड इमेज स्ट्रैटिज़ाइशेन, दादासाहेब फ़ाल्के फ़ाउंडेशन अवॉर्ड, मैं हूं बेटी अवॉर्ड, समाज रत्न अवॉर्ड, दादासाहेब गोल्डन कैमरा अवॉर्ड, आइकॉनिक अचीवर्स अवॉर्ड, परफ़ेक्ट अचीवर्स लाइफ़टाइम अचीचमेंट अवॉर्ड फॉर ब्रांड कस्टडियनशिप ऐंड इमेज स्ट्रैटिज़ाइशेन, हरियाणा गरिमा अवॉर्ड, कार्मिक अवॉर्ड्स, गुरुग्राम अचीवर्स अवॉर्ड, नैशनल सम्मिट ऑफ़ होलिस्टिक साइंसेंस द्वारा आयोजित इगैलिटेरियन अर्थ वॉरियर अवॉर्ड और श्री स्वामी समर्थ अन्नाक्षेत्र ट्रस्ट (अक्कालकोट) द्वारा द नैशनल वेलनेस अवॉर्ड और MIT पुणे द्वारा भी उन्हें उनके उल्लेखनीय सामाजिक कार्यों के लिए सम्मानित कर चुके हैं.
पावसिटिव फ़ार्म सैंक्चुरी के अंतर्गत असहाय जानवरों के पालन-पोषण के साथ साथ उनके बचाव करने जैसी गतिविधियां भी शामिल हैं. इस संंगठन के ज़रिए अब तक 115 जानवरों को शरण दी जा चुकी है जिनमें बिल्लियों, कुत्तों का भी शुमार है. हज़ारों कुत्तों-बिल्लियों के भोजन की व्यवस्था भी संगठन की ओर से की गई है. उल्लेखनीय है कि उनकी ओर से छह एकड़ में फ़ैले फ़ार्म सैंक्चुरी बनाने का प्रयास भी जारी है.
ग़ौरतलब है कि पावसिटिव फ़ार्म सैंक्चुरी ने अपनी शुरुआत एक छोटे से घर में अनगिनत पशुओं को शरण देने से की थी जो आज सैंकड़ों ज़रूरतमंद पशुओं के लिए स्वर्ग साबित हो रहा है. जल्द निर्मित होने जा रहे फ़ार्म सैंक्चुरी में बेसहारा छोड़ दिये गये जानवरों, अपंग, पशुओं, कामकाज़ के लिहाज़ से बेकार व उम्रदराज़ गधों, घोड़ों और गायों के लिए भी अलग से देखभाल की व्यवस्था की जाएगी. फ़ाउंडेशन भविष्य में जंगली जानवरों के बचाव व उनके पुनर्वास संबंधी गतिविधियों में संलग्न होने का भी इरादा रखती है.
अनुषा अपने ऑटो हील ग्रुप ज़िंदगी हेल्पलाइन के ज़रिए अवसादग्रस्त और ख़ुदकुशी करके के इच्छुक मरीज़ों की मदद प्रोफ़ेशनल लोगों की मदद से करती हैं. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अब तक 168 ऐसे मरीज़ों की सहायता की गई है.
उल्लेखनीय है कि अनुषा श्रीनिवासन अय्यर नारद पीआर इमेज ऐंड इमेज स्ट्रैटिजिस्ट नामक एक ब्रांड एजेंसी की सर्वेसर्वा भी हैं. इसके अतिरिक्त वे बॉलीवुड व टीवी जगत की कई हस्तियों का कामजाज और ब्रांड्स भी संभालती हैं. उनका हमेशा से मानना रहा है कि जो काम आप शिद्दत से करना चाहते हैं, उसके लिए वक्त निकाल ही लेते हैं. वे फ़िल्मों के लेखन व निर्देशन में भी रूचि रखती हैं और इस संबंध में कुछ ना कुछ करती रहती हैं. सामाजिक कार्यों व लोगों के उत्थान में वे सालों से कार्यरत हैं.
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने एक नये भारत की नींव रखने का आह्वान करते हुए कहा था, “भारत का विकसित होना महज़ एक सपना या सिर्फ़ एक विज़न नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मिशन है जिसके लिए हरेक भारतवासी को मिलकर काम करना होगा ताकि हमारा देश तरक़्क़ी कर सके और बुलंदियों को छु सके.” इसमें कोई शक नहीं है कि लीड इंडिया फ़ाउंडेशन द्वारा ऐसी सशक्त महिलाओं को सम्मानित करना एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा देखे गये सपने को साकार करने की दिशा में उठाया गया एक ठोस क़दम है.”।















