
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ही राज्यसभा में पेश किया था इस बिल को
- भारत के सैन्य सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा यह बिल
नई दिल्ली (हि.स.)। सशस्त्र बलों को मजबूती देने के लिए राज्यसभा में मंगलवार को अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023 पारित हो गया। इसे पहले ही 04 अगस्त को लोकसभा में पारित किया जा चुका है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ही इस बिल को राज्यसभा में पेश किया था। इस बिल का उद्देश्य हमारे सैन्य बलों में निहित अनुशासन की महान परंपरा को और मजबूती देना है। उन्होंने सदन को विश्वास दिलाते हुए कहा कि यह बिल भारत के सैन्य सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए रक्षा मंत्री ने बताया कि आज का युद्ध पारंपरिक नहीं रह गया है, बल्कि प्रौद्योगिकी और नेटवर्क केंद्रित हो गया है। इसलिए देश के सामने आने वाली भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तीनों सेनाओं के लिए अधिक समन्वय के साथ काम करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। राजनाथ सिंह ने विधेयक को वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने जोर दिया कि बेहतर तालमेल से ही सेना राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
पारित विधेयक के प्रमुख बिंदु
- यह बिल सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी कर्मियों और अन्य केंद्रीय बलों पर लागू होगा
- यह विधेयक कमांडर-इन-चीफ, ऑफिसर-इन-कमांड को सभी अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों के साथ सशक्त बनाएगा
- कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड की अनुपस्थिति में कार्यवाहक अधिकारी के पास सभी अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार होगा
- यह विधेयक केंद्र सरकार को एक अंतर-सेवा संगठन गठित करने का अधिकार देगा
- सेवा संगठनों के प्रमुखों को सभी अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां मिलेंगी, चाहे वे किसी भी सेवा से संबंधित हों राज्यसभा ने राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक-2023 किया पारित

राज्यसभा ने मंगलवार को राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक देश में दंत चिकित्सा के पेशे को विनियमित करेगा, गुणवत्तापूर्ण और सस्ती दंत चिकित्सा शिक्षा प्रदान करेगा और उच्च गुणवत्ता वाली मौखिक स्वास्थ्य देखभाल को सुलभ बनाएगा। यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है।
राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि इस बदलाव से संबंधित क्षेत्र में शिक्षा सस्ती, सुलभ और पारदर्शी होगी। साथ ही, हम वैश्विक मानकों को भी पूरा कर सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र में हमारे स्वास्थ्य पेशेवरों की विश्वसनीयता, रोजगार की संभावनाएं बनी रहेंगी।
विधेयक में प्रस्ताव है कि नया राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग “देश में दंत चिकित्सा के अभ्यास को विनियमित करने, उच्च गुणवत्ता, डेंटल एजुकेशन प्रदान करने के लिए काम करेगा। आयोग में एक अध्यक्ष, आठ पूर्व सदस्य और 24 अंशकालिक सदस्य होंगे, जो सभी केंद्र सरकार द्वारा चुने जाएंगे। आठ पूर्व सदस्यों में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
निजी डेंटल कॉलेजों में आधी सीटों की फीस को नियंत्रित करने के अलावा, आयोग दंत चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता मानकों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड स्थापित करेगा। अंडरग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट दंत चिकित्सा शिक्षा बोर्ड दंत चिकित्सा पढ़ाने वाले संस्थानों के लिए मानदंड और मानक स्थापित करेंगे।
राज्यसभा से राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक, 2023 ध्वनि मत से पारित
राज्यसभा ने मंगलवार को राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक, 2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग की स्थापना करना है। विधेयक भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम 1947 निरस्त हो जाएगा। यह विधेयक पहले लोकसभा से पारित हो चुका है।
नर्सिंग एवं मिडवाइफ पेशेवरों द्वारा शिक्षा और सेवाओं के मानकों के विनियमन और रखरखाव, संस्थानों के मूल्यांकन, राष्ट्रीय रजिस्टर, राज्य रजिस्टरों के रख रखाव और पहुंच, अनुसंधान एवं विकास में सुधार और नवीनतम वैज्ञानिक प्रगति को अपनाने के लिए एक प्रणाली के निर्माण का प्रावधान करता है।
राज्यसभा में इस विधेयक पर मंगलवार को बयान देते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण है। देश में नेशनल मेडिकल कमीशन लेकर आए थे। इस अनुभव का इस्तेमाल करते हुए देश में राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक, 2023 लेकर आए। इस विषय पर मौजूदा कानून 60-70 साल पुराना हो गया था। नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बढ़ाने के लिए यह विधेयक लाया गया। समय के साथ बदलाव करना समय की मांग के साथ आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव से संबंधित क्षेत्र में शिक्षा – सस्ती, सुलभ और पारदर्शी होगी। साथ ही, हम वैश्विक और वैश्विक मानकों को भी पूरा कर सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र में हमारे स्वास्थ्य पेशेवरों की विश्वसनीयता, रोजगार की संभावनाएं बनी रहेंगी।














