रूस-यूक्रेन युद्ध बना सुपरपावर का बिजनेस, अमेरिका की हथियार बिक्री 30% बढ़ी… जानिए भारत-चीन को कितना हुआ लाभ

Russia Ukraine War : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध न केवल इन दोनों देशों के लिए एक मानवीय और आर्थिक संकट बन चुका है, बल्कि इसने वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर भी असर डाला है. इस युद्ध के कारण जहां एक ओर दोनों देशों ने हजारों सैनिक गंवाए हैं, वहीं दूसरी ओर कई देशों ने इसे अपने आर्थिक फायदे के रूप में बदल लिया है. खासकर भारत, चीन और अमेरिका ने इस युद्ध से जबरदस्त लाभ उठाया है.

भारत और चीन ने किस प्रकार फायदा उठाया? 

भारत और चीन, दोनों ने रूस से रियायती तेल खरीदा, जिससे उन्हें अरबों डॉलर की बचत हुई है. ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CERA) के अनुसार, दिसंबर 2022 से जून 2025 के बीच, चीन ने रूस से 47% कच्चे तेल का आयात किया, जबकि भारत का हिस्सा 38% था. हालांकि, यह लाभ मामूली था, क्योंकि असल में युद्ध से सबसे ज्यादा फायदा अमेरिकी कंपनियों को हुआ है.

अमेरिका ने लिया सैन्य निर्यात का फायदा

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध ने अमेरिका के रक्षा उद्योग के लिए सबसे बड़ा लाभकारी अवसर प्रस्तुत किया. यूक्रेन युद्ध के बाद, अमेरिकी सैन्य निर्यात में वृद्धि देखी गई है. SIPRI (स्वीडिश पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 से 2024 तक अमेरिका का वैश्विक हथियार निर्यात 35% से बढ़कर 43% तक पहुंच गया. यानी, 21% की वृद्धि और 100 से अधिक देशों को हथियार निर्यात किए गए.

अमेरिकी रक्षा कंपनियों का मुनाफा
अमेरिका के प्रमुख रक्षा ठेकेदारों ने यूक्रेन को सबसे ज्यादा टैंक, मिसाइलें और फाइटर जेट्स बेचे हैं. 2024 में, विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) के तहत अमेरिका ने 117.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के रक्षा उपकरण और सेवाएं अन्य देशों को बेचीं, जो 2023 के मुकाबले 45.7% की वृद्धि थी. इसके अलावा, 2023 में 157.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 200.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई, जो 27.6% की वृद्धि दर्शाता है.

अमेरिकी रक्षा ठेकेदारों का विशाल मुनाफा
विलियम डी हार्टुंग और स्टीफन एन सेमलर द्वारा लिखे गए रिसर्च पेपर के अनुसार, पेंटागन ने 2020-2024 के दौरान लगभग 2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के ठेके अमेरिकी रक्षा ठेकेदारों को दिए, जो उसके कुल विवेकाधीन बजट का आधा से भी ज्यादा है. इन ठेकेदारों में ‘बिग फाइव’ अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं, जिनका युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर मुनाफा हुआ.

यूक्रेन का अमेरिका से हथियारों की खरीद बढ़ी
यूक्रेन ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी को तेज कर दिया है. 2020 से 2024 के बीच, यूक्रेन ने वैश्विक हथियार आयात का 8.8% हिस्सा लिया और इनमें से 45% हथियार अमेरिका से प्राप्त किए गए. जुलाई 2025 में, यूरोपीय देशों ने नाटो प्राथमिकता प्राप्त यूक्रेन आवश्यकता सूची (PURL) के तहत यूक्रेन को लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के हथियार खरीदने पर सहमति जताई.

यूक्रेन की जरूरतें और अमेरिका का लाभ
यूक्रेन की सेना के लिए अमेरिकी हथियारों की सप्लाई बढ़ने के साथ-साथ यूरोपीय देशों ने भी अमेरिका से हथियार खरीदने की योजना बनाई है. अगस्त 2025 में व्हाइट हाउस में यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और ट्रंप के साथ हुई बैठक के दौरान, यूक्रेन ने यूरोपीय देशों से लगभग 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार खरीदने पर जोर दिया.

रक्षा ठेकेदारों ने कमाया भारी मुनाफा
रूस-यूक्रेन युद्ध ने जहां लाखों लोगों की जान ली, वहीं यह विश्वभर में युद्ध से जुड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक वित्तीय अवसर बन गया. अमेरिका के रक्षा ठेकेदारों ने युद्ध के दौरान भारी मुनाफा कमाया, जबकि भारत और चीन ने रियायती तेल का फायदा उठाया. कुल मिलाकर, यह युद्ध न केवल सैनिकों और नागरिकों के लिए एक त्रासदी साबित हुआ, बल्कि यह वैश्विक रक्षा और ऊर्जा उद्योगों के लिए लाभकारी भी रहा.

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