
निर्भया गैंगरेप केस के चौथे दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारीज कर दी है. बाकी के तीन आरोपियों की दया याचिका पहले ही खारिज की जा चुकी है. इससे पहले सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मर्डर के सभी दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. सभी दोषियों को तीन मार्च की सुबह फांसी होनी थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की सजा को इसलिए टाल दिया था क्योंकि चारों में एक दोषी पवन की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित था. लेकिन बुधवार को राष्ट्रपति ने चौथे दोषी पवन गुप्ता की भी याचिका खारिज कर दी है. ऐसे में दोषियों के पास फांसी से पहले के सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं. ऐसा तीसरी बार हुआ था जब दोषियों की फांसी पर रोक लगी है. बता दें कि सबसे पहले 22 जनवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर हुई थी. इसके बाद 1 फरवरी को फांसी की तारीख तय की गई थी. हालांकि दोषियों के वकील ने कानूनी दांवपेच लगाकर इसे रद्द करवा दिया था.
वहीं लोग अब ये भी जानना चाहते हैं कि आखिर निर्भया के साथ उस काली रात में जो दोस्त मौजूद था, वो अब कहां है? चलिए हम आपको बताते हैं कि निर्भया का दोस्त अवनींद्र कहां है।
जानकारी के लिए बता दे कि आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में उसके दोस्त की गवाही अहम रही। निर्भया के साथ जब ये वारदात हुई उस समय उसका दोस्त अवनींद्र उसके साथ ही था। सभी जानना चाहते हैं वो आजकल कहां है और क्या कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक अवनींद्र इस जघन्य वारदात के बाद सदमे में चला गया था और अवसाद में था। इस स्थिति से उबरने में उसे लंबा वक्त लगा। उसके परिजन भी बेहद परेशान रहे। फिलहाल अवनींद्र की हालत पहले से बेहतर है। तकरीबन तीन साल पहले उसकी शादी हो गई थी और अपनी पढ़ाई पूरी कर इंजीनियर बन गया है। अब वह विदेश में नौकरी कर रहा है। साथ ही यह भी जानकारी मिली है कि उसके एक संतान भी है।
आज भी जब अवनींद्र के परिवार वालों को 16 दिसंबर की वो रात याद आती है, तो उनकी आंखें भर आती है। वो बताते हैं कि उस एक काली रात ने उनका सब कुछ उनसे छीन लिया। पिता भानु प्रताप पांडेय जो कि गोरखपुर ( Gorkhpur ) के नामी वकीलों में से एक हैं ने बताया कि इस घटना को 7 साल हो गए हैं और अब उनका बेटा दूसरी जिंदगी जी रहा है। वो बताते हैं कि बेटा अगर दिल्ली या गोरखपुर में रहता तो कुछ बेहतर नहीं कर पाता। इसलिए उसने महाराष्ट्र के पुणे में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। वहीं अब वो इन दिनों विदेश में किसी प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर के पद पर काम कर रहा है। पिता बताते हैं कि अवनींद्र कहता था कि ‘हर पल एक दर्द सताता है कि दोस्ती अधूरी रह गई। दोस्त का हर पल साथ देने का वादा टूट गया। काश, मैं उसे बचा पाता। कहीं न कहीं दिल में हर पल अपराध बोध होता है कि राजधानी पहले जागी होती तो वो हमारे बीच होती।’ गौरतलब, है कि उस रात अवनींद्र निर्भया के साथ ही था। लेकिन वो उसे उन 6 दरिंदों के चुंगल से नहीं बचा पाया। ये घटना आज भी लोगों को डराती है।











