नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच दोपहर 2.50 बजे ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले, सिंधिया अपने घर से काली रेंज रोवर में निकले। उनके साथ भाजपा नेता जफर इस्लाम थे, जो सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के मुख्य सूत्रधार रहे हैं। सिंधिया ने 27 घंटे पहले कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। भाजपा मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सिंधिया को सदस्यता दिलवाई। सिंधिया थोड़ी ही देर में भोपाल के लिए रवाना होंगे। वे शुक्रवार को राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं। शुक्रवार को ही मध्यप्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए नामांकन का आखिरी दिन है। खबरें आ रही हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा सिंधिया के पार्टी में आने से नाराज हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी आलाकमान के सामने जाहिर भी कर दी है।
Hey @PMOIndia , while you were busy destabilising an elected Congress Govt, you may have missed noticing the 35% crash in global oil prices. Could you please pass on the benefit to Indians by slashing #petrol prices to under 60₹ per litre? Will help boost the stalled economy.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 11, 2020
आज हम सभी के लिए खुशी का विषय है- नड्डा
#WATCH Delhi: Congress leader Rahul Gandhi refuses to answer question on Jyotiraditya Scindia quitting the party. pic.twitter.com/oPHriKdLK0
— ANI (@ANI) March 11, 2020
सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर जेपी नड्डा ने कहा- आज हम सबके लिए खुशी का विषय है। मैं वरिष्ठतम नेता स्वर्गीय राजमाता सिंधियाजी को याद करता हूं, जो भारतीय जनसंघ में थीं। जनसंघ और भाजपा की स्थापना से लेकर विचारधारा को बढ़ाने में राजमाता सिंधियाजी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। हमारे लिए राजमाताजी आदर्श थीं, दृष्टि और दिशा देने वाली नेता रहीं। जनसंघ और भाजपा के शैशव काल से ही उन्होंने दिनरात काम किया। हमारे लिए खुशी की बात है कि उनके पौत्र ज्योतिरादित्य सिंधियाजी भाजपा में शामिल हुए हैं। मैं उनका अभिनंदन करता हूं।
नड्डा ने कहा- ज्योतिरादित्यजी के नेतृत्व और प्रखरता से हम वाकिफ हैं। ये परिवार के सदस्य हैं। हम जानते हैं कि मोदीजी के नेतृत्व में हमारा मंत्र सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास है। मोदीजी के नेतृत्व में इन्हें मुख्यधारा में काम करने का मौका मिलेगा। सिंधियाजी को भाजपा की गतिविधियों में शामिल होने और देश के भविष्य को बदलने का मौका मिलेगा।
सत्र के बाद सिंधिया को मंत्री बनाया जाएगा
सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। अब सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने की तैयारी है। इसकी घोषणा भी बुधवार को दिल्ली में होगी। सत्र के बाद सिंधिया को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। कमलनाथ सरकार के 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने सिंधिया के इस्तीफे की खबर लगते ही कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। सूत्र बता रहे हैं कि इस्तीफा देने वाले सिंधिया समर्थक विधायकों में से 5 से 7 को मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मंत्री पद दिया जा सकता है।
राहुल का ट्वीट
सिंधिया के इस्तीफे के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया- ‘‘जब आप (मोदी सरकार) कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने में व्यस्त हैं, तब यह देखने में चूक गए कि दुनिया में तेल की कीमतों में 35% की गिरावट आई है। क्या आप पेट्रोल की कीमतों को 60 रुपए प्रति लीटर कर देश के लोगों को राहत दे सकते हैं? इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।’’
भाजपा ने विधायकों को भोपाल से बाहर भेजा
प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम को लेकर भाजपा ने अपने 105 विधायकों को भोपाल से बाहर रवाना कर दिया। इनमें से 8-8 विधायकों का एक ग्रुप बनाया गया है। हर एक ग्रुप में एक विधायक को ग्रुप लीडर भी बनाया गया है। वह सभी विधायकों पर नजर रखेंगे। विधायकों को अलग-अलग बसों से दिल्ली, मानेसर और गुड़गांव के होटलों में भेजा गया। उधर, सिंधिया समर्थक विधायक भी बुधवार को बेंगलुरु से दिल्ली लाए जाएंगे। अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो ही विधायक भोपाल आएंगे, नहीं तो इन्हें राज्यसभा चुनाव (26 मार्च) के वक्त ही भोपाल बुलाया जाएगा। इधर, भोपाल से भाजपा विधायकों के साथ ही बड़े नेताओं का दिल्ली जाने का सिलसिला चल रहा है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली रवाना हो गए हैं।
बेंगलुरु से इन विधायकों को दिल्ली लाया जाएगा
बेंगलुरू में ठहराए गए सिंधिया समर्थक विधायकों को बुधवार को बेंगलुरु से दिल्ली भेजा जाएगा। इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, रक्षा सरोनिया, जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिर्राज दंडोतिया, यशवंत जाटव, गोविंद सिंह राजपूत, हरदीप डंग, मुन्ना लाल गोयल, ब्रिजेंद्र यादव शामिल हैं।
विधानसभा चुनाव से राज्यसभा चुनाव तक सिंधिया की नाराजगी
सीएम पद की दौड़ में पिछड़े : विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने सिंधिया का प्रचार के मुख्य चेहरे के रूप में इस्तेमाल किया था, लेकिन सीएम पद की दौड़ में वे पिछड़ गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भी उनका नाम आगे रहा, लेकिन पद नहीं मिला।
डिप्टी सीएम भी नहीं बन सके : अटकलें थीं कि ज्योतिरादित्य डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य को गुना लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भी उनकी दावेदारी कमजोर हो गई।
पसंद का बंगला नकुल को मिला : सिंधिया ने चार इमली में बी-17 बंगला मांगा, लेकिन वह कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को दे दिया गया।
ट्विटर हैंडल से कांग्रेस का नाम हटाया : करीब 4 महीने पहले 25 नवंबर 2019 को ज्योतिरादित्य ने ट्विटर पर अपनी प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम हटा दिया। केवल जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी लिखा।
सड़क पर उतरने की चेतावनी दी : 14 फरवरी को टीकमगढ़ में अतिथि विद्वानों की मांगों पर ज्योतिरादित्य ने कहा कि यदि वचन पत्र की मांग पूरी नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरेंगे। इस पर कमलनाथ ने जवाब दिया कि ऐसा है तो उतर जाएं। इसी के बाद दोनों के बीच तल्खी बढ़ने लगी।
राज्यसभा चुनाव की वजह से बढ़ी दूरियां : मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस स्थिर थी, तब प्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों में से 2 पर उसके उम्मीदवार जीतना तय थे। दिग्विजय की उम्मीदवारी पक्की थी। दूसरा नाम ज्योतिरादित्य का सामने आया। बताया जा रहा है कि उनके नाम पर कमलनाथ अड़ंगे लगा रहे थे। इसी से ज्योतिरादित्य नाराज थे।
बगावत : 9 मार्च को जब प्रदेश के हालात पर चर्चा के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे, तभी 6 मंत्रियों समेत सिंधिया गुट के 17 विधायक बेंगलुरु चले गए थे। इससे साफ हो गया कि सिंधिया अपनी राहें अलग करने जा रहे हैं।