भारत के कानून में बदलाव की वकालत करते है एडवोकेट रूपांकन कमला शर्मा

नागरिकों की भलाई की रक्षा करने और उन्हें न्याय प्रदान करने के उद्येश्य से बनायी गयी भारतीय कानून व्यवस्था एवं न्यायिक प्रणाली, बढ़ते मामले और शिकायतों की अधिकता जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है।

इन सारी मुश्किल परिस्थितियों के बीच एडवोकेट रूपांकन कमला शर्मा पूर्ण समर्पण के साथ क्रिमिनोलॉजी में प्रैक्टिस कर रहे हैं, जिनमें विशेषरूप से किशोर(जुवेनाइल) न्याय, अपराधी के कृत्यों की जांच और जमानत एवं आपराधिक पुनरीक्षण जैसे मामले शामिल हैं।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालय रोहतक में प्रैक्टिस करते हुए शर्मा की प्रतिबद्धता कोर्ट रूम से आगे तक है, क्योंकि वह न्यायिक प्रणाली को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने की सोच रखते हैं।

वह मुख्य रूप से आम लोगों की भलाई के लिये कानूनी सहायता को प्रभावी बनाने के लिये प्रयासरत हैं, जो उनके द्वारा किये गये सफल मामलों में परिलक्षित होता है। क्रिमिलोलॉजी, यानि अपराध विज्ञान के क्षेत्र से संबंधित मामलों में कुशलता ने कई उदाहरण पेश किये हैं, जिनमें उन्होंने विभिन्न आपराधिक मामलों और चुनौतियों का सामना करने वाले प्रभावित व्यक्तियों को राहत प्रदान करने का काम किया है।

भारतीय कानूनी परिदृश्यों में जरूरी बदलावों के लिये दिये गये उनके प्रस्तावों में विस्तृत डिजिटल परिवर्तन, एक विकसित केस प्रबंधन प्रणाली और ई-कोर्ट पहल का प्रसार शामिल है। ऐसे पहल का उद्येश्य प्रशासनिक भार एवं कागजी कार्रवाई को कम करना, कार्यक्षमता को बढ़ाना, और न्यायिक प्रणाली को आम लोगों के लिये अधिक सुलभ बनाना है।
यद्यपि कानूनी वकालत की चुनौतियों से निपटना आसान नहीं है। कानूनी क्षेत्र से जुड़े लोगों को कानूनी संरचना की जटिलता, संसाधनों की कमी और निष्पक्षतावाद और जुनून के बीच विषम संतुलन को समझने की आवश्यकता है। इसके साथ ही रूपांकन, खासकर वंचित समुदायों के लिये कानूनी सहायता में वृद्धि और जागरूकता कार्यक्रमों की वकालत करते हैं।

वास्तव में हमें, सबके लिये समान रूप से न्याय की आवश्यकता और कानूनी साक्षरता में अंतर को पाटने के प्रयासों के महत्व पर रोशनी डालने की जरूरत है। इसके अलावा, हमें त्वरित और निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों, वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र और न्यायाधीशों, वकीलों और अदालत के कर्मचारियों के लिए निरंतर प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देने की आवश्यकता है।
इन बदलावों के संबंध में अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए एडवोकेट रूपांकन ने कहा कि “समाज के निर्माण में न्यायिक प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मेरा उद्येश्य कानूनी प्रक्रिया को आम लोगों के लिये अधिक प्रभावी, सुलभ और सहायक बनाने में दृष्टि प्रदान करना है। डिजिटल परिवर्तन, कानूनी सहायता में वृद्धि और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिये हम एक कानूनी प्रणाली तैयार कर सकते हैं, जो सच में लोगों की आवश्यकता को पूरा करती है।”

विशेषरूप से संवेदनशील मामलों में भारतीय कानून व्यवस्था को प्रभावी संचार और तकनीकी विकास को अपनाने और भावनात्मक विषयों को प्रबंधित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
एडवोकेट रूपांकन, प्रणालीगत बदलाव लाने की बात करते हैं। वह मिसाल पेश करने वाले फैसले प्रदान करके न केवल अपने ग्राहकों के लिए न्याय सुनिश्चित करते हैं बल्कि भारत में कानूनी सिद्धांतों के विकास में भी अहम भूमिका निभाते हैं। यह पहल, कानूनी प्रक्रिया में उनके दृष्टिकोण को परिलक्षित करती है, जो सामयिक वास्तविकताओं, शिक्षा और सार्वजनिक जुड़ाव के बीच लगातार सामंजस्य स्थापित करता है।

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