नोटबंदी के 2 साल: कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना, कहा- फरमान पर माफ़ी मांगे मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी को ‘तुगलकी फरमान’ करार देते हुए कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि इसका कोई घोषित मकसद पूरा नहीं हुआ है और आम जनता इसका खामियाजा अभी तक भुगत रही है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नोटबंदी को आज दो वर्ष पूरे हो गये लेकिन इसके घाेषित उद्देश्यों में से कुछ भी हासिल नहीं हुआ।

काला धन खत्म करने के उद्देश्य के साथ 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट आठ नवंबर 2016 को श्री मोदी ने बंद करने की घोषणा की। यह एक तरह का तानाशाही फैसला था जिसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल और भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड को कथित ‘हिरासत’ में रख दिया गया। नोटबंदी के निर्णय को ‘तुगलकी फरमान’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि इसे लागू करते समय आम जनता की तकलीफों और जमीनी हकीकत को ध्यान में नहीं रखा गया।

अचानक लिये गये इस फैसले से करोड़ों लोगों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और एक सौ से ज्यादा लोग मारे गए। करोड़ों लोगों का राेजगार खत्म हो गया और लाखों बेटियों की शादियां टूट गयीं। हजारों मरीजों को समय पर दवा नहीं मिल गयी और उनका असमय निधन हो गया। श्री शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार नोटबंदी को ‘अच्छा काम’ करार देते हुए इसे सफल बता रहे हैं लेकिन यह ‘बुरा काम’ था। भाजपा को इसे स्वीकार करना चाहिए और श्री मोदी को इसका अफसोस करना चाहिए। नोटबंदी के निर्णय से आम जनता और देश को अपमान झेलना पड़ा।

‘बेरोजगार हो गए 4 करोड़ लोग’
आनंद शर्मा ने कहा कि इस फैसले से देश की 43 पर्सेंट एमएसएमई बंद हो गईं। लघु उद्योगों में 12 लोग करोड़ काम करते थे। इस तरह 4 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी पर चोट पहुंची। तमाम कंपनियां 6 से 8 महीने नहीं खुलीं और बहुत सी कभी नहीं खुलेंगी। उन गरीबों को ही कतार में खड़ा होना पड़ा, जिनके नाम पर नोटबंदी की गई थी। यह तुगलकी फरमान था। देश में 1,34,000 बैंक शाखाएं हैं, गांव 6.5 लाख हैं। 78 पर्सेंट बैंक शाखाएं शहरों में हैं।  

‘पैसा आया तो उसे लुटा दिया गया’

शर्मा ने कहा, क्या कारण है कि इतना पैसा आने के बाद देश के बैंकों में पैसा नहीं है। पैसा आया और लुटाया गया। इनके शासनकाल में एनपीए 9 लाख करोड़ हो गया। ये कहते हैं कि भ्रष्टाचार खत्म हुआ है, लेकिन देश के बैंक लुट गए।

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