Covaxin के अलावा भारत में दो और टीकों का ट्रायल जारी, केंद्र ने राज्‍यों से कहा, टीकाकरण के लिए रहो तैयार

भारत में बनी कोरोना वायरस वैक्‍सीन Covaxin को लेकर अच्‍छी खबर है। भारत बायोटेक फेज- 3 ट्रायल में 25,000 से 30,000 लोगों पर वैक्‍सीन का टेस्‍ट करना चाहती है। फेज- 3 ट्रायल के लिए उत्‍तर प्रदेश सरकार से कंपनी की बातचीत हो गई है। लखनऊ और गोरखपुर के रिसर्च इस्टिट्यूट्स में Covaxin का फेज-3 ट्रायल होगा। कंपनी एक साल में इस वैक्‍सीन की 100 करोड़ डोज तैयार करने का टारगेट लेकर चल रही है। यह वैक्‍सीन ICMR और भारत बायोटेक के रिसर्चर्स ने मिलकर बनाई है। भारत बायोटेक ने कोरोना वारयस की एक सिंगल-डोज इंट्रानेजल वैक्‍सीन बनाने के लिए अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्‍कूल ऑफ मेडिसिन से लाइसेंसिंग एग्रीमेंट किया है।

Covaxin का फेज 2 ट्रायल अंतिम दौर में

Covaxin का फेज-2 ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है। 15 अक्‍टूबर से फेज-3 ट्रायल शुरू होने की उम्‍मीद है। शुरुआती नतीजे बताते हैं कि वैक्‍सीन सेफ है। Covaxin एक इनऐक्टिवेटेड वैक्‍सीन है जो शरीर में SARS-CoV-2 के खिलाफ इम्‍युन रेस्‍पांस पैदा करती है।

Covaxin के अलावा भारत में दो और टीकों का ट्रायल जारी

Covaxin से इतर भी, भारत में कोरोना के दो टीकों का इंसानों पर टेस्‍ट चल रहा है। इनमें एक तो ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी और अस्‍त्राजेनका की बनाई वैक्‍सीन Covishield है और दूसरी कैडिला फार्मास्‍यूटिकल्‍स की ZyCoV-D। Covishield का ट्रायल सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है जबकि ZyCoV-D भी फेज-2 ट्रायल में है।

केंद्र ने राज्‍यों से कहा, टीकाकरण के लिए रहो तैयार

वैक्‍सीन डेवलपमेंट का काम आखिरी दौर में है, ऐसे में अब फोकस उसकी डिलिविरी पर है। केंद्र सरकार ने सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे एक प्‍लान तैयार करें कि कैसे वैक्‍सीन स्‍टोर की जाएगी। पर्याप्‍त कोल्‍ड चेन की व्‍यवस्‍था करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार यह चाहती है कि एक बार कोई वैक्‍सीन अप्रूव हो तो उसे देश के दुर्गम इलाकों तक भी पहुंचाया जा सके। टीकाकरण के लिए किस तरह की व्‍यवस्‍था होगी, राज्‍यों से यह जानकारी भी मांगी गई है।

रूस में एक और वैक्‍सीन का ट्रायल सफल!

रूस में कोरोना वायरस के एक और टीके का शुरुआती ट्रायल ‘सफल’ रहा है। साइबेरिया के टॉप सीक्रेट रिसर्च सेंटर – वेक्‍टर में EpiVacCorona नाम से वैक्‍सीन बनाई है। इसके क्लिनिकल ट्रायल के शुरुआती दो चरणों में प्रभावी और सुरक्षित होने का दावा किया गया है। रूस ने अगस्‍त में दुनिया की पहली रजिस्‍टर्ड कोरोना वैक्‍सीन Sputnik-V को मंजूरी दी थी।

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