बहराइच में अपने पुराने अंदाज में नजर आए आरिफ मोहम्मद खान

क़ुतुब अन्सारी

बहराइच l 14 साल के राजनीतिक वनवास के बाद आरिफ मोहम्मद खान केरल के राज्यपाल के रूप में शनिवार की शाम बहराइच पहुंचे तो उनका पुराना अंदाज सामने आया l घाघरा घाट से लेकर गोलवा घाट तक जहां उनका जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया वहीं बहराइच शहर में उनके निकट सहयोगी पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राज सिंह के आवास पर रात्रि भोज के समय उनके कई पुराने मित्रों ने न केवल उन्हें गले लगाया बल्कि पुरानी यादों को भी तरोताजा किया आरिफ मोहम्मद खान के इस नए अवतार में पुनः बहराइच की राजनीति में प्रवेश करने के अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं l लेकिन केरल के राज्यपाल के रूप में आरिफ का बहराइच आगमन एक नए राजनीतिक संकेत की ओर इशारा कर रहा है। आरिफ मोहम्मद खान पहली बार बहराइच 37 वर्ष पूर्व इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के रूप में आए थे उस समय वह न केवल युवा सांसद थे l

बल्कि राजनीति के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान भी स्थापित कर चुके थे इंदिरा लहर में आरिफ मोहम्मद खान रिकॉर्ड मतों से विजई हुए थे और तत्कालीन राजीव गांधी की सरकार में ऊर्जा मंत्री बनाए गए शीघ्र ही शाहबानो प्रकरण पर उनका प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मतभेद हो गया और उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया इसके बाद आरिफ मोहम्मद खान न केवल राष्ट्रीय राजनीति बल्कि विश्व राजनीति में धूमकेतु की तरह छा गए जहां वह कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे वहीं राष्ट्रवादी यों ने उन्हें गले लगाया शाहबानो प्रकरण के बाद बहराइच आने पर उन्हें जहां मुस्लिम कट्टरपंथियों के कड़ी विरोध का सामना करना पड़ा वही कई हिंदू परिवारों में आरिफ मोहम्मद खान की आरती उतारी गई तिलक लगाया गया और उन्हें सर आंखों पर बिठाया गया वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में आरिफ मोहम्मद खान की लहर चली और ऐसा राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित हुआ कि राजीव भी नहीं हरा सकते आरिफ को बहराइच से इस चुनाव का परिणाम आया आरिफ विजयी तो हुए लेकिन मतों का अंतर काफी कम रहा इससे आरिफ को झटका तो लगा लेकिन उन्होंने हालातों से समझौता किया इसके बाद वर्ष 1991 और 1996 का चुनाव व लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी क्रमशाह रूद्र सेन चौधरी और पदम सेन चौधरी से पराजित हुए वर्ष 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में आरिफ मोहम्मद खान बहुजन समाज पार्टी के टिकट से बहराइच संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी हुए और विजई हुए लेकिन इसका अगला संसदीय चुनाव व बसपा प्रत्याशी के रूप में ही हार गए। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में आरिफ मोहम्मद खान की पत्नी तथा सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रेशमा आरिफ ने बेनी प्रसाद वर्मा की ओर से गठित नई पार्टी समाजवादी क्रांति दल से बहराइच सदर की प्रत्याशी हुई चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा लगा कि आरिफ की लहर रेशमा आरिफ को विधानसभा पहुंचा देगी लेकिन चुनाव परिणाम आया तो उन्हें वोट मात्र 14000 मिले इस चुनाव परिणाम ने आरिफ को अंदर से झकझोर कर रख दिया

14 साल में राजनीतिक बियाबान में खो गए अब 6 मार्च 2021 को वह केरल के राज्यपाल के रूप में बहराइच आए तो उनका एक बार फिर गर्मजोशी से स्वागत किया गया घाघरा घाट पर जहां पूर्व बसपा नेता खालिद खान ने उन्हें गले लगाया वही कैसरगंज में बादशाह सिंह समेत अनेक नेताओं ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया बहराइच शहर पहुंचने पर जब वह अपने निकट सहयोगी राज सिंह के आवास पर पहुंचे तो वहां सदर विधायक अनूपमा जयसवाल महसी के विधायक सुरेश्वर सिंह भाजपा जिला अध्यक्ष श्याम करण टेकरीवाल किसान पीजी कॉलेज प्रबंध समिति के सचिव मेजर डॉक्टर एस पी सिंह ईट निर्माता कल्याण समिति बहराइच के महामंत्री मोहम्मद अब्दुल्ला व्यापारी नेता कुलभूषण अरोरा तथा लव मल्होत्रा जो उनके परंपरागत मित्र और सहयोगी रहे ने उन्हें गले से लगाया पुष्पगुच्छ भेंट किया और पुरानी यादों में खो गए अगले दिन रविवार को आरिफ मोहम्मद खान ने पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह आजाद के आवास पर चाय पी और सिद्धनाथ मंदिर जाकर दुग्ध अभिषेक किया

उन्होंने सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह जाकर मुख्य मजार पर मत्था टेका उसके बाद से वह लगातार अपने पुराने परिचितों से मिलते रहे आरिफ मोहम्मद खान की यह राजनीतिक सक्रियता सामान्य तरीके से तो औपचारिक मुलाकात दर्शाती है लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ भी तलाशे जा रहे हैं आरिफ मोहम्मद खान के बड़े पुत्र मुस्तफा आरिफ पिछले कई महीनों से बहराइच जिले की मटेरा और बहराइच सदर सीट पर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं विधानसभा चुनाव के 10 माह बचे हैं ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आरिफ मोहम्मद खान एक बार फिर आगामी विधानसभा चुनाव में 2007 में मिली निराशा को आशा में बदलने का प्रयास करेंगे यह अनुमान कितना सच होता है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन राजनीतिक गलियारे में आरिफ मोहम्मद खान के आगमन की काफी चर्चा है।

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