औरैया : चुनाव में भितरघाती बिगाड़ सकते हैं अपनों का खेल

औरैया। बिधूना नगर पंचायत बिधूना में जिस तरह से विभिन्न राजनीतिक दलों में अध्यक्ष पद के लिए अपनी टिकट पक्की कराने के लिए अब तक संभावित दावेदार एड़ी चोटी का जोर लगाए नजर आ रहे हैं उससे टिकट कटने से मायूस होने वाले कुछ तथाकथित नेताओं व उनके समर्थकों के चुनाव दौरान भितरघात करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है और यही कारण है कि राजनीतिक दलों के आला नेता भी काफी असमंजस की स्थिति में फंसे हुए हैं की आखिर वह किस प्रत्याशी को मैदान में उतारे जो भितरघात से बचने के साथ जनप्रियता का लाभ उठा सकें। बिधूना नगर पंचायत का चुनाव इस बार जिले में सबसे अधिक रोमांचक होने के आसार अभी से नजर आ रहे हैं। इस बार नगर पंचायत अध्यक्ष के पद पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे आदर्श मिश्रा एक बार स्वयं एक बार उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय मनोज कुमारी मिश्रा नगर पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं वही दो बार उनके पिता स्वर्गीय श्रीकांत मिश्रा भी अध्यक्ष रह चुके हैं पिछला चुनाव वह भाजपा से लड़कर प्रत्याशी अमित बाथम से हार गए थे।

रुठों की नाराजगी होगी दूर या भितरघात होगी भरपूर

वही बहुजन समाज पार्टी से युवा समाजसेवी अवनीश गुप्ता विक्की जयहिंद चुनावी समर में उतरे हैं वहीं सपा में शुक्रवार को माला गुप्ता पत्नी चुनमुन गुप्ता के टिकट स्पष्ट होने की चर्चाएं हुई और रात में उनके यहां काफी चहल कदमी भी रही लेकिन सुबह अचानक सन्नाटा पसरा दिखा लेकिन शनिवार को माला गुप्ता द्वारा सपा जिलाध्यक्ष सर्वेश बाबू गौतम व अधिवक्ता मुरारी लाल यादव की मौजूदगी में अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया गया है लेकिन फिलहाल दूसरी ओर हवा में यह भी चर्चाएं खूब तैर रही है कि फिलहाल उनका टिकट होल्ड पर रखा गया है सपा आलाकमान द्वारा अभी भी इस टिकट के मसले पर विचार विमर्श जारी है। इसी तरह भाजपा का टिकट भी समाचार लिखे जाने तक स्पष्ट नहीं हो सका है। इस टिकट के लिए भी फिलहाल रस्साकशी जारी बताई जा रही है ।

वहीं भाजपा से टिकट के लिए पूर्व विधायक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गजेंद्र सिंह की पुत्रवधू मंजू सिंह अमित मिश्रा वह पूर्व विधायक प्रमोद कुमार गुप्ता एल एस के पुत्र वैभव गुप्ता के बीच टिकट की जोड़-तोड़ होती बताई जा रही है। एल एस गुप्ता भी एक बार इस नगर पंचायत के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इस बार लेकिन टिकट पर किसका पलड़ा भारी होगा यह टिकट स्पष्ट होने के बाद ही पता चलेगा। वैसे इस राजनीतिक दलों में टिकट पाने के लिए संभावित दावेदारों द्वारा लंबे अर्से से जिस तरह एड़ी चोटी का जोर लगाया गया है उससे यदि जिस संभावित दावेदार को मायूसी हाथ लगेगी उसकी नाराजगी भी स्वाभाविक हो सकती है और इस नाराजगी को राजनीतिक दलों के नेता दूर कर पाने में कामयाब होंगे या फिर इस नाराजगी का खामियाजा चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों को भितरघात के माध्यम से भुगतना पड़ेगा इस पर फिलहाल प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

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