औरैया : निकाय चुनाव में अध्यक्ष-सभासद का ख्वाब पाले लोगों की कुंभकर्णी नींद टूटी

औरैया । औरैया स्थानीय निकाय चुनाव की आहट मिलते ही नगर नगर पालिका व नगर के पंचायतों के अध्यक्ष व सभासद पदों पर काबिज होने का ख्वाब संजोए लोगों की अचानक कुंभकर्णी नींद टूट गई है। पिछले स्थानीय निकाय चुनाव के बाद से लगभग 5 वर्ष तक जिले की 6 नगर पंचायतों व एक नगर पालिका परिषद में जनता के दुख दर्द से कोसों दूर रहे अध्यक्ष व सभासद पद के अधिकांश संभावित दावेदार अचानक चुनाव की आहट मिलते ही फिर एक बार मतदाताओं के सच्चे हमदर्द होने का ढोंग कर उसे लुभावने सब्जबाग दिखाकर उनके वोट हथियाने के प्रयासों में लग गए हैं लेकिन अब तक ऐसे नेताओं के मोह जाल में फंस कर हर बार छलावा के शिकार हुए मतदाता इस बार पूर्व की पुनः अपनी गलतियों की पुनरावृत्ति न कर इस बार समाजसेवी व्यक्तियों को ही अध्यक्ष व सभासद पदों की जिम्मेदारी सौंपने के मूड में दिख रहे है जिससे अपनी पोल उजागर होने को लेकर संभावित प्रत्याशी परेशान हैं।

वहीं अब तक जिले की सभी नगर पंचायतों व नगर पालिका में जिन आवासों पर सन्नाटा पसरा नजर आता था वह फिर एक बार चुनाव की आहट से गुलजार हो गए हैं। यूं तो स्थानीय निकाय चुनाव की तिथियों की विधिवत घोषणा नहीं हुई है इसके बावजूद चुनाव की आहट मिलते ही इकलौती नगर पालिका परिषद औरैया के साथ ही जिले की सभी 6 नगर पंचायतों बिधूना अछल्दा दिबियापुर फफूंद अजीतमल अटसू नगर पंचायतों में अध्यक्ष व सभासद पदों पर काबिज होने का ख्वाब बनाए संभावित दावेदारों का मन मयूर नाचने लगा है।

पिछले स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न होने के बाद हारे जीते प्रत्याशी जिस तरह से 5 वर्ष से अधिक समय तक अपने संबंधित नगर पंचायत व पालिका परिषद की दुख दर्द से कोसों दूर रहकर कुंभकर्णी में सोए रहे लेकिन इन लोगों की कुंभकर्णी नींद फिर एक बार टूट गई है और यह अधिकांश संभावित दावेदार पुनः एक बार मतदाताओं के सच्चे हमदर्द होने का ढोंग कर उनके वोट हासिल करने का ख्वाब बनाकर लुभावने सब्जबाग दिखाने में जुट गए हैं लेकिन ऐसे निहित स्वार्थी लोगों के मोहजाल में फंस कर अब तक छलावा के शिकार हुए मतदाता इस बार वोट सपोर्ट देने की कौन कहे इनके दीदार करने से भी कतराते हुए नजर आ रहे हैं।

इस बार मतदाता चुनाव में जनता के हमदर्द समाजसेवियों को अध्यक्ष व सभासद के पदों पर काबिज कराने का मूड बनाए दिखने से इन स्वार्थी संभावित दावेदारों के चेहरों पर अभी से ही हवाइयां उड़ती नजर आ रही हैं। सबसे दिलचस्प और गौरतलब बात तो यह है कि अपने गैर जिम्मेदाराना आचरण से जनता में अपनी साख गंवा चुके इन तथाकथित कुछ संभावित दावेदारों को फिलहाल जनता में भले तरजीह न मिल रही हो लेकिन अब तक सूने पड़े रहे इनके आवास फिर एक बार गुलजार हो गए हैं।

जनचर्चा तो आम यह है कि तथाकथित संभावित दावेदारों के आवासों पर जो जमावड़े दिख रहे हैं उसमें अधिकांश शामिल लोग दिहाड़ी भाड़े पर लाए गए लोग होते हैं और यह इसलिए किया जाता है ताकि लोग उनके आवासों पर भीड़ देखकर अभी से ही उनकी लोकप्रियता और चुनाव में मजबूती का आंकलन कर सकें। हालांकि जिस तरह से फिलहाल जनता की इनके प्रति बेरुखी है उससे उनकी चिंता काफी बढ़ी हुई है।

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