औरैया : सत्ता का सुख भोगने को व्याकुल नेताओं के स्वर अचानक बदले

औरैया। बिधूना व दिबियापुर विधानसभा क्षेत्रों में कुछ समय पूर्व तक भाजपा को फूटी आंखों ना देखने वाले और भाजपा पर तरह-तरह के अनर्गल आरोप मढने वाले इन क्षेत्रों के तथाकथित तमाम विपक्षी दलों में शामिल रहे नेताओं के भी सत्ता सुख भोगने की व्याकुलता के चलते अचानक स्वर बदले नजर आ रहे हैं ताकि वह प्रदेश सरकार के 4 साल के कार्यकाल में मलाई चाटने के साथ भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ शामिल होकर वह सत्ता पक्ष के प्रमुख नेताओं की नजरों में चढ सकें लेकिन भाई यह पब्लिक है सब जानती है क्योंकि यह वह स्वार्थी तथाकथित नेता है जो अक्सर ही सत्ता सुख की खातिर पाला बदलने में माहिर रहे हैं उनका भले ही भाजपा में अपना स्वार्थ सिद्ध हो जाए लेकिन भाजपा का इनसे कोई भला होने वाला नहीं है क्योंकि जमीनी धरातल पर इनका वजूद इनके स्वयं के स्वार्थों की भेंट पहले ही चढ़ चुका है।

कभी भाजपा को फूटी आंखों न देखने वाले नेता बढ़ाते दिख रहे नजदीकियां

बिधूना व दिबियापुर विधानसभा क्षेत्रों में तमाम ऐसे तथाकथित स्वार्थी नेताओं की लंबी फौज है जो हमेशा सत्ता सुख की खातिर पाला बदलने में माहिर रहे हैं। इन क्षेत्रों के यह तथाकथित कुछ नेता जो पिछले विधानसभा चुनाव तक भाजपा को फूटी आंखों न देखने के साथ ही भाजपा सरकार पर तरह-तरह के अनर्गल आरोप लगाकर सड़कों चैराहों चैपालों पर गरमा गरम बहस करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे लेकिन अब सत्ता की व्याकुलता के चलते इन तथाकथित उपरोक्त दोनों ही विधानसभा क्षेत्र के कुछ विपक्षी नेताओं के स्वर अचानक बदले बदले नजर आ रहे हैं। इन तथाकथित नेताओं द्वारा अभी तक खुले तौर पर भाजपा में शामिल होने की घोषणा तो नहीं की गई है लेकिन यह तथाकथित नेता भाजपाइयों से नजदीकियां बढ़ाने के साथ अक्सर ही उनके गले में गलबहिंया डाले नजर आ रहे हैं।

काफी समय से सत्ता का सुख भोगने से दूर चल रहे इन तथाकथित नेताओं का अब सब्र का बांध शायद टूटता जा रहा है ऐसे में उत्तर प्रदेश में भाजपा के शेष बकाया लगभग 4 वर्ष के कार्यकाल में वह सत्ता की रबड़ी चाटने में कोई चूक नहीं करना चाहते हैं। हालत यह है कि सत्ता की व्याकुलता में परेशान तथाकथित यह नेता निकट भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष के साथ खुलकर खड़े होकर पार्टी के बड़े दिग्गजों की नजरों में चढ़ने की योजना बना चुके हैं।

ऐसा नहीं है कि इन स्वार्थी नेताओं के सत्ता के प्रति बढी व्याकुलता व भाजपाइयों से नजदीकियों के संबंध उनके संबंधित रहे दलों सपा बसपा कांग्रेस आप आदि के नेताओं को इसकी जानकारी नहीं है बल्कि यह सब जानते हुए फिलहाल खामोश है क्योंकि विपक्षी दल भी इन तथाकथित नेताओं का जमीनी धरातल पर वजूद शून्य मान चुके हैं वहीं भैया यह पब्लिक है सब जानती है अपने निजी स्वार्थों की खातिर अक्सर पाला बदलने के चर्चित यह तथाकथित नेता जमीनी धरातल पर अपना वजूद काफी पहले ही खो चुके हैं ऐसे में भले ही भाजपा से इनका भला हो जाए लेकिन इनसे भाजपा का भला होने की दूर-दूर तक कोई उम्मीद करना बेमानी होगी।

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