क्या इस लिए अयोध्या मामले से अलग हुए जस्टिस यूयू ललित…

जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हम इस केस की सुनवाई से हटेंगे

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नई दिल्ली। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने अयोध्या मसले पर सुनवाई शुरू कर दी है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कर दिया कि आज केस की सुनवाई शुरू नहीं हो रही है बल्कि आज सुनवाई का शेड्यूल बताएंगे।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि संविधान बेंच का गठन न्यायिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक फैसला है। मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि सुनवाई कर रही बेंच के सदस्य जस्टिस यूयू ललित बाबरी विध्वंस मामले में कल्याण सिंह के लिए पेश हो चुके हैं।

राजीव धवन ने जस्टिस यूयू ललित के बेंच का सदस्य होने पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इस पर हिन्दू पक्ष की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित को सुनवाई से हटने की जरूरत नहीं है।

तब जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हम इस केस की सुनवाई से हटेंगे। हिंदू पक्ष की ओर से हरीश साल्वे, तुषार मेहता, रंजीत कुमार, सीएस वैद्यनाथन और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन, राजू रामचंद्रन, वृंदा ग्रोवर शामिल हैं। इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा, जस्टिस एसए बोब्डे. जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आसपास जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। इस बेंच में पहले केस की सुनवाई कर रही बेंच का कोई भी सदस्य शामिल नहीं है।

तत्कालीन चीफ जस्टिस के नेतृत्व में जो बाकी जज थे उनमें जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे। लेकिन इस नयी बेंच में कोई शामिल नहीं है। 27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के फैसले से अयोध्या मसले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस्माइल फारुकी का मस्जिद संबंधी जजमेंट अधिग्रहण से जुड़ा हुआ था। इसलिए इस मसले को बड़ी बेंच को नहीं भेजा जाएगा। जस्टिस अशोक भूषण ने फैसला सुनाया था जो उनके और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का फैसला था। जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने अपने फैसले में कहा था कि इस्माईल फारुकी के फैसले पर पुनर्विचार के लिए बड़ी बेंच को भेजा जाए।

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