2002 गुजरात दंगा मामले में बाबू बजरंगी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

नई दिल्ली। 2002 में गुजरात के नरोदा पाटिया दंगा मामले में उम्रकैद की सज़ा पाने वाले बाबू बजरंगी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य आधार पर ज़मानत दी है।

2002 Gujarat riots case: बाबू बजरंगी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक कई बीमारियों से जूझ रहे बजरंगी की आंखें खराब हो चुकी हैं। बाईपास सर्जरी भी हुई है। पिछले 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। उसके पहले 23 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगे के चार दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी।

कोर्ट ने जिन चार दोषियों को जमानत दी थी वे हैं-उमेशभाई भरवाड़, राजकुमार, पदमेंद्र राजपूत और हर्षद परमार। चारों को गुजरात हाईकोर्ट ने से 10 साल की सज़ा सुनाई थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ चारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नरोदा पाटिया इलाके में 28 फरवरी, 2002 को उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के करीब 97 लोगों की हत्या कर दी थी । इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया था लेकिन सबूतों के अभाव में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया था। इन सभी दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के तहत दोषी ठहराया गया था।

नरोदा पटिया में मारे गए थे 97 लोग

गौरतलब है कि 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के पास नरोदा पटिया इलाके में उग्र भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी। मारे गए लोगों में अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के थे। यह नरसंहार उस समय हुआ था, जिससे पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में हुए अग्निकांड में 59 लोग मारे गए थे।

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