बहराइच : पण्डाल और अस्थाई ढ़ांचा बनाते समय अग्नि से सुरक्षा हेतु जारी की गई एडवाईज़री

बहराइच। मुख्य अग्निशमन अधिकारी बहराइच द्वारा पण्डाल अथवा अस्थाई ढ़ांचा बनाते समय अग्निसुरक्षा के दृष्टिगत भारती मानक ब्यूरो, आई.एस. 8758-1993 के अनुसार एडवाईज़री जारी करते हुए बताया कि किसी भी दशा में पण्डाल 3 मीटर से कम ऊँचाई का न लगाया जाये। पण्डाल बनाने में सिन्थेटिक सामग्री से बने कपड़े या रस्सी का प्रयोग न किया जाये। पण्डाल के चारों तरफ 4.5 मीटर खुला स्थान अवश्य रखें ताकि आकस्मिक स्थिति में लोगों सुरक्षित बाहर निकल सकें।

पण्डाल बिजली की लाइन के नीचे किसी भी दशा में न लगाया जाये। कोई भी पण्डाल रेलवे लाईन, बिजली के सब स्टेशन, चिमनी या भट्ठी से कम से कम 15 मीटर दूर लगाया जाये। बाहर निकलने का गेट 5 मीटर से कम चौड़ा न हो और अगर रास्ता मेहराबदान (आर्य) बनाया जाये तो भूमि तल से ऊँचाई 5 मीटर से कम नहीं होना चाहिए। सड़क से पण्डाल की दूरी 45 मीटर से अधिक किसी भी दशा में नहीं होनी चाहिए जिससे फायर सर्विस की मशीनें घटनास्थल तक पहुँच सकें।

लोगों को सुझाव दिया गया कि बाहर निकलने का रास्ता गुफा की तरह कदापि नहीं होना चाहिए। बाहर निकलने के कम से कम दो रास्ते अवश्य होने चाहिए जिससे किसी आपातकाल में एक रास्ता अवरूद्ध हो जाने पर दूसरे रास्ते का प्रयोग कर लोगों को निकाला जा सके। जहां तक संभव हो सके दोनों रास्ते एक दूसरे के विपरीत दिशा में हो। बाहर निकलने के गेट इस प्रकार समुचित संख्या में बनाये जायें कि किसी भी दशा में पण्डाल के किसी भी स्थान से किसी व्यक्ति को बाहर निकलने हेतु 15 मीटर से अधिक दूरी न तय करनी पड़े। कुर्सिया किनारे से 1.2 मीटर की जगह छोड़ी जाये एवं इसके बाद पुनः बारह कुर्सियां लगाई जा सकती हैं। कुर्सियों की 10 कतारों के बाद 1.5 मीटर की जगह छोड़ी ज़रूर छोड़ी जाय।

यह भी सुझाव दिया गया है कि कुर्सियों को चार-चार के समूह में नीचे से बांध कर ज़मीन में लोहे की छड़ गाड़कर स्थिर कर दिया जाये जिससे भगदड़ के समय वह कुर्सियां अव्यवस्थित होकर बाहर निकलने के मार्गों को अवरूद्ध न कर दें। बिजली की व्यवस्था विद्युत कार्य के लाइसेन्सधारी ठेकेदारोां से ही कराई जाये। तारों के जोड़ किसी भी दशा में खुले नहीं होने चाहिए। जहां तक सम्भव हो पोर्सलीन कनेक्टरों का प्रयोग करना चाहिए। ईमरजेन्सी लाइट की व्यवस्था भी होनी चाहिए। विद्युत का कोई भी सर्किट, बल्ब, ट्यूब लाइट आदि पण्डाल के किसी भी भाग से कम से कम 15 से.मी. दूर होना चाहिए।

आमजन को सुझाव दिया गया है कि हैलोजन लाइट का प्रयोग किसी भी दशा में पण्डाल या अस्थाई निर्माण में नही किया जाए चाहिए। पण्डाल के अन्दर किसी भी दशा में भट्ठी का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। अगर करना ही पड़े तो टीन शेड लगाकर किया जाये जो पण्डाल से अलग हो। पण्डाल अग्नि सुरक्षा हेतु 0.75 लीटर पानी प्रति वर्ग मीटर स्थान हेतु ड्रम या बाल्टियों में सुरक्षित रखा जाये व इसका प्रयोग अग्निशमन के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य में कदापि न किया जाये। कुल पानी की आधी मात्रा पण्डाल के अन्दर व आधी पण्डाल के बाहर रखी जाये। कम से कम दो बाल्टी पानी प्रत्येक 50 वर्गमीटर जगह हेतु व फायर एक्सटिंग्यूशर 9 लीटर क्षमता का वाटर टाइप प्रत्येक 100 वर्ग मीटर स्थान हेतु अग्नि सुरक्षा हेतु उपलब्ध रखा जाये।

विद्युत की आग से सुरक्षा हेतु सुझाव दिया गया है कि एक कार्बन डाईआक्साईड गैस एक्सटिंग्यूटर या ड्राई केमिकल पाउडर एक्सटिंग्यूशर स्विच गेयर, मेन मीटर और स्टेज के पास लगाया जाये। पण्डाल या अस्थाई निर्माण में जहां तक सम्भव हो आसानी से न जलने वाले पदार्थों का उपयोग किया जाये किन्तु अगर ज्वलनशील प्रकृति के सामनों का प्रयोग किया जाये तो उन्हें अग्नि निरोधक घोल में डुबोकर सुखा लिया जाये।

इस अग्नि निरोधक घोल को पानी 35 भाग, बोरेक्स व बोरिक एसिड 01-01 भाग, एलम (फिटकरी) व अमोनियम कार्बोनेट 02-02 भाग तथा अमोनियम सल्फेट 04 भाग मिलाकर तैयार किया जा सकता है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने यह भी सुझाव दिया है कि बहुत बड़े पण्डाल व अस्थाई निर्माण के पूर्व अग्निशमन विभाग को सूचित कर उनसे सुरक्षात्मक सुझाव अवश्य प्राप्त किये जायें।

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