बहराइच : लाइलाज है फाइलेरिया बीमारी, बचाव ही एक मात्र उपाय-सीएमओ

बहराइच l फाइलेरिया व्यक्ति को कमजोर और अपाहिज करने वाली एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी में शरीर के लटक रहे जुड़वा अंगों जैसे – स्त्री-पुरुष के हाथ, पैर , पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तनों में सूजन आ जाती है। गंभीर स्थिति में प्रभावित अंगो से पानी रिसने लगता है और अंग कुरूप हो जाते हैं। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन यह बीमारी न हो इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने फाइलेरिया रोधी (एमडीए) अचूक दवाओं की खोज की है जिसे वर्ष में एक खुराक और लगातार 5 वर्ष तक मात्र पांच खुराक सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। यह कहना है फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल डॉ राजेश कुमार का ।

मच्छरों से होती है बीमारी

डॉ राजेश के मुताबिक फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है । यह एक घरेलू मच्छर है जो मुख्यतः मानव आबादी के पास आमतौर पर गंदे पानी में पनपता है। यह अक्सर रात में काटता है और अपने डंक के साथ रक्त के जरिए फाइलेरिया के सूक्ष्म जीवाणु दे जाता है। यह सूक्ष्म जीवाणु वयस्क होने पर शरीर के लटक रहे अंगो में सूजन पैदा कर देते हैं और व्यक्ति को फाइलेरिया हो जाती है । विशेषज्ञों का मानना है कि मच्छर काटने से संक्रमित होने के बाद बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 05 -15 साल लग जाते हैं। इस बीच व्यक्ति स्वस्थ दिखाई देता है और इस बात से अंजान रहता है कि उसे फाइलेरिया बीमारी है।

लक्षण होने से पहले करें दवाओं का सेवन

इस मामले की जानकार जिला फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी दीपमाला का कहना है कि लक्षण प्रकट होने के बाद फाइलेरिया ठीक नहीं होती। लेकिन फाइलेरिया रोधी दवाएं डाईइथाईल कार्बामजीन ( डीईसी) व एल्बेंडाज़ोल टेबलेट वर्ष में एक खुराक और पांच वर्ष में 5 खुराक सेवन करने से इस रोग से बचा जा सकता है। यह दवा रक्त में छुपे सूक्ष्म फाइलेरिया परजीवी को वयस्क होने से पहले ही नष्ट कर देता है जिससे व्यक्ति इस बीमारी से सुरक्षित हो जाता है। वहीं फाइलेरिया रोधी दवा न सेवन करने वाले व्यक्तियों व बच्चों में फाइलेरिया रोग का खतरा बना रहता है। इसलिए सभी को इस दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए।

10 अगस्त से घर-घर खिलाई जाएगी दवा

फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल डॉ राजेश कुमार ने बताया कि आगामी 10 अगस्त से एमडीए (सर्वजन दवा सेवन अभियान ) के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर सभी व्यक्तियों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगी। इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। गर्भवती महिलाओं, 2 साल से कम उम्र के बच्चों और गंभीर रूप से बीमार रोगियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए। ध्यान रहे यह दवाएं फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए दी जाती हैं । फाइलेरिया रोग के लक्षण प्रकट होने के बाद इसका इलाज संभव नहीं है।

सुरक्षित हैं फाइलेरिया से बचाव की दवाएं

डीआईसी व एल्बेंडाज़ोल दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है लेकिन जिन्हें सूक्ष्म फाइलेरिया के लक्षण हैं उन्हें दवा सेवन के बाद मतली, उल्टी, बुखार, खुजली, सिरदर्द जैसे दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है। ऐसा शरीर में मौजूद सूक्ष्म फाइलेरिया कृमि के नष्ट होने के कारण होता है जो कुछ घंटों में स्वतः ठीक हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों को स्वस्थ होने के बाद स्वयं और घर के सभी सदस्यों को दवा का सेवन करना और भी आवश्यक हो जाता है।

05 से 15 साल में प्रकट होते हैं फाइलेरिया के लक्षण

फाइलेरिया विकलांगता के प्रमुख कारणों में से दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच सहित 51 जिलों में है। इस बीमारी से बचाव के लिए आगामी 10 अगस्त से 28 अगस्त तक सभी जन को फाइलेरिया रोधी दवा सेवन कराने के लिए एमडीए (सर्वजन दवा सेवन अभियान ) अभियान चलाया जाएगा , सभी को दवा सेवन कर इस घातक बीमारी के उन्मूलन में सहयोग करना चाहिए।

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