लश्कर-ए-तैयबा के लीडर महमूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट लिस्ट में शामिल करने पर चीन बना बाधक

पाकिस्तान के आतंकवादी और लश्कर-ए-तैयबा के लीडर शाहिद महमूद को सुरक्षा परिषद की ग्लोबल टेरेरिस्ट लिस्ट में शामिल करने पर चीन ने फिर अड़ंगा लगाया है। भारत और अमेरिका मक्की को अल-कायदा बैन कमेटी के तहत ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव लाए थे। ये चौथी बार है जब चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित होने से बचाया है।

चीन का पाकिस्तान प्रेम

पिछले महीने चीन ने भारत और अमेरिका की ओर से पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) आतंकवादी ग्रुप के कमांडर अब्दुल रउफ को वैश्विक आतंकी घोषित कर उस पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव को रोक दिया।
तीन महीने पहले पाकिस्तान के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को सुरक्षा परिषद की ग्लोबल टेरेरिस्ट लिस्ट में शामिल करने पर चीन ने अड़ंगा लगाया।
चीन ने पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को नामित करने के प्रस्तावों पर भी रोक लगा दी थी।

वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद क्या होता है

किसी भी शख्स को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला UN की सुरक्षा परिषद लेती है। सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई सदस्य (अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन), जबकि 10 अस्थाई सदस्य हैं। सभी स्थायी सदस्यों की सहमति के बाद ही किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा सकता है। इस लिस्ट में नाम आने के बाद मुख्य तौर पर तीन तरह की कार्रवाई होती हैं।

जिस व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाता है, उसकी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार सरकार को मिल जाता है। जिस भी देश में ऐसे व्यक्ति की संपत्ति होगी, उसे जब्त कर लिया जाएगा। ऐसा होने पर संबंधित व्यक्ति को किसी भी तरह की फाइनेंशियल मदद मिलने पर भी रोक लगाई जाती है।

ऐसे शख्स के यात्रा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है। वैश्विक आतंकी घोषित हो चुके व्यक्ति को कोई भी देश अपनी सीमा में प्रवेश नहीं देता। वो जिस देश में रहता है, वहां भी उसे किसी तरह की यात्रा करने की अनुमति नहीं होती है।

यह सुनिश्चित किया जाता है कि ऐसे व्यक्ति को किसी भी तरह से हथियार न मिलें। सभी हथियारों की आपूर्ति और खरीद-फरोख्त को रोका जाता है। इसमें छोटे से लेकर बड़े हथियार तक शामिल होते हैं।

सभी सदस्यों की सहमति के बाद प्रस्ताव पारित होता है
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों में से कोई भी देश इसका प्रस्ताव ला सकता है। स्थाई सदस्य देशों के पास वीटो का भी अधिकार होता है। ऐसा प्रस्ताव तभी पास होता है, जब सभी सदस्यों की सहमति मिल जाए। कोई भी सदस्य आपत्ति दर्ज करवाता है तो प्रस्ताव लागू नहीं हो पाता।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें