
लखनऊ. यूपी में बढ़ते कोरोना केस (Coronavirus in UP) व मौत के मामलों से इलाहाबाद हाईकोर्ट (Highcourt) भी नाराज है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार की कोशिशें नाकाफी हैं। सरकारी अमला सड़कों पर लोगों को बेवजह निकलने, बाज़ारों में भीड़ इकट्ठा होने और सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) का सख्ती से पालन करा पाने में नाकाम साबित हुआ है। साथ ही योगी सरकार को सुझाव दिया है कोरोना (Covid 19) रोकने के लिए प्रदेश में संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) लगाना ही होगा। इसके अलावा कोई दूसरा कारगर विकल्प नहीं है। प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा दो लाख के पार जा चुका है। वहीं तीन हजार से ज्यादा मौते हो चुकी है। लेकिन बावजूद इसके लोग गंभीर होते नहीं दिख रहे हैं। और सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर ढज्जियां उड़ा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा- लॉकडाउन लगाना जरूरी-
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जताई है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने क्वारंटीन सेंटर और अस्पतालों की हालत में सुधार के लिए दाखिल हुई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन खुलने के बाद न तो पुलिस प्रशासन गैर जरूरी लोगों को सड़क पर निकलने से रोक पाई है और न हीं लोगों ने गाइडलाइन का पालन करने में अपनी दिलचस्पी दिखाई। कोर्ट ने सबसे ज़्यादा नाराज़गी यूपी के सात बड़े शहरों लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली व झांसी में संक्रमण के बढ़े हुए मामलों पर जताई है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि ब्रेड बटर खरीदने से ज्यादा आवश्यक घर के अंदर सुरक्षित कर लोगों को बचाना है। लोगों को भी समझना होगा कि उन्हें इनमें से क्या चुनना है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लाकडाउन के ज़रिये लोगों को घरों में ही रहने को मजबूर करना बेहद ज़रूरी हो गया है। लॉकडाउन से कारगर और कोई तरीका नहीं है। यदि सरकार ने कोर्ट का सुझाव माना तो हो सकता है कि प्रदेश में 10 दिनों का संपूर्ण लॉकडाउन लगाया जाए।
चीफ सेक्रेट्री से मांगा जवाब-
कोर्ट ने चीफ सेक्रेट्री को 28 अगस्त को कोर्ट में हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। इसमें उनसे अब तक किए गए कोरोना से बचाव, इलाज व देखरेख के बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है। साथ थी कोरोना से लड़ने का क्या रोडमैप है व एक्शन प्लान है, इस बारे में भी जानकारी मांगी गई है।













