अयोध्या । पांच जुलाई 2005 की सुबह करीब सवा नौ बजे आतंकियों ने रामजन्म भूमि परिसर में धमाका किया था। करीब डेढ़ घंटे तक चली मुठभेड़ में पांच आतंकी मार गिराए गए थे। उनकी शिनाख्त नहीं हो सकी थी। प्रयागराज की विशेष कोर्ट अयोध्या हमले के बाकी बचे पांच आतंकियों को आज मंगलवार को सजा सुनाएगा।अयोध्यावासी रामलला के गुनहगारों को सजा-ए-मौत से कम नहीं चाहते। उनका कहना है कि सजा ऐसी हो कि कोई हमारे आराध्य पर हमले का दुबारा दुस्साहस न कर सके।अयोध्या हमले में रमेश कुमार पांडेय और शांति देवी को जान गंवानी पड़ी थी। मौके पर घायल कृष्ण स्वरूप ने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। हमले के समय मोर्चा सम्भालने में दारोगा नंदकिशोर, हेड कांस्टेबल सुल्तान सिंह,पीएसी सिपाही धर्मवीर सिंह , हिमांशु यादव, प्रेम चंद्र गर्ग व सहायक कमांडेंट संतो देवी जख्मी हो गये थे। मामले में पुलिस की तफ्तीश में असलहों की सप्लाई करने और आतंकियों के मददगार के रूप में आसिफ इकबाल, मो.नसीम, मो. अजीज, शकील अहमद और डॉ. इरफान का नाम सामने आया। सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। वर्ष 2006 में प्रयागराज की विशेष कोर्ट के आदेश पर उन्हें फैजाबाद से इलाहाबाद की नैनी स्थित सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इनका मकसद अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस का बदला लेना था।
14 साल पहले हुआ था अयोध्या में हमला:
पांच जुलाई 2005 को मेकशिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला पर फिदायीन हमला करने आए पांच आतंकियों की मुठभेड़ में मौत हो गई थी। जनपद अयोध्या के थाना राम जन्मभूमि में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार हमलावर दो संप्रदायों के बीच शत्रुता बढ़ाकर देश की एकता व अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड, एके 47, राकेट लांचर से लैस होकर हमला बोला था। हमलावरों ने सबसे पहले वह जीप ब्लास्ट कर उड़ा दी, जिससे वह आए थे। रामनाम और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि के बीच गूंज रही थी गोलियों की आवाज अयोध्या में रामजन्मभूमि अधिग्रहीत परिसर में जिस समय मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला पर आतंकियों ने हमला किया। वह सुबह का समय था।
उस समय मंदिरों में रामनाम और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि गूंज रही थी। अयोध्यावासी संत और नागरिक पूजा-पाठ में व्यस्त थे। आतंकी हमले के प्रत्यक्षदर्शी आज भी उस घटना को याद करके सिहर उठते हैं। वह खौफनाक मंजर आज भी उनके जहन में जिंदा है। घटना में तीन घर पर टूटा गम का पहाड़ आतंकी हमले में धमाके शिकार हुए गाइड का काम करने वाले रमेश पांडेय का परिवार आज भी सदमे से उबर नहीं पाया है।घटना के समय रमेश पांडेय की मौत हो गई थी। रमेश का परिवार हमले में शामिल सभी दोषियों को मौत की सजा चाहता है।आतंकी हमले के समय दवा लेने निकली शांति देवी धमाके का शिकार हो गईं। एक माह तक लखनऊ में इलाज के बाद उनकी मौत हो गईं।शांति देवी के पारिवारिक जन का कहना है कि दोषी आतंकियों को कड़ी सजा मिले तभी हमें सुकून आएगा। रामजन्मभूमि दर्शन मार्ग पर मुकुट बनाकर जीवन यापन करने वाले कृष्ण स्वरूप घर से बाहर निकले ही थे कि आतंकियों ने पैर में गोली मार दी। करीब आठ सालों तक इनका इलाज चला। आखिरकार 2013 में कृष्ण स्वरूप की मौत हो गई। स्वरूप के घरवालों का कहना है कि आतंकियों को फांसी से कम कुछ नहीं होना चाहिए।
क्या कहते हैं चश्मदीद :
रामायणी कन्हैया दास धमाकों की आवाज सुनकर सिहर उठे थे। वे घटनास्थल से महज 100 मीटर की दूरी पर मंदिर में बैठकर नित्य की तरह पूजापाठ में लीन थे। मंदिर के बाहर उन्होंने निकलकर देखा तो जन्मभूमि परिसर की बैरिकेडिंग पूरी तरह से टूट चुकी थी। एक जीप जल रही थी। दास का कहना है कि वे आगे बढ़ने ही वाले थे कि गोलियों की तड़तड़ाहट ने उनके कदम पीछे खींच दिए। दुर्गेश पांडेय कोटेश्वर महादेव मंदिर में नित्य की तरह दर्शन पूजन करने आए थे। वहां अचानक धमाकों की आवाज से सहम गये। उन्होंने बताया कि उन्होंने आतंकियों को हथियारों से लैस होकर परिसर के अंदर घुसते देखा था। आतंकी पीठ पर बैग लादे थे और लगातार फायरिंग करते हुए रामलला के तरफ आगे बढ़ रहे थे। पहलवान घनश्याम दास ने बताया कि सुरक्षा बलों व आतंकियों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक फायरिंग चली। हम धमाकों की आवाज सुनकर घर से बाहर निकले तो सुरक्षा कर्मियों ने अंदर जाने को कहा। लेकिन, जो भी मंजर दिखा उसे याद कर आज भी कंपकंपी आ जाती है।