अमेठी : जिन दलित परिवारों में राहुल ने खाया था खाना बिताई थी रात, आज भी भटक रहे हैं दर-दर

अमेठी । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का यूं तो आरोप है कि उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी में स्मृति ईरानी और बीजेपी विकास योजनाओं को छीनने का काम कर रहीं। वास्तव में क्या ये आरोप सच है? बात अगर समूचे अमेठी के विकास की न करके केवल दलित सुनीता कोरी के घर की करें जहां 26 जनवरी 2008 को राहुल गांधी ने खाना खाकर रात गुजारी थी तो वहां आज भी बदहाली कायम है।
आज सुनीता का पति रायबरेली की एक सीमेंट फैक्ट्री में मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहा, जबकि उसे नौकरी देने की बात कही गई थी। यही कोई हाल दलित शिवकुमारी के घर का भी है।
सुनीता कोरी की बहन अमरावती की मानें तो उसकी बहन की ज़िंदगी में अंतर कोई नहीं हुआ है। राहुल गांधी ने समूह की जानकारी दिया था, लेकिन समूह भी टूट गया। नौकरी देने की बात कही थी लेकिन नौकरी नहीं मिली। आज वो छोटे-छोटे बच्चे लेकर बाहर जाकर दर-दर भटक रहे हैं। अमरावती बताती हैं के घर में आग लगने के बाद कुमार विश्वास ने चादर और दरवाजा लगवा दिया था बाकी किसी पार्टी से कोई मदद नहीं मिली।
सुनीता की सास रामपति ने कहा कि जैसे तब था वैसे अब है कोई अंतर नहीं आया। हां, तब मिट्टी का घर था अब कालोनी मिल गई। घर जला तो विधायक ने मदद कर दी, कमरा बनवाया लेंटर नहीं डलवाया। लेंटर की जगह आम पार्टी ने चादर डलवा दिया। नौकरी मिली नहीं। बस नाम तो किए दें चाहे न दें।
इस मामले पर ग्रामीण की मानें तो स्थिति बद से बदत्तर है, जो पहले थी वही बनी है। राहुल गांधी के आनें से कोई ऐसा बदलाव नहीं हुआ नौकरी मिली थी उसे हटा दिया गया। आज पति बछरावा में सीमेंट की फैक्ट्री में काम कर रहा है, पत्नी वही जाकर लेबर का काम कर रही। कुछ यही शिवकुमारी का भी है।
सुनीता कोरी के घर जानें के एक साल बाद राहुल गांधी ब्रिटिश विदेश राज्यमंत्री डेविड मिलिबैंड के साथ शिवकुमारी के घर पहुंचे थे। शिवकुमारी का आज आलम यह है कि गुरबत उसका मोकद्दर बन गई है। वो बताती है कि कालोनी तो पहले मिल गई थी, लेकिन घर की स्थित दयनीय थी, चरखा काटकर घर बनवाया। समूह में मिलने वाली रकम भी कम मिलती है। घर के लोग बाहर न कमाए तो पेट पालना मुश्किल है।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र ने इस मामले में भी ठीकरा वर्तमान सरकार के सर ही फोड़ा है। उनका कहना है कि ये सरकार हटाने का ही काम कर रही है। राहुल गांधी जिन तमाम योजनाओं को लाए थे उसमे तमाम लोग काम करते थे, ट्रिपल आईटी में कितने लोग काम करते थे उन्हें हटाया गया।
योगेंद्र मिश्र ने कहा के राहुल गांधी ने दलितों के घर जाकर देखा के वहां क्या समस्या है, बच्चों के पढ़ने लिखने की क्या समस्या है। उन्होंने कहा के किसी एक के घर जाना और उसके घर को महल बना देना ये मकसद नहीं है। उनकी दशा को देखकर उन्हें राहत देने के लिए देश-प्रदेश में योजनाओं को लागू करवाना मकसद था।
यूपीए सरकार में दलित भाईयों और अल्पसंख्यक भाईयों को सबसे ज्यादा लाभ मिला है। वही इस मुद्दे पर बीजेपी ने राहुल गांधी पर बड़ा हमला किया है।
बीजेपी जिलाध्यक्ष उमाशंकर पाण्डेय ने स्पष्ट शब्दो में कहा है कि राहुल गांधी दलितों के घर विदेशी मेहमानों के साथ केवल पर्यटन की दृष्टि से जाते हैं। वास्तव में उनकी नियत साफ नहीं है। वो दलितों का उत्थान और विकास नहीं चाहते। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और दस साल राहुल गांधी यहां के सांसद रहे उस काल में उन्होंने दलितों के लिए कुछ नहीं किया। कांग्रेस के काल में हमेशा दलित और मुसलमान राजनीति का शिकार हुआ, उसे वोट बैंक समझा गया। लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद इस वर्ग का विशेष ध्यान दिया गया। सर्वे कराकर कच्चे मकान को पक्का कराया गया। अमेठी में 22हजार पक्के मकान दिए गए हैं जिनमें सबसे अधिक दलित शामिल है।

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